संदीप रिछारिया(वरिष्ठ संपादक)
चित्रकूट। मन्दाकिनी नदी के अजब रंग है। साल भर में आने वाली बाढ़ से जहाँ इसे नया यौवन मिल जाता है, वही बाकी के महीनों में इसकी सफाई के लिए हल्ला होता रहता है।
वैसे बहुत मजेदार बात यह है कि दो साल पहले रामघाट में सीढ़ियों की मरम्मत के लिए पर्यटन विभाग ने सिचाई विभाग को पैसा दिया। पूर्व अधिशाषी अभियंता अमरनाथ गुप्ता मिर्जापुर से ठेकेदार लेकर आये। पानी रोकने के लिए लाखों बोरिया बालू से भरी मन्दाकिनी में डलवा दी। 9 दिन चलै अढ़ाई कोस की तर्ज पर सीढ़ियों के सुंदरीकरण आधा अधूरा किया गया। ठेकेदार को रनिग पेमेंट के साथ पूरा पैसा देकर विदा कर दिया गया। लेकिन नदी में डाली गई बोरिया नही निकलवाई गई। वैसे बोरियो के नदी में पड़े होने की जानकारी स्थानीय लोगो ने शासन प्रशासन के अधिकारियों व नेता मंत्री सबको दी, पर जब सिचाई व पर्यटन के अधिकारियों के साथ पूर्व डीएम की क्लीन चिट मिल गई तो फिर कौन किसकी सुनता है। कईं बार बुंदेली सेना के जिलाध्यक्ष अजीत सिंह ने ज्ञापन दिए खुद सैकड़ो बोरिया निकाली। समाजसेवी अरुण गुप्ता मुन्ना भी लगातार बोरियो को निकलवाने के लिए लगे रहे, पर इन सबकी गुहार नक्कार खाने की तूती साबित होती रही। अब यही से कहानी का दूसरा मोड़ आता है। मन्दाकिनी की सेवा करने का पोस्टर मीडिया में दम्भ भरने वाले कामतानाथ चढ़ती परिक्रमा के महंत जगदगुरु रामस्वरूपाचार्य के भाई मदन गोपाल दास ने स्फटिक शिला और भरतघाट में दो छोटी छोटी बैठक मीडिया के लिए की और जिलाधिकारी व कुछ भाजपा नेताओं से अनुमोदित करा अपने आपको मन्दाकिनी का सबसे बड़ा हितैषी केंद्र सरकार से घोषित करवा दिया।
फिलहाल मध्य प्रदेश के एरिया नयागांव के सीएमओ रमाकांत शुक्ल द्वारा लाकडाउन में नदी पर बने छोटे से बांध के सभी फाटक खुलवा देने पर जल का स्तर कम होने से नदी में पड़ी बोरिया दिखाई देने लगी। 5 दिन पूर्व रामघाट स्थित पर्णकुटी मन्दिर के महंत राजेन्द्र तिवारी, गो सेवक संदीप तिवारी अपनी टीम के साथ जुट गए और अभी तक लगभग हजारो बोरिया बाहर निकाल लाये।