प्रतापगढ़। मनरेगा योजना में बड़ा घोटाला, यूपी सरकार को इस तरह लगाया गया करोड़ों रुपये का चूना। विकासखंड मांधाता के 101 ग्राम सभाओं में से अधिकांश ग्राम सभा में ग्राम प्रधान सचिव और तकनीकी सहायक मिलकर कर रहे हैं मनरेगा के कार्यों में लाखों रुपए का गबन।
मनरेगा भ्रष्टाचार में टॉप क्लास के ग्राम सभा गौरा,खमपुर, लिलौली,गुडरु,तरौल, पूरेतोराई,बगियापुर, जुड़ापुर,जगदीशपुर भरतपुर (बुआपुर),पुरेबसावन समेत अन्य कई गांव शामिल हैं।
इन ग्राम सभाओं में कोई प्रधान का भाई भाभी बेटी बेटा अन्य सगे संबंधी यहां तक कि वर्तमान बीडीसी पूर्व प्रधान का बेटा लाखों रुपए का आलीशान बनाए घर के लोग परदेश में रह रहे लोग धंधा बिजनेस करने वाले लोगों को श्रमिक दिखाकर भुगतान कराया गया।
वहीं दूसरी ओर अधिकांश कार्य कागजों में ही पूरे हो गए जबकि धरातल पर कुछ भी नहीं, मनरेगा कार्यों को श्रमिकों की जगह मशीनों से कराया गया है और और सगे संबंधियों का जॉब कार्ड बनाकर भुगतान कर जमकर पैसों का बंदर बांट हो रहा है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की शुरुआत बेरोजगार गरीबों के कल्याण के लिए की गई थी लेकिन सरकार के विकास की यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है कहीं फर्जी जाब कार्ड बनाकर गरीबों के हक की रकम अमीरों के हवाले कर दी गई तो कहीं कागजों में विकास की गंगा बहाकर धन का गबन हुआ।
विकास खंड मांधाता के बीडीओ व जिले के डीसी मनरेगा के आशीर्वाद से क्षेत्र के कई गांवों मनरेगा के कार्यों में जमकर घोटाला हुआ है पिछले एक महीनों से साक्ष्यों के साथ मनरेगा में हुए घोटाले को पत्रकारों की टीम बराबर उजागर कर रही है लेकिन जिले में बैठे अफसर की तानाशाही की वजह से मनरेगा योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है।
खबर चलने के बाद भी साहब के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही योगी सरकार जीरो टॉलरेंस पर काम कर रही है तो वहीं ब्लॉक मांधाता से लेकर जिले के आलाधिकारी योगी जी के इस जीरो टॉलरेंस में पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे है।
अफसरों की मिलीभगत और तानाशाही के चलते गरीबों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है अब देखना यह है कि जिले के हुक्मरानों की कब नींद खुलती है और कब गरीबों के निवाले पर डाका डाल रहे डकैतों के ऊपर कब कार्यवाही होती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ब्लॉक से लेकर जिले तक जितने भी जिम्मेदार अफसर हैं वह सब मीडिया के सवालों से भागते हुए नजर आते हैं ऐसे में बड़ा सवाल? आखिर ऐसे भ्रष्ट प्रधानोंं और सचिवों के ऊपर आखिर कौन करेगा कार्रवाई।
रिपोर्ट- अवनीश कुमार मिश्रा, प्रतापगढ़