भक्तों का अपमान करने वाले का होता है पतन – दिनेशाचार्य जी महाराज

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अयोध्या। विदुर और विभीषण जैसे भगवत भक्तों का कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए। इन्हें हमेशा संजो कर रखना चाहिएl इनका अपमान करने वाले का पतन हो जाता है, जिसके उदाहरण दुर्योधन रावण और हैं।

बीकापुर क्षेत्र के खौंपुर-कोदैला में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का तृतीय पुष्प विसर्जित करते हुए कथाव्यास महंत दिनेशाचार्य जी महाराज ने उक्त बातें कहीं।

जब तक हमारे अंदर सामर्थ्य है, तब तक तो हम सांसारिक भोगों में लगे रहते हैं और जब बुढ़ापा आता है तो कहते हैं कि अब भगवान का भजन करेंगे। जब आपके अंदर सामर्थ्य ही नहीं रहा तो आप क्या भक्ति करेंगे? भक्तों की महिमा का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने बताया कि भक्ति के संस्कार तो बचपन से ही हमारे अंदर होने चाहिए। ध्रुव और प्रहलाद की कथा का सबसे बड़ा यही संदेश है।

नारद जी के दो प्रौढ़ शिष्य हैं और दो बाल शिष्य। व्यासजी और वाल्मीकि। एक ने जगत को भागवत दिया और दूसरे ने रामायण। ध्रुव और प्रहलाद के गुरु बनकर उन्हें भगवत प्राप्ति करायी। चेतन मे ईश्वर है, ये तो सर्वविदित ही है, पर जड़ खम्भे मे भी वह व्याप्त है। जड़ में वह सुप्त भाव से है। बस कोई प्रह्लाद हो, तो वह जड़ स्तम्भ से भी प्रकट हो सकता है।भगवान बसे प्रति खंभन में, काढ़िबे को प्रह्लाद कहाँ?

इस अवसर पर मुख्य यजमान उमाशंकर तिवारी,प्रधान कृष्णानंद दुबे,संदीप तिवारी,अरुण सिंह, विजय शंकर, कृष्ण कुमार,राम नारायण तिवारी एडवोकेट,बृजभूषण,चंद्र भूषण आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

रिपोर्ट- मनोज कुमार तिवारी

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