मेरा चांद मुझे आया है नज़र…

रायबरेली। सुहागिनों का प्रमुख पर्व करवा चौथ सादगी के साथ मनाया गया। महिलाओं ने अखंड सुहाग के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखा। अंधेरा छाते ही घरों की छतों पर रौनक बढ़ गई। चंद्रमा के दर्शन के लिए सुहागिनों के साथ पति और बच्चे भी उतावले रहे। चांद निकलने पर बच्चे खुशी से चहक उठे। वहीं लोगों ने गोले दागकर खुशी जताई। चंद्र पूजन के बाद चांद की रोशनी में सुहागिनों ने अपने पतियों के दर्शन किए। चंद्र को अर्घ्य देकर पतियों के दीर्घायु होने की कामना की।


हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं का सबसे प्रमुख पर्व करवा चौथ पति के दीर्घायु होने की कामना के लिए होता है। सुबह से ही सुहागिन महिलाओं में करवा चौथ को लेकर उत्साह रहा। महिलाओं के लिए यह व्रत काफी कठिन होता है। इसमें व्रती महिलाएं जल भी ग्रहण नहीं करती हैं। इस दौरान पूरे दिन घरों में स्वादिष्ट व्यंजन बने। करवा चौथ पर समूह में जुटी महिलाओं ने हाथों में मेंहदी रचाने के साथ ही मंगल गीत गाए। शाम को पूजन से पहले महिलाओं ने शृंगार किया। इस पर्व में महिलाओं के लिए करवा चौथ को निकलने वाला चांद काफी महत्वपूर्ण होता है। सूरज के ढलते ही चांद के दीदार के लिए महिलाएं घरों की छतों पर पहुंच गई। उनके साथ बच्चे और परिवारीजन भी पहुंच गए। इंतजार का एक-एक पल सभी के लिए रोमांचकारी रहा। काफी इंतजार के बाद चंद्र दर्शन हुए, तो महिलाओं ने आरती, पूजन और अर्घ्य दिया। महिलाओं ने कलश सजाकर पूजन के बाद अपने पति के दर्शन भी किए। उनके दीर्घायु की कामना की। सास-ससुर से आशीर्वाद लिया। वहीं कई स्थानों पर समूह में महिलाओं ने करवा चौथ पर पूजन किया।

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