समलैंगिक विवाह के विरोध के में देशभर में उठ रही आवाजें

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मौदहा, हमीरपुर। आज समलैंगिक विवाह के विरोध में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बुधवार को अपने साथियों के साथ मिलकर उप जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन 5 सूत्री ज्ञापन भेजकर मांगों को पूरा किए जाने की आवाज उठाई है।

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नासिर उद्दीन सिद्दीकी की अगुवाई में अधिवक्ता संघ ने उप जिलाधिकारी राजेश कुमार मिश्रा के माध्यम से राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन भेज कर बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समलैंगिक एवं ट्रांसजेंडर आदि व्यक्ति के परिवार को विधि मान्यता देने के निर्णय तत्परता एवं आतुरता से विचलित है।

ज्ञापन में कहा कि समलैंगिक विवाह भारत की संस्कृति सभ्यता एवं भारतीय समाज की मूलभूत मान्यताओं के विपरीत है। समलैंगिक विवाह मान्यता देने से समाज में अनेक सामाजिक विसंगतियों एवं कानूनी जटिलताएं पैदा हो सकती है।

पश्चिमी समाज एवं सांस्कृतिक मान्यताओं एवं अवधारणाओं को आधुनिकता एवं अत्यंत अल्प समूह की इच्छा वह मांग पर बिना सोचे समझे भारतीय समाज पर आरोपित करना हमारी आगे आने वाली पीढ़ी के लिए ठीक ना होगा समलैंगिक विवाह विषय पर कानून बनाने के लिए व्यापक विचार विमर्श की आवश्यकता है।

इस कार्य को भारतीय संसद द्वारा किया जाना ज्यादा बेहतर होगा समलैंगिक विवाह पर जबरजस्ती कानून बनाकर भारतीय समाज पर थोपना भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात है देश की सभ्यता के अनुकूल नहीं है। इससे परिवारों में बिखराव एवं अश्लीलता का घोतक है जिसका घोर विरोध किया जा रहा है।

आधुनिक परिवेश में भारतीय समाज में देखा जाए तो मानव अपने अनुरूप संसति पैदा करने के विपरीत है। जिससे सृष्टि का संचालन असंभव होगा समलैंगिक विवाह सिर्फ अश्लीलता के घोतक है भारतीय समाज के अनुरूप नहीं जिसका विरोध धीरे-धीरे पूरे देश में उठने लगा है।

समाज के लिए एक चिंता का विषय बन गया है ज्ञापन सोपते समय राहुल द्विवेदी राजेंद्र मधुप्रिया अनिल शिवहरे वसी अहमद विवेक दीक्षित ब्रजकिशोर त्रिवेदी सुनील मिश्रा शिव प्रसाद आदि अधिवक्ता मौजूद रहे।

  • एमडी प्रजापति
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