वित्त नियंत्रक शिक्षा निदेशालय उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के पत्र में है कई राज
रायबरेली – शिक्षा के नाम पर होते भ्रष्टाचार का मामला कोई नया नहीं है समय-समय पर निकल कर सच सामने आता रहा है। मामला वसी नकवी नेशनल इंटर कॉलेज रायबरेली का है वित्त नियंत्रक शिक्षा निदेशालय उत्तर प्रदेश इलाहाबाद ने जिला विद्यालय निरीक्षक रायबरेली को पत्र लिखकर वर्ष 2016 में वसी नकवी नेशनल इंटर कॉलेज रायबरेली की अनुपालन आख्या प्रेषित करने को लेकर पत्र लिखा था इस पत्र में लाखों के गबन ओने -पौने दामों में भू संपत्तियों की बिक्री संबंधित राज दफन है। पत्र में लिखा गया है कि संस्था में मान्यता संबंधी मूल अभिलेख अनुरक्षित नहीं है। पूर्व प्रबंधक द्वारा संस्था की अवैध रूप से भू संपत्ति बेची गई जिसकी कीमत लगभग ₹40,46,000 का गबन है। संपत्तियों के 2 प्लाटों की बिक्री से प्राप्त संभावित आय 2,48,769 का गबन। तो वहीं इस बात का जिक्र है कि पूर्व प्रबंधक द्वारा संस्था को तथ्यगोपन आधार पर अल्पसंख्यक संस्था बनाने का अनुचित प्रयास किया गया था। अनुरक्षण खातों को निजी खातों की भांति प्रयोग किया गया। बात यहां पर भी नहीं खत्म होती है वर्षों से विवाद प्रबंधक समिति को लेकर भी है लेकिन उसका भी फैसला अभी तक नहीं हो सका है। कोर्ट में दांव पेच के बाद सवाल शिक्षा व्यवस्था का है क्या जिला विद्यालय निरीक्षक रायबरेली को मौजूदा स्थिति का आकलन नहीं है? क्या उन्होंने स्थिति को स्पष्ट करने का प्रयास किया है? इसका कोई ठोस जवाब नहीं है कागजों में दफन जांच रिपोर्ट आरोप-प्रत्यारोप प्रत्यक्ष प्रमाण है की वसीम नकवी नेशनल इंटर कॉलेज में भ्रष्टाचार का खेल खुले तौर पर हुआ था जिस की जवाबदेही तय नहीं की गई थी। इन सभी समस्याओं के बीच सबसे ज्यादा तरस आ चुके हैं विद्यालय में तैनात शिक्षक जो कभी वेतन के लिए तरसते हैं तो कभी जिम्मेदार विभाग के चक्कर लगाते हुए उनकी जिंदगी कट रही है।
वेतन भुगतान में भी होती है मनमानी
पत्र इस बात का इशारा करते हैं जिला विद्यालय निरीक्षक को सब कुछ है मालूम
9 नवम्बर 2020 को वित्त एवं लेखाधिकारी जिला विद्यालय निरीक्षक रायबरेली को पत्र लिखकर साफ तौर पर कहा वसी नकवी नेशनल इंटर कॉलेज रायबरेली के माह जुलाई 2020 से अक्टूबर 2020 तक वेतन भुगतान कराया जाए। पत्र में आगे जिक्र किया गया है कि प्रबंधक द्वारा पत्र को अवैधानिक घोषित करते हुए माह जुलाई 2020 से अक्टूबर 2020 तक के वेतन बिल पर आपत्तियों के साथ हस्ताक्षर किया गया है। जिसमें चार प्रमुख आपत्तियां हैं कि प्रदीप कुमार वरिष्ठ प्रवक्ता को अवैधानिक नियम विरुद्ध प्रधानाचार्य का गलत वेतन भुगतान रोका जाए। जगदंबा सिंह व संजय त्रिवेदी को गलत रूप से प्रवक्ता का दिया जा रहा वेतन भुगतान रोका जाए जबकि यह दोनों सहायक अध्यापक हैं। रंजीत कुमार सिंह की अवैधानिक नियम विपरीत नियुक्ति दर्शा सहायक अध्यापक का वेतन भुगतान रोका जाए। अनीता भारती फर्जी परिचालक की नियुक्ति दर्शा गलत वेतन भुगतान रोका जाए। यही नहीं एक पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि प्रबंध समिति का चुनाव को विधि सम्मत ना पाते हुए अमान्य किया गया है। प्रधानाचार्य द्वारा शिक्षकों शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का वेतन एकल संचालन के माध्यम से किए जाने का भी मांग किया गया है।
प्रबंधक ने कहा बेबुनियाद हैं आरोप
प्रकरण के संबंध में जब प्रबंधक से बात की गई तो उन्होंने उन्होंने टेलिफोनिक बयान में बताया है उन पर लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद हैं। बड़ी साजिश के तहत उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा है माननीय कोर्ट पर उन्हें पूरा विश्वास है। प्रबंधक ने यह भी बताया है कि अभिलेख 2016 के है।