रायबरेली। प्रचण्ड अग्नि ने गरीबों के आशियानों को जलाकर खाक कर दिया। जिसमें चारों परिवारों की समूल गृहस्थी से लेकर राशन, कपड़े कागजात सभी जलकर खाक हो गए। घटना शिवगढ़ थाना क्षेत्र के हसवा गांव की है। बृहस्पतिवार की रात करीब साढे़ 8 बजे हसवा गांव में उस समय हड़कम्प मच गया जब गरीबों के चार आशियाने धू-धू कर जलने लगे। धू-धूकर जलते आशियानों को देखकर गांव में अफरा-तफरी मच गई।
ग्रामीणों ने आग पर काबू पाने की कोशिश की किंतु आग पर काबू नहीं पाया जा सका, सूचना पर मय फोर्स के पहुंचे शिवगढ़ थानाध्यक्ष राकेश सिंह ने दमकल की गाड़ी बुलाई तब कहीं जाकर रात करीब 11 बजे आग पर काबू पाया जा सका। जानकारी के मुताबिक शिवगढ़ थाना क्षेत्र के हसवा गांव में प्राथमिक विद्यालय हसवा के समीप गांव के ही सोहनलाल,रामनाथ, रामअवतार और रामदीन का परिवार पिछले कई सालों से तिनका-तिनका जोड़कर खरफूस के रखे गये बंगलों में रह रहा था। बृहस्पतिवार की शाम खेत से गेहूं काटकर घर लौटने के बाद कुछ तो खाना खाकर परिवार के साथ लेट गए थे, तो वहीं कुछ गेहूं के बोझ बांधने के लिए पुआल के जूने बना रहे थे।
तभी अचानक रामअवतार पुत्र मातादीन का आशियाना धू-धू कर जलने लगा। जिसे देखकर गांव में चीख-पुकार मच गई। जब तक ग्रामीण दौड़कर आते प्रचण्ड अग्नि ने रामनाथ पुत्र मातादीन, सोहनलाल पुत्र मातादीन, रामदीन पुत्र बाबूलाल के आशियाने को भी अपनी चपेट में ले लिया। अज्ञात कारणों से अचानक लगी आग से चारों परिवारों की समूल गृहस्थी सहित राशन, कपड़े, बिस्तर, कागजात, जेवरात सब जलकर खाक हो गए।
दाने-दाने को मोहताज हुए चारों परिवार
चारों परिवार खरफूस से बनी झोपड़ियों में रहकर मेहनत मजदूरी करके किसी तरह जीवन यापन कर रहे थे। देश में लॉकडाउन के चलते कहीं काम न मिलने के कारण जहां पहले से ही चारों परिवारों की हालत मारी थी। वहीं परिवार की जीविका चलाने के लिए चारों परिवारों ने दूसरे के खेतों में गेहूं की कटाई करके मजदूरी के रूप में कई बोरी गेहूं इकट्ठे किए थे जो गृहस्थी के साथ जलकर खाक हो गए। चारों परिवार दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं।
खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हुए चारों परिवार
चारों परिवार खरफूस की बनी इन्हीं झोपड़ियों में जीवन यापन कर रहे थे, किंतु नियति को कुछ और ही मंजूर था अज्ञात कारणों से लगी आग से चारों आशियाने जलकर खाक हो गए। जिससे चारों परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए हैं। खबर लिखे जाने तक पुलिस के अलावा राजस्व विभाग का कोई जिम्मेदार अधिकारी या कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा था।