सरकारी नीतियों पर भ्रष्टाचारियों की सेंधमारी, जिम्मेदार मौन

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अन्य जनपद से प्रकाशित हुई क्षेत्र पंचायत विकास कार्यों की निविदा सूचना, स्थानीय ठेकेदारों को कानों-कान खबर तक नहीं

मौदहा हमीरपुर– स्थानीय विकासखंड का सदैव से ही विवादों से गहरा रिश्ता बना रहा है,खासकर बात करें क्षेत्र पंचायत के विकास कार्यों की तो विकासखंड में तैनात नीचे से लेकर ऊपर तक बैठे भ्रष्ट सचिवों, रोजगार सेवकों,एडीओ,बीडीओ व मनरेगा के रखवालों सहित ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि ने सरकारी धन पर सेंधमारी करते हुए गजब का पलीता लगाया है। अगर बात करें मौदहा विकासखंड की तो यहां के छिमौली गांव में भी पिछले दिनों प्रधानमंत्री आवास योजना पर जिसे प्रधानमंत्री के सपनों का घर कहा जाता था, का भी बड़ी मात्रा में घोटाला हुआ था,जिसकी जांच होने पर तत्कालीन बीडीओ,से लेकर जिले के अधिकारियों तक गाज गिरी थी।
गौरतलब हो कि पिछले दिनों प्रदेश स्तर पर मुख्यमंत्री ने मौदहा विकासखंड को कोरोना काल में सर्वाधिक मजदूरों को रोजगार देने के मामले में अव्वल दर्जे पर माना था और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया था, लेकिन जिन अधिकारियों को सम्मानित किया उन्हीं अधिकारियों को सस्पेंड भी किया गया था। अब बात आती है कि यदि इन अधिकारियों ने ईमानदारी से काम किया तो सस्पेंड क्यों हुए? और अगर ईमानदारी से काम नहीं किया तो सम्मानित क्यों हुए?
माजरा जो कुछ भी हो, आखिरकार समझ से परे है। ठीक उसी तर्ज पर वर्तमान में तैनात अधिकारी व ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि भी भ्रष्टाचार में दिन प्रतिदिन संलिप्त होते जा रहे हैं। यहां तक तो कस्बा तथा आसपास के निवासी बुद्धिजीवियों का कहना है कि सत्ता के संरक्षण में इन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने वाला नहीं है। अभी पिछले दिनों एक स्थानीय ठेकेदार ने तहसील दिवस में ज्ञापन देते हुए आलाधिकारियों को अवगत कराया था कि ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि ने नियमों में भारी लापरवाही बरतते हुए अन्य जनपदों से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र में निविदा प्रक्रिया बैक डेट में जारी करायी थी जो कि अनियमितताओं का एक जीता-जागता उदाहरण है,और मांग भी की गई थी कि जिलाधिकारी के निर्देशन में तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर निविदा प्रणाली को साफ और स्वच्छ तरीके से प्रकाशित कराया जाए। जिस पर ठेकेदार ने एक शिकायती पत्र इस शिकायत को लेकर तहसील दिवस की अध्यक्षता कर रहे एडीएम को सौंपी थी जिस पर तत्काल बीडीओ मौदहा को उक्त मामले में निर्देशित किया गया था कि तत्काल जांच कर अवगत कराया जाए, हालांकि उस निविदा प्रक्रिया को भंग कर फिर से नांगनाथ और सांपनाथ में कोई अंतर न होने जैसी कहावत को सिद्ध करते हुए वही प्रक्रिया कर दी गई, जिसमें अन्य जनपदों से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों से निविदा प्रक्रिया प्रकाशित करवाई गई और सबसे रोचक तथ्य यह है कि जिन समाचार पत्रों के माध्यम से निविदा सूचना प्रकाशित करायी गई,वे समाचार पत्र यहां आते ही नहीं है।इन प्रकाशित निविदाओं की सूचना स्थानीय कुछ ठेकेदारों को कानों-कान खबर भी नहीं हो सकी। आनन-फानन में ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि और अधिकारियों की मिलीभगत से निविदा बिक्री प्रक्रिया कर दी गई और काम भी कुछ चहेते ठेकेदारों को आवंटित कर दिया गया,जिस पर आलाधिकारियों के आदेश को खुल्लम खुल्ला ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि हवा में उड़ा रहा है। फिलहाल यहां पर भ्रष्टाचार की बात करें तो बिना कार्यों की आईडी बनाए पहले मजदूरों की जगह मशीनों से काम कराकर बाद में मौका देख कर भुगतान करवाया जाता है और जियो टैगिंग के लिए मजदूरों की फ़ोटो खिंचवा कर फाइल में लगा दी जाती है। जो कि सरकार की नीति पर भ्रष्टाचारी खुली सेंधमारी कर रहे हैं। हालांकि स्थानीय बुद्धिजीवियों का कहना है कि मामला भ्रष्टाचार का चाहे जितना भी उजागर हो जाए लेकिन सत्ता के संरक्षण में ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि बने महाशय के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होने वाली और उन्हीं के आदेश पर अधिकारी भी भ्रष्टाचार का काम करते हैं, जो कि पार्टी की नीतियों पर सवालिया निशान खड़ा कर रहे हैं। जब इस संबंध में खंड विकास अधिकारी एस बी सिंह से बात करने का प्रयास किया गया तो महोदय के दोनों नम्बर स्विच ऑफ जा रहे थे।

एम डी प्रजापति रिपोर्ट

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