लाॅकडाउन पार्ट-2 में और भी ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत – अभय महाजन

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पहाड़ पर बसे जंगल के गांव थरपहाड़ में जनजातीय परिवारों तक पहुंची राशन सामग्री

चित्रकूट। वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन ने अब हर वर्ग के व्यक्ति की कमर तोड़कर रख दी है। खास तौर पर गरीब और मजदूर वर्ग को लाॅकडाउन ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। देश में डेली गड्ढा खोदकर पानी पीने वालों की संख्या अधिक है। अभी तक 21 दिन का लॉकडाउन और अब लाॅकडाउन के पार्ट-2 की शुरुआत ने गरीब वर्ग के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है।

ऐसे हालात में शासन-प्रशासन के साथ सामाजिक संस्था और देश के संकट काल में कंधे से कंधा मिलाकर समाज के हर वर्ग की चिंता करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता गरीबों और निराश्रितों के लिए देवदूत बनकर सेवा कार्य में लगे हुए हैं।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन के विचारों को मूर्त रूप देते हुए समाज के निचली पंक्ति के व्यक्ति की चिंता करने वाले भारत रत्न नानाजी देशमुख का प्रकल्प दीनदयाल शोध संस्थान भी आपदाकाल में अपना समाज धर्म निभा रहा है।

दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में अति जरूरतमंद परिवारों जिसमें गरीब, विधवा महिला, भूमिहीन मजदूर, दिव्यांग, बेसहारा वृद्ध और निराश्रित लोगों को राशन की सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। ग्रामीण स्तर पर संस्थान के सहयोगी कार्यकर्ताओं के द्वारा जन जागरूकता का कार्य भी किया जा रहा है, साथ ही फसल कार्य के दौरान सामाजिक डिस्टेंसिंग को बनाए रखने व घर पर ही रहने सहित लाॅकडाउन का पालन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

लाॅकडाउन के कारण जरूरतमंद परिवारों को जीवन जीने के लिए इस संकट के समय तात्कालिक सहयोग के रूप में राशन सामग्री का वितरण किया जा रहा है एवं कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए मास्क का वितरण भी किया जा रहा है।

गोदावरी मोड़ के आगे पहाड़ पर बसे जंगल के गांव थरपहाड़ के जनजातीय आदिवासी परिवारों को समाज के सहयोग से राशन सामग्री मुहैया कराई गई। राशन सामग्री पाकर सबके चेहरे खिल उठे। ऐसा लग रहा था मानो कामतानाथ भगवान ने उनकी प्रार्थना सुन ली हो और देवदूतों को उनकी सेवा के लिए भेज दिया हो। इस अवसर पर श्री कामदगिरि प्राचीन मुखारविंद के महंत सत्यप्रकाश दास जी महाराज, दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन, नगर पंचायत चित्रकूट के सीएमओ रमाकांत शुक्ला, नायब तहसीलदार गणेश देश भृतार, कामदगिरि प्राचीन मुखारविंद के पुजारी पंडित रोहित महाराज सहित खोही के समाजसेवी महेश पटेल,शनि मंदिर ब्रह्मकुंड के सत्ता बाबा, ग्रामीणों के बीच में रहे।

दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव श्री अभय महाजन अपने कार्यकर्ताओं की टोली के साथ रोजाना चित्रकूट में श्री कामदगिरि परिक्रमा मार्ग एवं जंगलों के विभिन्न स्थानों पर जहां बहु संख्या में बंदर एवं जीव-जंतुओं के साथ गोवंश है, वहां सेवा कार्य करते हुए भोजन प्रसाद की चिंता कर रहे हैं।

इसके अलावा चित्रकूट क्षेत्र के दूरदराज जंगलों में कई ऐसे दुर्गम स्थान है, ये स्थान आम आदमी की पहुंच से काफी दूर है। ऐसे जंगलों की खोह-कंदराओं में अपना आश्रम बनाकर तपस्या कर रहे साधु-संतों को राशन सामग्री भेजी जा रही है। आश्रमों में संतों की आवश्यकता अनुसार उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है, साथ ही आरोग्यधाम के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ वरूण गुप्ता उनका सुगर लेवल भी चेक कर रहे हैं।

दीनदयाल शोध संस्थान के प्रकल्प उद्यमिता विद्यापीठ, जन शिक्षण संस्थान और कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से गांव-गांव में संचालित किए गए सिलाई प्रशिक्षण के ट्रेनीजों को कपड़ा उपलब्ध कराकर मास्क तैयार कराए जा रहे हैं। अभी तक लगभग 12 हजार मास्क ग्रामीण क्षेत्रों में एवं नगर में वितरित किए जा चुके हैं। इसके साथ ही हैंड सैनिटाइजर भी वितरित किए गए हैं।

संस्थान के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के द्वारा मोबाइल एवं व्हाट्सएप एडवाइजरी के माध्यम से किसानों को फसल कटाई एवं कृषि यंत्रों के प्रयोग के समय कोविड-19 से बचाव के तरीकों के साथ कृषिगत समस्याओं का समाधान भी किया जा रहा है।

संगठन सचिव अभय महाजन का कहना है कि सेवा करके हम लोगों पर परोपकार नहीं कर रहे हैं, बल्कि जो सेवित हैं वह हमसे सेवा लेकर हमारे ऊपर ही उपकार कर रहे हैं। सेवा हमारा समाज धर्म है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह देश में कोरोना का संक्रमण जिस गति से बढ़ रहा है, उसको देखते हुए लाॅकडाउन पार्ट-2 माननीय प्रधानमंत्री जी ने लागू किया है। इसके बाद हमारे सामने और भी ज्यादा चुनौतियां हैं। अब और अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। इसीलिए राष्ट्रहित में लाॅकडाउन का पालन हम सबको पूरी ईमानदारी से करना ही चाहिए। भले ही चित्रकूट एवं सतना जिला कोरोना के संक्रमण से मुक्त है फिर भी सावधानी, सजगता, सतर्कता और समझदारी ही नोबेल कोरोना वायरस से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय है।

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