योगी आदित्यनाथ – एक तेजतर्रार राजनेता

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राकेश कुमार अग्रवाल
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के चार साल पूरे कर लिए हैं . इतने लम्बे समय तक शासन करने वाले वे प्रदेश के पहले भाजपाई मुख्यमंत्री बन गए हैं . इसके पहले भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर बैठने का सौभाग्य कल्याण सिंह , राजनाथ व रामप्रकाश गुप्त को मिल चुका है . कल्याण सिंह को तो दो बार मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला . लेकिन योगी पहले भाजपाई मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं जो अपना कार्यकाल पूरा करेगें . सवाल उठता है कि राजनीति में योगी का मतलब क्या है . योगी जी ने इन चार सालों में प्रदेश में किस तरह की राजनीति की है एवं उनका शासन प्रशासन किस तरह का रहा है .
योगी आदित्यनाथ को उग्र हिंदुत्व की राजनीति का चेहरा माना जाता है . भाजपा द्वारा अयोध्या में राममंदिर को लेकर शुरु की गई राजनीति ने देश में तमाम फायरब्रांड नेताओं की पौध खडी कर दी थी . उमा भारती , विनय कटियार जैसे तमाम नेताओं ने इसी कमंडल की राजनीति से अपनी जडें जमाई व राजनीति में अपनी पहचान व पकड बनाई . योगी आदित्यनाथ इसी प्रखर हिंदुत्व की पैरोकारी वाले राजनीतिज्ञ के रूप में उभरे और महज 26 साल की उम्र में चुनकर संसद पहुंच गए . उस समय तक किसी को यह भान भी न था कि यही नवयुवक एक दिन प्रदेश में सत्ता की बागडोर संभालेगा . 2017 में चार साल पहले नेतृत्व की गणित कुछ ऐसी बैठी कि भाजपा के पर्यवेक्षक दल ने योगी आदित्यनाथ के नाम पर मोहर लगाकर उन्हें प्रदेश की कमान सौंप दी .
तब भी प्रदेश में पार्टी से लेकर विपक्ष एवं प्रदेशवासियों में एक बडा संशय था कि क्या योगी अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे ? या उन्हें भी कुछ समय बाद अपदस्थ कर नेतृत्व दूसरे नेता को प्रदेश की सत्ता की कमान सौंप देगा . ऐसे भी कयास थे कि प्रशासनिक अनुभवहीनता के चलते योगी शायद ही लम्बी पारी खेल पाएँ . यह भी संभावना जताई जा रही थी कि हो सकता है कि वे इतने बडे प्रदेश को शायद न संभाल पाएँ . लेकिन सारी संभावनाओं को धता बताकर वे भाजपा के अब तक के सबसे तेजतरार व बोल्ड फैसले लेने वाले मुख्यमंत्री के रूप में उभर कर सामने आए हैं . इतना ही नहीं तमाम राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं लेकिन योगी अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रिओं के मुकाबले में सबसे ज्यादा चर्चित चेहरा हैं . और तो और उन्होंने अपनी राष्ट्रीय स्वीकार्यता भी बना ली है .
योगी की सबसे बडी खूबियों में यह शामिल है कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को अपना नेता माना है . मोदी को राम तो अपने को उनका हनुमान बनाकर पेश करने का परिणाम यह हुआ है कि पार्टी नेतृत्व इस बात से बेफिक्र है कि मुख्यमंत्री योगी काॅम्पटीटर बनकर प्रधानमंत्री के समकक्ष आने की कोशिशों में नहीं है . वे हमेशा हर जनसभा व मीटिंग में न केवल प्रधानमंत्री की नीति व निर्देश आदि का हवाला देते हैं . बल्कि किसी काम के पूरा होने का क्रेडिट भी प्रधानमंत्री को देते हैं . राजनीति में महत्वाकांक्षी होना बुरा नहीं है लेकिन अपनी महत्वाकांक्षा प्रकट कर उसको पाने का जतन करने पर शीर्ष नेतृत्व द्वारा तत्काल पर कतर दिए जाते हैं .
योगी की दूसरी बडी खूबी यह है कि वे प्रखर व ओजस्वी वक्ता हैं . जो बिना कागज लिए घंटों मंच और माइक संभाल सकते हैं . जिस राजनीतिज्ञ में यह खूबी होती है उसके आगे बढने की संभावना बढ जाती है . वे पार्टी के उन नेताओं में शुमार किए जाते हैं जिन्हें पार्टी पूरे देश में चुनाव प्रचार के लिए भेजती है . योगी की एक बडी खूबी यह भी है कि वे अपने दृढ व सख्त फैसलों के लिए जाने जाते हैं . फैसला गलत है या सही यह चर्चा का विषय हो सकता है लेकिन योगी जी फैसले पर अमल के लिए सख्त हो जाते हैं . कोरोना काल में जमात ए इस्लामी के खिलाफ लिया गया एक्शन हो या सख्त लाॅकडाउन या फिर बिकरू कांड को अंजाम देने वाले विकास दुबे पर की गई कार्यवाही या फिर माफियाओं द्वारा अर्जित अवैध सम्पत्तियों पर गरजा बुलडोजर योगी किसी भी निर्णय में पीछे नहीं हटे .
सादगी से रहने वाले योगी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद भी कभी अपनी स्टायल को नहीं बदला . न पहनावा से न ही अपने अंदाज से उन्होंने अपने को बदला . योगी त्वरित फैसलों व कार्यवाहियों के लिए भी जाने जाते हैं . उन्होंने इसके लिए आईएएस , आईपीएस अधिकारियों को भी नहीं बख्शा .
चार वर्ष के कार्यकाल में योगी कभी लाचार या बेबस नहीं दिखे . उन्होंने तेजतर्रार ढंग से फैसले लिए और उन्हें लागू किया है . लेकिन ऐसा भी नहीं है कि विपक्ष के पास योगी को घेरने के लिए कोई मुद्दा नहीं है . योगी के सत्तारूढ होने के बाद हुए अधिकांश चुनावों में भाजपा ने बेहतर परिणाम दिए हैं . पंचायत चुनाव की रणभेरी बजने वाली है इसके बाद विधानसभा चुनाव का बिगुल फुंक जाएगा . योगी सत्ता में दोबारा लौटेंगे या नहीं . उनको दोबारा जनादेश मिलेगा या नहीं इसका जवाब एक साल बाद मिलेगा . इतना तो तय है कि योगी अपना पहला कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं . यह उनके लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं होगा क्योंकि अभी तक के भाजपाई मुख्यमंत्रिओं में रामप्रकाश गुप्ता लगभग एक वर्ष , राजनाथ सिंह लगभग डेढ साल व कल्याण सिंह लगभग साढे तीन साल मुख्यमंत्री रहे हैं . 48 वर्षीय योगी के लिए लम्बी पारी खेलने का मौका है .

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