भक्ति मार्ग प्रशस्त करती है श्रीमद्भागवत कथा : श्री रामकृष्णाचार्य जी महराज

17

श्रीमद्भागवत एक दिव्य और अलौकिक ग्रंथ है। भागवत कथा को सुनने से मानव जीवन में सुख,शांति और समृद्धि आती है और परोपकार का भाव विकसित होता है कथा श्रवण से जीवन जीने की प्रेरणा के साथ अपने कर्तव्य पथ पर चलने का भाव जागृति होता है।

प्रतापगढ़। उक्त बातें विकासखंड मांधाता के हैंसी परजी में रामनिहोर श्रीवास्तव के यहां चल रही संगीतमयी भागवत कथा के सातवें दिन शुक्रवार श्री धाम वृंदावन से आए कथा व्यास श्री रामकृष्णाचार्य जी महराज ने श्रोताओं के सम्मुख कहीं। उन्होंने कहाकि श्रीमद् भागवत हमें अच्छा आचरण करने अनुशासन और आपस में एकता के साथ रहने की भी सीख देती है।

कथा में मानव जीवन की सभी समस्याओं का निदान है। अपने कर्तव्य पथ से विचलित नही होने तथा हमेशा भगवत भजन में लीन रहने का भी मार्ग प्रशस्त होता है। कथा में कथा व्यास ने मां भगवती आदिशक्ति के द्वारा आसुरी शक्ति, शुम्भ, निशुम्भ, चण्डमुण्ड, रक्तबीज, धूम्रविलोचन आदि का संघार करके चरित्र पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। कहा की भक्ति में कोई आयु सीमा मायने नहीं रखती है।

इसका सबसे जीता जागता उदाहरण भक्त ध्रुव और भक्त प्रहलाद हैं। बालक ध्रुव मात्र 5 वर्ष की अवस्था में सौतेली मां से अपमानित होकर प्रभु भक्ति में लीन हो गए ,और अंत में उन्हें यश, वैभव, कीर्ति सब कुछ मिल गया। कथा व्यास ने सभी जीवो पर दया करने को कहा इस दौरान भागवत कथा के मुख्य यजमान रामनिहोर श्रीवास्तव, गायत्री देवी,अजय श्रीवास्तव,सुनील श्रीवास्तव समेत क्षेत्र के आदि श्रोता भारी संख्या में मौजूद रहे।

  • वनीश कुमार मिश्रा
Click