साकेत महाविद्यालय ने निकाली तिरंगा यात्रा और विभाजन विभीषिका के दर्द को किया याद

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कामता प्रसाद सुंदरलाल साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय अयोध्या में राष्ट्रीय सेवा योजना के सभी इकाइयो, एन सी सी , रेड क्रॉस और रोवर्स रेंजर और महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के द्वारा हर घर तिरंगा यात्रा निकाली गई। भारत सरकार द्वारा निर्देशित हर घर तिरंगा कार्यक्रम के अंतर्गत महाविद्यालय के  प्राचार्य  प्रो अभय कुमार सिंह ने तिरंगा यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। तिरंगा यात्रा महाविद्यालय परिसर में स्थित 108 फीट गगनचुंबी तिरंगा के समक्ष तिरंगा शपथ से प्रारंभ हुई।जो  महाविद्यालय से टेढ़ी बाजार चौराहा होते हुए रानोपाली चौराहा से ,यात्रा महाविद्यालय परिसर में समाप्त हुई।

तिरंगा यात्रा के दौरान एन सी सी कैडेट, एन एस एस के स्वयंसेवकों एवं स्वयंसेविकाओं के द्वारा भारत माता की जय, जय हिन्द, भारत माता की जै,वंदे मातरम के साथ आजादी के वीर सपूतों के नारे लगाते हुए तिरंगा यात्रा महाविद्यालय के खेल मैदान पर समाप्त हुई। साथ ही,तिरंगा यात्रा अपनी पूर्णता स्थल पर पहुंचने पर महाविद्यालय के खेल मैदान में तिरंगा दौड़ का आयोजन किया गया। जिसमें रैली में प्रतिभा करने वाले समस्त छात्र छात्राओ ने भाग लिया। इसी कड़ी में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस 14 अगस्त के कार्यक्रम का आयोजन राजा जगदंबिका प्रताप नारायण सिंह सभागार में किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य व अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई।

संगीत विभाग की छात्राओं के द्वारा मां सरस्वती वंदना और महाविद्यालय गीत प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री ज्ञान प्रकाश टेकचंदानी, सलाहकार सिंधी अध्ययन केंद्र डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या ने इस अवसर पर कहा कि हमने तो इस विभीषिका को नहीं झेला, लेकिन मेरे माताजी और पिताजी के द्वारा कोई ऐसा दिन नहीं होता था कि जिस दिन इसके संदर्भ में चर्चा न की गई हो। बार-बार हमें शरणार्थी कहा जाता है जबकि पंजाब और बंगाल अपने स्थान पर ही स्थित रहे। जबकि  सिंधु के लोग शरणार्थी नहीं  बल्कि निर्वासित हुए। अपने उद्बोधन में एक घटना का जिक्र किया और कहा कि मेरे माता-पिता जी यह बताया करते थे कि हम अपने पड़ोसियों को अपने घर की चाबी देकर आए, कि हम पुनः अपने मकान में आ जाएंगे, जो कभी नहीं हो सका।

चांदनी जी ने ओ पी हीरानंदानी के आत्मकथा का भी स्मरण किया और कहा कि 14 अगस्त का दिन हमें बहुत ही कष्ट देता है। मुख्य अतिथि समाजसेवी श्री भागीरथ पचेरीवाला ने कहा कि ईश्वर ने हमें इंसान बनाया है हमें अपने राष्ट्र का और समाज  का भला करना चाहिए। राष्ट्र की सेवा करनी चाहिए। महाविद्यालय के प्राचार्य के द्वारा सभी अतिथिओ को सम्मानित किया गया। जिसमें श्री घनश्याम दास लालवानी जी श्री मूलचंद चुगलानी, श्री गोकुलदास आहूजा जी और पवन जीवानी जी शामिल रहे। प्राचार्य प्रो अभय कुमार सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया और विभीषिका को याद करते हुए कहा कि 14 अगस्त 1947 को आकाश में ऐसी बिजली कड़की , जिससे दो देशों का उदय हो गया।

इस अवसर पर महाविद्यालय के मुख्य नियंत्रता प्रो अशोक कुमार मिश्र, राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रमाधिकारी प्रो आशुतोष त्रिपाठी , डा आलोक सिंह, डॉ बाल गोविंद ,डॉ रीता सिंह, डॉ रीमा सोनकर , डॉ शशि सिंह, डा रिचा पाठक , प्रो आशीष प्रताप सिंह ,प्रो अशोक कुमार राय , प्रो शिवकुमार तिवारी ,प्रो ओ पी यादव, प्रो सरोज ,प्रो अरविंद शर्मा, प्रो पवन कुमार सिंह , प्रो अमूल्य कुमार सिंह, प्रो अंजनी कुमार सिंह, प्रो सत्य प्रकाश गुप्त,रजत तिवारी, सोनू, धीरज, डॉ अवधेश शुक्ला, डॉ प्रतिभा सिंह, डॉ रीता दुबे, डॉ मनीष कुमार सिंह, डा पूनम जोशी,डॉ लवलेश कुमार ,डॉ कनक बिहारी पाठक  डॉ आशीष विक्रम सिंह ,श्री लवलेश कुमार , श्री बृजेश कुमार ,डॉ मुजफ्फर मेहंदी डॉ संदीप श्रीवास्तव ,डॉ रविंद्र सिंह,डॉ पीयूष कुमार श्रीवास्तव, श्री मनोज कुमार वर्मा ,श्री पंकज पाठक ,श्री राजीव श्रीवास्तव, श्री रामकरन सहित अनेक प्राध्यापक एवं प्राथमिकताएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रो आशुतोष सिंह ने किया।  उपरोक्त जानकारी महाविद्यालय के मीडिया प्रभारी प्रो आशुतोष त्रिपाठी ने दी।

रिपोर्ट-  मनोज कुमार तिवारी

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