इट्स त्रेता रिटर्न: श्री कामदगिरि की शिलाएं 8 को जाएंगी अयोध्या

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चित्रकूटधाम। श्रीकामदगिरि पीठ विश्व की प्राचीनतम पीठ है। इसकी महिमा सतयुग से गायी जाती रही है। श्रीकामदगिरि पर्वत को भगवान श्रीराम का स्वरूप मानते हुए प्रतिदिन हजारों की संख्या में आकर लोग इनकी परिक्रमा करते हैं। भगवान श्रीराम ने यहां पर साढ़े ग्यारह वर्ष बिताए। भगवान श्रीकामतानाथ का आर्शीवाद लेने के बाद लोग अपने आपको धन्य मानते हैं। श्रीकामदगिरि की रज के साथ ही प्रत्येक शिला पवित्र है।

श्रीकामदगिरि पीठम के संत मदनगोपाल दास जी महराज ने बताया कि भगवान श्रीराम हम सबकी एकता, अखंडता और संवृद्वि के प्रतीक पुरूष हैं। श्रीरामजी की आराधना का मतलब रामराज्य की परिकल्पना को साकार करना है। अदालत द्वारा श्रीराम लला के मंदिर को बनाए जाने के लिए जैसे ही मार्ग प्रशस्त किया वैसे ही अवध के साथ चित्रकूट में भी हर्ष छा गया। पूरे देश से मिट्टी व जल को श्रीराम लला के मंदिर निर्माण में प्रयुक्त करने के लिए ले जाया गया। जिस पर्वत पर श्रीराम व मां जानकी ने साढे ग्यारह वर्ष बिताए उनका कण-कण पवित्र है। इसलिए ‘कामदगिरि भे गिरि राम प्रसादा‘ को चरितार्थ कर श्रीकामदगिरि पीठम ने 5 अगस्त 2020 को ऐतिहासिक मांगलिक व आध्यात्मिक दिवस मनाया। इस दिन हमारी पीठ में श्रीकामदगिरि की शिलाओं का पूजन किया गया। अब इन शिलाओं की अवध में स्थापना के लिए सुयोग बन रहा है। 8 दिसंबर को सुबह दस बजे कामदगिरि शिला यात्रा का प्रारंभ श्रीकामदगिरि प्रमुख द्वार से किया जाएगा। शिलाएं 9 दिसंबर को अयोध्या में श्रीराम जन्म तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपक रायजी को सौंपी जाएंगी।

महराजश्री बताया कि कामदगिरि शिला यात्रा के लिए 8 दिसंबर को सुबह 8 बजे से श्रीकामदगिरि प्रमुख द्वार में सभी का एकत्रीकरण होना है। इसके बाद सुबह 10 बजे प्रस्थान होगा। यात्रा 12 बजे बांदा व 2 बजकर 30 मिनट पर फतेहपुर पहुंचेगी। शिलायात्रा रायबरेली जिले के लालगंज, हरचंदपुर, बछरावां, मोहनलालगंज होते हुए शाम छह बजे लखनउ व रात्रि 8 बजकर 30 मिनट अयोध्या पहुंचेगी। शिलाओं का पुष्पार्चन भक्तिभाव से करने हेतु प्रत्येक व्यक्ति सादर आमंत्रित है। आइये आप भी इस यात्रा के साक्षी व सहभागी बनिये व मानस मन मंदिर को उन्नत बनाने का संकल्प लें।

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