स्पेस वॉक के जरिये बच्चे खेल खेल में सीखेंगे विज्ञान के जटिल सिद्धांत- रमेश बहादुर सिंह

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रिपोर्ट- रमेश बहादुर

पांच हजार प्रयोगों की क्षमता का विज्ञान लैब तैयार

एसजेएस में हर साल तैयार होंगे यंग साइंटिस्ट

रायबरेली।आपने कुछ साल पहले थ्री इडियट फ़िल्म जरूर देखी होगी। थ्री इडियट का रेंचो यानी फुंसुक वागड़ू मोटी मोटी किताबो में लिखी थ्योरी को याद करने के बजाय जीवन मे प्रयोगों को महत्व देता था। अब रायबरेली में रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े हुए पांच हजार प्रयोगों के साथ हर साल ऐसे ही कई रेंचो यानी फुंसुक वांगड़ू तैयार होंगे।

आज एसजेएस में एक प्रेस वार्ता के माध्यम से एसजेएस ग्रुप ऑफ स्कूल के चेयरमैन श्री रमेश बहादुर सिंह ने बताया कि कोरोना काल मे काफी दिक्कतों के बाद भी हम अपने उद्देश्य से नहीं डिगे। हमारा सपना था एक ऐसी विज्ञान प्रयोगशाला बनाना जिसने बच्चों को खेल खेल में प्रयोगों को माध्यम से पढ़ाया जा सके। आज स्पेसवॉक के रूप में साइंस लैब बन कर तैयार है और यह एसजेएस के लिए ही नहीं बल्कि रायबरेली और पूरे देश के लिए गर्व की बात है क्योंकि यह संभवत देश की इकलौती साइंस लैब है जिसमें बच्चे प्रयोगों के माध्यम से विज्ञान और गणित की कठिन से कठिन परिकल्पना और सिद्धांतों को आसानी से समझ पाएंगे। 

एसजेएस ग्रुप ऑफ स्कूल्स के सचिव (प्रशासन) अग्रज सिंह ने आए हुए सभी अतिथितियों का स्वागत किया।

अब कक्षा एक से कर सकेंगे विज्ञान के प्रयोग

एसजेएस में स्थापित स्पेस लैब में अब कक्षा एक से ही प्रयोग करना शुरू हो जाएंगे। विज्ञान ही नही बल्कि सभी विषयों से संबंधित प्रयोग यहां उपलब्ध है।

अमूमन स्कूलों में विज्ञान के प्रयोग कक्षा 9 से शुरू होते है लेकिन यहां कक्षा एक से ही छात्र छात्राएं प्रयोग करना शुरू कर सकते है।

लैब में पांच हजार प्रयोगों की व्यवस्था

एसजेएस पब्लिक स्कूल में भारत की पहली साइंस लैब ‘स्पेस वाक’ की शुरुआत हुई है। इस लैब में  कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक के बच्चे अलग अलग विषयों के लगभग  पांच हजार तरह की प्रैक्टिकल कर सकते है। आगे चल कर इन प्रयोगों प्रयोगों की संख्या बीस हजार तक किया जाएगा।

इस साइंस लैब के शिल्पकार निहाल सिंह ने बताया कि इस लैब का उद्देश्य बच्चों के मन में विज्ञान के प्रति इंटरेस्ट पैदा करना था। बच्चे जब खेल खेल में ही विज्ञान के सिद्धांतों को समझेंगे और प्रयोगों को खुद करेंगे तो उनके अंदर विषय के प्रति रुचि जागेगी और वह तमाम सिद्धांतों को आसानी से समझ लेंगे।

स्पेस लैब में बुलेट ट्रेन मॉडल, डांसिंग गर्ल,रोटेटिंग टॉय, स्टीम इंजन, पेट्रोल इंजन, फेस ऑफ़ मून मैजिक टैप, साइकिल रिम, मेकिंग ड्रोन, डबल पेंडुलम, ग्लोबल मैजिक, सोलर सिस्टम, टॉरनेडो, 3D प्रिंटर इत्यादि विषयों पर वास्तविक मॉडल बनाए गए हैं साइंस लैब के आकर्षण का केंद्र लिक्विड नाइट्रोजन का प्रयोग रहा। 

निहाल सिंह ने जब इन प्रयोगों को सभी पत्रकारो के सामने प्रस्तुत किया तो सभी ने दांतो तले उंगली दबा ली।

एसजेएस की प्रधानाचार्य डॉक्टर बीना तिवारी ने कहा कि स्कूल बच्चों के लिए दिन रात मेहनत कर रहा है। विज्ञान लैब के जरिये कई आयाम खुलेंगे।बच्चे बारीकी के साथ सभी चीजों को प्रयोगों के माध्यम से सीख सकेंगे।

कार्यक्रम में निहाल सिंह के अलावा आर्ट और क्राफ्ट टीचर आदित्य भारती और शिवम को सम्मानित किया गया। इसके अलावा लैब में बनाने कारपेंटर फतेह,माताफेर,सोहन लाल व जगदीश और इलेक्ट्रिशियन ज़मीर को सम्मानित किया गया।

अंत मे एसजेएस ग्रुप ऑफ स्कूल्स के सचिव( वित्त) अनुज सिंह ने सबका आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम में सयुंक्त सचिव अनुश्री सिंह, संयुक्त सचिव प्रियंका सिंह, भाव शाखा की प्रधानाचार्य पल्लवी अग्रहरी किलौली शाखा की प्रधानाचार्या अमीता पांडेय, हाईवे शाखा की प्रधानाचार्या सीमा शर्मा,  बछरावां शाखा की प्रधानाचार्य सुधा सिंह सहित विद्यालय का समस्त स्टाफ उपस्थित रहा। अंत मे संस्थान के जान संपर्क अधकारी श्री मनोज शर्मा में सभी पत्रकारों को स्पेस वाक का भ्रमण कराया और स्कूल के बच्चों ने भी सभी पत्रकारो को रोज़मर्रा से जुड़े प्रयोगों को उनके सामने प्रस्तुत किया।

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