कामदगिरि भगवान की जय
चित्रकूट धाम महातीर्थ की जय
2022 में सालों के बाद भाद्रपद अमावस्या पर शिव सिद्धि नामक योग का संयोग बन रहा है, जो हम सबके जीवन में परम ही लाभकारी एवं चमत्कारी चमत्कारी रहस्यमय है।
भादों मास की अमावस्या पर श्री चित्रकूट धाम तीर्थ में किए हुए मां मंदाकिनी का पावन स्नान एवं कामदगिरि की परिक्रमा एवं संपूर्ण चित्रकूट में भ्रमण कर किए हुए विभिन्न सत्कर्म, पूजापाठ, संकीर्तन, भगवान का चिंतन, अर्चना के अलावा अपने मन श्रद्धा के अनुसार लोग दान भी करते हैं।
भाद्रपद अमावस्या के दिन मां मंदाकिनी की पावन तट पर स्नान के पश्चात पितरों के लिए तर्पण और दान करने का विशेष महत्व है। शास्त्रों एवं ग्रंथों और पुराणों में ऐसा बताया गया है।
शास्त्रों और ज्योतिष में मान्यता है कि अमावस्या को मां मंदाकिनी की पावन तट पर तर्पण और पिंडदान करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद पूरे परिवार पर बरसता है। भाद्रपद की अमावस्या पर जप, तप, अनुष्ठान, साधना में बेहद महत्वपूर्ण विशेष महत्व सामग्री कुश को एकत्रित किया जाता है।
बड़े ही रोचक और गुप्त रहस्य के साथ सनातनी वैदिक विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा मां धरती से इसको निकालने का आज के ही दिन वृहद महत्वपूर्ण मुहूर्त होता है।
इसी कुश के द्वारा संपूर्ण वर्ष भर जप तप अनुष्ठान साधना होती है। भाद्रपद अमावस्या को कुशाग्रहणी या कुशोत्पत्नी अमावस्या भी कहा जाता है भाद्रपद अमावस्या पर संपूर्ण भारत के कोने-कोने से पैदल चलकर के साधनों के द्वारा पावन चित्रकूट धाम पर सभी माता पिता भाई-बहन आते हैं और मां मंदाकिनी का स्नान करने के तत्पश्चात् भगवान कामदगिरि का परिक्रमा करके भगवान कामदगिरि के चरणों में अपने तन मनऔर धन को अर्पण-तर्पण और समर्पण करके अपने राष्ट्र एवं संपूर्ण जीवन के सुखद सौभाग्य के लिए मनोकामना भगवान को सुनाते हैं।
और निश्चित ही उनकी मनोकामना को भगवान कामदगिरि सुनकर के पूर्ण करते हैं जो उनके जीवन में एक अद्भुत एवं विलक्षणता रूपी रहस्य के रूप में उनके सामने प्रगट होता है। अपनी श्रद्धा के अनुसार संपूर्ण चित्रकूट धाम तीर्थ में आकर के अपने चित् रूपी मन की एकाग्रता को लगन के साथ कामदगिरि की ओर लगाते हैं। भगवान को प्रणाम करते हैं और दुर्लभ लाभ को प्राप्त करते हैं और उनके जीवन में परम लाभ प्राप्त होता परिक्रमा करने के बाद दान करके संपूर्ण लाभ प्राप्त करते हैं।
-श्री विराट पंथाचार्य, आचार्य विराट जी महाराज श्री चित्रकूट धाम महातीर्थ