विदेश में जा बसे भारतीय बजा रहे हैं डंका

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राकेश कुमार अग्रवाल
भारतीय मां और जमैकाई पिता की संतान 56 वर्षीय कमला हैरिस ने अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है . कमला हैरिस पहली अश्वेत भारतवंशी और अफ्रीकी अमेरिकी हैं . कमला हैरिस 20 जनवरी को शपथ ग्रहण करेंगी .
2016 में पहली बार सीनेटर चुनी गईं कमला अपने आक्रामक लहजे के लिए जानी जाती हैं . हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढीं कमला ने घरेलू हिंसा और बाल यौन शोषण के मामलों में प्रोसीक्यूटर के तौर पर अपना करियर शुरु किया था . उनकी मां का संबंध चेन्नई से था . वे स्तन कैंसर की शोधकर्ता थीं . युवावस्था से ही कमला रंगभेद से जुडे मसले उठाती रही हैं.
भारतीय मूल के किसी व्यक्ति का किसी देश में शासन या प्रशासन में प्रतिनिधित्व करने का यह कोई पहला मामला नहीं है . लेकिन दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के उपराष्ट्रपति पद पर पहुंचना एक बडी उपलब्धि है .
लोकसभा सांसद प्रसून बनर्जी द्वारा पूछे गए सवाल के जबाव में विदेश मंत्रालय ने जानकारी उपलब्ध कराई थी कि दुनिया के 208 छोटे बडे देशों में बसे भारतीयों की संख्या एक करोड 36 लाख 20 हजार है . हालांकि अपुष्ट आँकडे विदेशों में बसे भारतीयों की संख्या दो करोड से अधिक बताते हैं. कम से कम 11 देश ऐसे हैं जहां पांच लाख से ज्यादा प्रवासी भारतीय रहते हैं .
ग्रैंड ओल्ड मैन के नाम से मशहूर शिक्षक , अर्थशास्त्री , स्वतंत्रतता संग्राम सेनानी दादा भाई नौरोजी को आप प्रवासी भारतीयों का सिरमौर कह सकते हैं जो 1892 के चुनाव में ब्रिटेन में जीतकर संसद पहुंचे थे . वे ब्रिटेन में सांसद चुने जाने वाले पहले भारतीय थे . आज दुनिया के एक दर्जन से अधिक देशों में प्रवासी भारतीयों ने अपना डंका बजा रखा है . वर्तमान में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जाॅनसन के मंत्रिमंडल में गुजराती मूल की प्रीति पटेल अहम गृहमंत्री का पद भार संभाले हुए हैं . प्रीति पटेल 2010 में सांसद चुनी गईं थीं . 2014 में वे कोषागार मंत्री बनीं . 2015 में उन्हें रोजगार मंत्री बनाया गया था . ब्रिटेन मंत्रिमंडल में ही आगरा यूपी के आलोक शर्मा को अंतर्राष्ट्रीय विकास राज्य मंत्री बनाया गया है . जबकि 2017 में वे आवास मंत्री थे . रिचमंड से सांसद 49 वर्षीय ऋषि सुनक को कोषागार का मुख्य सचिव बनाया गया है . कमोवेश यही स्थिति मिनी पंजाब के नाम से मशहूर कनाडा की है . जहां जस्टिन ट्रूडो मंत्रिमंडल में 4 भारतीय मंत्री पद सुशोभित कर रहे हैं . टोरंटो यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर अनिता आनंद कनाडा में पहली हिंदू मंत्री बनी हैं . हरजीत सज्जन को रक्षा मंत्री , नवदीप बैंस को विज्ञान एवं उद्योग एवं बर्दिश चग्गर को युवा मामलों का मंत्री बनाया गया है . बर्दिश चग्गर इसके पहले लघु उद्योग एवं पर्यटन मंत्री रह चुकी हैं .
देखा जाए तो विदेश जाने वाले लोगों में कोई मजदूर या कामगार के रूप तो कोई शिक्षक , अनुसंधान कर्ता , डाॅक्टर , वकील , साॅफ्टवेयर इंजीनियर तो कोई प्रबंधक के रूप में विदेश गया . वे विदेश में न केवल रचे बसे बल्कि उन्होंने अपने व्यवहार कौशल से लोगों का दिल भी जीता . आप इसे हिंदुस्तानी मिट्टी या यहां की परवरिश का गुण भी कह सकते हैं कि नेतृत्व करना भारतीयों के गुण सूत्र में शामिल है . तभी तो तमाम देशों का राष्ट्राध्यक्ष बनने का सौभाग्य भारतवंशियों को मिला है .
बलिया उ.प्र. के रहने वाले प्रविंद कुमार जगन्नाथ माॅरीशस के प्रधानमंत्री बने . शिवसागर रामगुलाम प्रथम मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री चुने गए . जबकि अनिरुद्ध जगन्नाथ माॅरीशस के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति दोनों पदों पर रह चुके हैं. 2003 से 2012 तक वे देश के राष्ट्रपति रहे . इसके पहले वे देश के प्रधानमंत्री थे. हरियाणा के महेन्द्र पाल चौधरी के दादा 2012 में फिजी गए थे. महेन्द्र पाल चौधरी वहां पर अपना काम जमाने के बाद राजनीति में उतरे और 11 मई 1999 को वहां के प्रधानमंत्री बन गए. छेदी भरत जगन को दक्षिणी अमेरिकी देश गयाना का राष्ट्रपिता माना जाता है . ब्रिटिश शासन से मुक्ति के बाद 1992- 1997 तक वह गयाना के राष्ट्रपति रहे. देवन नायर और एस आर नाथन को सिंगापुर का राष्ट्रपति चुने जाने का गौरव हासिल है . एस आर नाथन तो 1999 – 2011 तक देश के राष्ट्रपति रहे . बिहार के राजकेश्वर कैलाश पुर्याग माॅरीशस के राष्ट्रपति चुने गए तो मुम्बई के डा. लियो वरदकर आयरलैण्ड के प्रधानमंत्री बने .
केवल पुरुषों ने ही विदेश में जाकर राजनीति में हाथ आजमाया हो ऐसा नहीं है कमला प्रसाद बिसेसर त्रिनिदाद एवं टोबैगो की 26 मई 2010 से 9 सितम्बर 2015 तक प्रधानमंत्री रहीं . वे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं . वे त्रिनिदाद टोबैगो की पहली एटार्नी जनरल भी रही हैं .
रिजर्व बैंक आफ इंडिया के आँकडों के अनुसार विदेशों में रह रहे भारतवंशियों ने देश में बडी विदेशी मुद्रा भेजी है . 2018 – 19 में उन्होंने 76.4 बिलियन अमेरिकी डाॅलर की रकम भारत भेजी . इस तरह देखा जाए तो विदेशों में बसे भारतीय वहां न केवल अपना नाम रोशन कर रहे हैं . उस देश को नेतृत्व दे रहे हैं बल्कि वहां की गई कमाई का एक बडा हिस्सा अपने देश में भेज रहे हैं .
कमला हैरिस उप राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और भारतवंशियों के हितों को लेकर कितनी मुखर हो पाती हैं यह तो वक्त बताएगा लेकिन उनकी जीत के बहाने ही सही विदेशों में बसे भारतवंशी जो अपनी मेधा के बल पर देश को गौरवान्वित करने के क्षण तो प्रदान कर ही रहे हैं.

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