अमावां(रायबरेली) अमावां ब्लॉक के जेतुवा स्थित गोशाला में सरकार द्वारा तो कागजो पर लाखों खर्च हो गया लेकिन वास्तव में इसकी स्थित देखने योग्य है।
इस गोशाला में प्रतिवर्ष लाखों रुपए खर्च किये जाते है लेकिन व्यवस्था के नाम पर मात्र मजाक किया जाता है । इस गोशाला में लगभग 200 जानवर है । लेकिन इन जानवरों को न भूषा मिल रहा है और न ही इनके रहने की समुचित व्यवस्था है। बारिश में तो आये दिन जानवर बीमारियों से मर रहे है। इन जानवरों की देखरेख के लिये 4 लोग रहते है जिनमे से शिवनाथ, रामखेलावन, मिश्री लाल, जामिन अली रहते है। जिसमे से मौके पर शिवनाथ, रामखेलावन ही मौजूद रहे ।
इनसे पूंछने पर पता चला कि हरा चारा या कोई पशु आहार नही आता है।इन जानवरों को यही भूसा दिया जाता है।मात्र एक ही टीन शेड रखी है उसी में जो जानवर रहते है। जिम्मेदारों ने कागज पर सब सही दिखाकर पेमेंट करा ली है। कमीशन खोरी का जीता जागता उदाहरण है। इस गोशाला के निर्माण में नीचे से लेकर ,ऊपर तक बंदर बाँट किया गया है। इसीकारण तो कोई जांच करने भी नही जाता। उप जिलाधिकारी अंशिका दीक्षित ने कुछ महीनों पहले ही गोशालाओं का निरीक्षण किया गया था। उसके बाद भी यह दशा है जबकि सरकार द्वारा गौशालाओ को लेकर लगातार ध्यान देने के लिए निर्देश जारी कर रहे हैं लेकिन इस गौशाला की जमीनी हकीकत कुछ और बयान कर रही हैं।
अनुज मौर्य/मनीष श्रीवास्तव रिपोर्ट