सतना जिले के बेलगाम स्वास्थ्य अमले की बड़ी लापरवाही, गरीबों की दवाई कूड़ेदान में

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रिपोर्ट – विनोद शर्मा

सतना– सतना जिले के बेलगाम स्वास्थ्य अमले की एक बड़ी लापरवाही आज उस समय सामने आई,जब रामपुर बघेलान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गरीबों के लिए शासन के द्वारा भेजी गई दवाइयों को एक्सपायरी डेट के पहले ही कूड़ेदान में फेंक दिया गया, इस तरह से जहां एक तरफ शासन के पैसों का दुरुपयोग किया गया,तो वहीं खुले आसमान के नीचे दवाइयों को फेक कर संक्रमण बढ़ाने का कार्य भी किया गया।

मध्य प्रदेश की सरकार एक तरफ गरीबों के लिए अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के बड़े-बड़े दावे करती है।तो वहीं इन दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के सतना जिले के रामपुर बघेलान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की, जहां आज उस समय बड़ी लापरवाही देखने को मिली है,जब स्वास्थ्य केंद्र को भेजी गई दवाइयां कूड़ेदान में पड़ी मिली।जो स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही तस्वीरें खुद बयां कर रही हैं।जिन्हे एक्सपायरी डेट के पहले ही अस्पताल से बाहर खुले आसमान के नीचे फेंक दिया गया। स्थानीय निवासियों के अनुसार अगर कोई मरीज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार के लिए जाता है तो उसका उपचार समय पर नहीं किया जाता और दवाइयों के लिए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।दूसरी तरफ शासन की ओर से आने वाली दवाइयों को एक्सपायरी डेट के पहले ही खुले आसमान के नीचे कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है। अब इस पूरे मामले में कहीं ना कहीं शासन आर्थिक क्षति पहुंचाने में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही जहां साफ नजर आ रही है। तो वहीं दवाइयों को खुले आसमान के नीचे फेंकने से संक्रमण जैसी बड़ी बीमारियों का भी खतरा बढ़ सकता है। सबसे बड़ी बात तो यह कि आमतौर से सरकारी अस्पतालों में गरीब ही अपना इलाज करवाने के लिए जाते हैं। जिन्हे ये दवाईयां दी जाती हैं। सतना जिले में जहाँ एक तरफ कोरोना संक्रमण के बढ़ते खौफ के चलते निजी नर्सिंग होम के संचालक अपने आप को बंद करके बैठे हुए हैं। ऐसे में आम जनमानस का सरकारी सिस्टम पर भरोसा आज भी बना हुआ है। लेकिन सरकारी सिस्टम का यह बदहाल तरीका कहीं ना कहीं सरकार की जमीनी हकीकत को भी बयां कर रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारा इन दवाइयों को एक्सपायरी डेट के पहले ही फेंक देना कहीं ना कहीं एक बड़ा सवाल खड़ा करता हैं,क्योंकि यह दवाइयां उन गरीबों के लिए अस्पतालों में भेजी जाती है, जिनको दो वक्त की रोटी के लिए भी दर-दर भटकना पड़ता है। दवाइयों का कूड़ेदान में मिलना जहां स्वास्थ्य केंद्र के स्टोर कीपर को संदेह के घेरे में लाता है,तो वहीं बेदर्द और बेलगाम स्वास्थ्य अमले की कलई भी खोलता है। देखना यह होगा कि जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी इस पर क्या कार्यवाही करते हैं।

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