मल्टी लेयर फॉर्मिंग- आम के आम गुठलियों के दाम वाली खेती की पद्धति

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कौशाम्बी | द्वाबा की माटी अब किसानो के लिए वरदान साबित होने वाली है | बृहस्पतिवार को मूरतगंज के नरवरपट्टी ग्रामसभा के देवरा गांव में वैज्ञानिको ने किसानो को एक कार्यशाला कर प्रशिक्षण दिया | प्रशिक्षण में किसानो को बताया गया कि वह कैसे एक समय में खेत में सीमित संसाधन का प्रयोग कर कई फसल पाई जा सकती है |
 
मूरतगंज ब्लाक के देवरा गांव में सरकारी और गैर-सरकारी संसाधनों की मदद से किसानो की कार्यशाला मल्टी लेयर फार्मिंग विषय पर आयोजित की है | कार्यक्रम में गांव के किसानो को पहले एक ही समय में खेत से कई उन्नतशील फसल कैसे पाई जा सकती है इसकी व्यापक जानकारी दी है | कृषि विज्ञानं केंद्र से आये वैज्ञानिक डॉ अजय सिंह ने किसानो को बताया कि यह खेती की उन्नतशील तकनीकी है, जिसमे किसान भाई एक समय में फसल की हाइट के हिसाब से, पैदावार के समय के हिसाब से एक ही स्थान पर फैसले प्राप्त की जा सकती है | ग्राउंड लेवल की कुछ फैसले जैसे हल्दी, अदरक इसके आलावा जमीन की ऊपरी हिस्से में होने वाली कम हाइट की फसले, और लता वाली फसलों को लगा कर पैदावार पाई जा सकती है | इस तरह मल्टी लेयर फार्मिंग कर किसान प्राकृतिक आपदा होने पर अपने नुकसान को कम से कम स्तर तक ले जा सकते है | केवीके ने इस फार्मिंग पद्धति को गंगा और यमुना नदी के द्वाब में बसे कौशाम्बी के प्रयोग के तौर पर शुरू कर दिया है | अब तक जनपद के अलग-अलग हिस्से में आधा दर्जन से अधिक किसान इस तकनीकी से खेती शुरू कर चुके है | 
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कर्मठ सिपाही ने गांव में शुरू की पहल 
 
गौरतलब है कि परंपरागत खेती करना किसानो के लिए कितना जोखिम भरा है, यह पिछले कुछ सालो की प्राकृतिक आपदा में साबित हो चुका है | आपदा के समय किसानो के होने वाले नुकसान को कम करने के लिए ग्राम गौरव कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कर्मठ सिपाही राजेंद्र प्रसाद ने पहल शुरू की थी | गांव की माटी से जुड़कर पण्डित दीनदयाल धाम मथुरा के पूर्व निदेशक राजेंद्र प्रसाद ने अब तक मूरतगंज ब्लाक के नरवर पट्टी ग्राम सभा के सभी मजरों में उन्नतशील खेती के लिए युवा किसानो को किसान पाठशाला के जरिये खेती की अत्याधुनिक तकनीकी से रूबरू करा रहे है | राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि देश और प्रदेश की सरकार की मंशा है कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का विकास हो | जिसके लिए सबसे पहले खेत और किसानो को उन्नतशील बनाना होगा | उसी की दिशा में उन्होंने काम शुरू कर दिया है | 
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