विश्व रेबीज दिवस पर विशेष

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कुत्ते वफादार भी तो जानलेवा भी

राकेश कुमार अग्रवाल

कुत्तों और इंसानों का साथ हजारों वर्ष पुराना है . महाभारत काल को यदि पांच हजार वर्ष पुराना माना जाए तब भी धर्मराज युधिष्ठिर के साथ यदि स्वर्ग में सशरीर कोई गया था तो वो उनका कुत्ता था .

जब भी जानवरों की स्वामिभक्ति की बात आती है तो कुत्ते का नाम पहले आता है . एकल परिवारों के चलन के बाद घर में यदि किसी को जगह मिली है तो वह है विविध नस्ल के कुत्तों को .

कुत्ते ईमानदार और वफादारी की मिसाल होते हैं तो उतने ही खूंखार और जानलेवा भी होते हैं. कुत्तों के काटने से एक जानलेवा बीमारी होती है जिसे जलांतक या रेबीज के नाम से जाना जाता है .

रेबीज एक विषाणुजनित बीमारी है जो संक्रमित पशुओं के काटने से होती है. कुत्ता , बिल्ली , बंदर , चमगादड , सियार , मुंगूस , भेडिया , लोमडी , गीदड , घोडा और भेड को रेबीज का संवाहक माना जाता है . लेकिन पंचानवे ( 95 ) फीसदी से अधिक रेबीज के मामले कुत्तों के काटने से होते हैं.

विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 60000 मौतें रेबीज के कारण होती हैं . भारत में इन मौतों का आँकडा लगभग 35000 प्रतिवर्ष है . दुनिया में मौतों के कारणों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ ) ने जो आँकडे जुटाए हैं उसके अनुसार रेबीज से होने वाली मौतें 12 वें नंबर पर हैं . रेबीज से सबसे ज्यादा मौतें गरीब देशों में होती हैं.

दुनिया में कुत्ते के काटने के सबसे ज्यादा मामले आवारा कुत्तों के होते हैं . एक आकलन के मुताबिक पूरी दुनिया में आवारा कुत्तों की संख्या साठ करोड से अधिक है . रेबीज का विषाणु संक्रमित पशु की लार में होता है . इस बीमारी के लक्षण मनुष्यों में कई महीनों से लेकर कई साल बाद उभरकर आते हैं . निद्रा , चिडचिडापन, आलस्य , तेज रोशनी से चिढन , मांसपेशियों में सनसनाहट , लार और आँसू का ज्यादा स्राव होना , पानी से डर लगना इसके सामान्य लक्षण हैं .

बात 1885 की है . फ्रांस के प्रसिद्ध केमिस्ट व सूक्ष्म जीव विज्ञानी लुई पाश्चर अपनी लैब में काम कर रहे थे . एक फ्रांसीसी महिला अपने नौ वर्षीय पुत्र जोजेफ को लेकर उनके पास पहुंची . जोजेफ को दो दिन पहले एक पागल कुत्ते ने काट ने काट लिया था . लुई ने दस दिन तक प्रतिदिन जोजेफ को वैक्सीन की बढी हुई खुराक दी . चमत्कारी ढंग से जोजेफ ठीक होता गया . इस तरह से रेबीज वैक्सीन अस्तित्व में आई . यह भी कहा जा सकता है कि रेबीज से रोकथाम की नींव लुई पाश्चर ने रखी थी .

इतिहास में प्लेग , चेचक , हैजा , टायफाइड, टिटनेस , रेबीज, टीबी , पीलिया जैसी बीमारियाँ महामारियाँ बनी हुई थीं इन महामारियों से लाखों – करोडों लोगों की जान जाती थी . सबसे पहले अंग्रेज चिकित्सक एडवर्ड जेनर ने चेचक के टीके का आविष्कार किया . लुई पाश्चर ने डिप्थीरिया , टिटनेस , एंथ्रेक्स , हैजा , प्लेग , टाइफाइड , टीबी समेत कई बीमारियों के टीके विकसित किए .

रेबीज डे की शुरुआत पूरी दुनिया में 2007 से हुई थी . 28 सितम्बर 1895 को लुई पाश्चर का निधन हुआ था . उनकी पुण्य तिथि को रेबीज दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया था . इस टीके के कारण प्रतिवर्ष 250000 लोगों की जान बची है .
दरअसल आवारा कुत्ते अपने भोजन का जुगाड मनुष्यों से करते हैं . इसलिए वे मानव बस्तियों के इर्द गिर्द रहते हैंं और उन्हीं के बीच रहकर अपने को ज्यादा बेहतर पाते हैं. सबसे बेहतर उपाय यह है कि कुत्तों का टीकाकरण हर हालत में कराया जाना चाहिए . कुत्तों की प्रजनन दर काफी होती है इसलिए उनकी तादात भी बेशुमार है . सरकार ने इस मंहगी वैक्सीन को सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में उपलब्ध कराया है . फिर भी सबसे बडी जरूरत आवारा कुत्तों से निजात की है . क्योंकि जब ये हमला करते हैं तो और भी खूंखार हो जाते हैं .

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