लालगंज, रायबरेली। शुक्रवार को अमावस्या के पावन अवसर पर सुहागिन महिलाओं ने स्नान ध्यान के बाद अपने सुहाग की रक्षा के लिए देवव्रत वट का पूजन अर्चन किया। सुहाग की रक्षा के लिए बरगद के पेड़ की पूजा का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बरगद के पेड़ में हिंदू पौराणिक कथाओं के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश विद्यमान हैं। पेड़ की जड़ें ब्रह्मा का प्रतिनिधित्व करती हैं, वट वृक्ष का तना विष्णु का प्रतिनिधित्व करता है और भगवान शिव बरगद के पेड़ के ऊपरी हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं और पूरा पेड़ सावित्री माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र पेड़ के नीचे पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार जिस तरह सावित्री ने अपने समर्पण से अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस लायीं थीं, उसी तरह इस शुभ व्रत को रखने वाली विवाहित महिलाओं को एक सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन सुबह जल्दी स्नान करने के बाद, विवाहित महिलाएं दुल्हन के रूप में तैयार होती हैं, अपने माथे पर सिंदूर लगाती हैं।
इसके बाद वट वृक्ष या बरगद के पेड़ को चावल और फूल अर्पित करती हैं। इसके बाद पेड़ के तने के चारों ओर पीले या लाल रंग के धागे बांधते हैं, उस पर सिंदूर या सिंदूर छिड़कते हैं और प्रार्थना करते हुए पेड़ की परिक्रमा करती हैं। देवी सावित्री की भी पूजा की जाती है। इसके बाद महिलाएं भोग लगाकर अपने व्रत का पारण करती हैं। उल्लेखनीय है कि हिंदू धर्म में बरगद के पेड़ को देव वृक्ष माना गया है।
मानस मर्मज्ञ तुलसीदास जी ने तो अपनी कविताओं में वट वृक्ष को तीर्थ राज भी कहा है।वट वृक्ष की पूजा अर्चना करने में विद्या देवी शुक्ला ,बॉबी बाजपेई ,रीतू बाजपेई, मीना शुक्ला ,शोभना शुक्ला, किरन शुक्ला, अंजली शुक्ला, प्रिया पांडे,रेनू तिवारी, रानू शुक्ला, चेयरमैन सरिता गुप्ता, श्रीमती इंदू बाजपेई भाजपा नेत्री उमा पांडे, गुड़िया शुक्ला आदि सैकड़ों महिलाएं मौजूद रही।
- संदीप कुमार फिजा