राकेश कुमार अग्रवाल
मोदी सरकार की दूसरी पारी के मंत्रिमंडल का आखिरकार बहुप्रतीक्षित विस्तार हो गया है . इस विस्तार के बहाने प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी – संगठन व देश के लिए एक साथ कई संदेश देने की कोशिश की है . दूरगामी रणनीति को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल विस्तार का ताना बाना बुना गया है . एक तरफ हर वर्ग को लुभाने की कोशिश के साथ सबको साथ में लेकर सबके विकास के स्लोगन को भी पार्टी ने आत्मसात करने का संदेश दिया है वहीं मंत्रिमंडल में सीनियर लीडर्स की जगह युवा चेहरों को तवज्जो देकर यह संदेश देने का प्रयास भी किया गया है कि प्रधानमंत्री मोदी एवं पार्टी नई लीडरशिप को तैयार करने के लिए युवा एवं तपे तपाए चेहरों को फ्रंट पर लाने का मन बना चुकी है .
2022 और 2023 में देश में तमाम राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है . इसके बाद 2024 में आम चुनाव होना है . 2022 की शुरुआत में ही 5 राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में चुनाव होना है . उक्त पांच राज्यों में से चार राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में पहले से ही भाजपा की सरकार है . केवल पंजाब में कांग्रेस पार्टी सत्ता में है . भाजपा के लिए आगामी विधानसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सत्ता हासिल करना एक बडा लक्ष्य है . केन्द्र में तमाम मंत्रियों पर कई कई विभागों की जिम्मेदारी थी . 2024 के लिए भाजपा के पास पर्याप्त वक्त था कि वह एक नया दांव चल सके . जिन राज्यों में चुनाव होना है उन राज्यों में संगठन को धार देने, चुनावी रणनीति बनाने , प्रत्याशियों का चयन करने जैसे तमाम बिंदुओं पर पार्टी को अंतिम रूप देना है . इसलिए पार्टी ने कई पुराने सीनियर नेताओं को जो कई कई बार मंत्रीपद का सुख भी ले चुके हैं उनसे इस्तीफा मांग लिया ताकि उनकी योग्यता , संगठन कौशल व चुनावी रणनीति का जिम्मा सौंप कर कर उन्हें उन राज्यों में भेजा जा सके जिन राज्यों में चुनाव होना है .
रमेश पोखरियाल निशंक , संतोष गंगवार , रविशंकर प्रसाद , डा. हर्षवर्धन को संगठन और राज्यों के चुनावी प्रबंधन से जोडा जाना तय है . इसके साथ ही एक झटके में कई सीनियर व धुरंधरों को जिन्हें मंत्रिमंडल का अनिवार्य चेहरा माना जाता था के इस्तीफे मांग कर मोदी ने एक साथ कई प्रयोगों का रास्ता भी खोला है . साथ में एक संदेश ये भी है कि या तो परफार्म करो या फिर नए व युवा जोश के लिए रास्ता खाली करो . जिन मंत्रियों से इस्तीफे मांगे गए उनमें से कोई ऐसा नहीं है जो पार्टी या नेतृत्व के खिलाफ बगावत पर उतर आए . उत्तर प्रदेश पार्टी के एजेंडे में शीर्ष पर है यह साबित करने के लिए इस विस्तार में यूपी को भरपूर तवज्जो दी गई है . अनुप्रिया पटेल , अजय मिश्रा , भानु प्रताप सिंह वर्मा , बी एल वर्मा , कौशल किशोर , पंकज चौधरी व सत्यपाल सिंह बघेल समेत सात लोगों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है . जिन 36 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है उनमें से 40 फीसदी मंत्री उन राज्यों के हैं जिन राज्यों में निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव होना है . पार्टी ने यूपी से मंत्री तो कई सारे बना दिए . यूपी के कद व आबादी के मुताबिक उसे मंत्रिमंडल में पर्याप्त प्रतिनिधित्व भी मिल गया है . लेकिन ये मंत्री अपने अपने क्षेत्र के लिए कुछ योजनाओं को लाने व क्रियान्वित करा पाने की स्थिति में रहे तब तो पार्टी को इस विस्तार का सही फायदा मिलेगा . अन्यथा ज्यादातर मंत्री उद्घाटन और समापन समारोहों में मुख्य अतिथि बनकर रह जाते हैं . इससे भले विधानसभा चुनावों में लाभ मिल जाए लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में लाभ न मिल पाएगा .
प्रधानमंत्री मोदी ने मंत्रिमंडल विस्तार में महिलाओं का भी खास ख्याल रखा है . ओबीसी वर्ग को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला है . विभिन्न वर्गों का समायोजन मंत्रिमंडल में किया गया है . एक तरह से चुनावी तैयारियों के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने मोहरे बिठाने शुरु कर दिए हैं . ब्लाक प्रमुख चुनावों के बाद उत्तर प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज जाएगी . यदि कोरोना की तीसरी लहर का खौफ न रहा तो आने वाला समय जोरदार चुनावी सर्कस का गवाह बनेगा . मंत्रिमंडल विस्तार केवल पार्टी से जुडे लोगों के समायोजन की कवायद थी या फिर इसका लाभ भी भाजपा को मिलेगा इसको परखने में थोडा इंतजार करना पडेगा कि मंत्रिमंडल विस्तार का यह दांव कितना कारगर होगा .