हैवान पिता और निष्ठुर मां या संवेदन शून्य समाज

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ये कैसा फादर्स डे ?

प्रसव होते ही मंदिर प्रांगण में छोड़ गई जिगर के टुकड़े को अभागिन

राकेश कुमार अग्रवाल

बेलाताल (महोबा)। रविवार को जब देश और दुनिया फादर्स डे मना रही है उसी रविवार की सुबह एक नवजात शिशु मां की गर्भनाल से ही नहीं अपने माता – पिता के रिश्ते से भी विमुख हो गया।

सामाजिक मान मर्यादाओं की खातिर कहें या लोकलाज का भय एक अभागिन मां अपने जिगर के टुकडे को पोटली में रख भगवान के हवाले कर माता के मंदिर में छोड आई।

बेलाताल के सामु. स्वा. केन्द्र के पीछे पहाडों पर प्राचीन छमाही माता मंदिर है। सुबह – सवेरे मंदिर प्रांगण से एक बच्चे की किलकारी सुन मंदिर के निकट रहने वाले कल्ला व विनोद दौड कर मंदिर पहुंचे। उन्होंने देखा कि मंदिर प्रांगण में एक पोटली से एक बच्चे के रोने की आवाज आ रही है।

विनोद ने पुलिस को फोन कर एक नवजात शिशु के मिलने की खबर दी। तो दूसरी ओर कल्ला जाकर पडोस में रहने वाले प्रीतम और उसकी पत्नी को बच्चे को संभालने के लिए ले आया। मीनू ने नवजात बेटे को गोद में लेकर अपने आँचल में समेट लिया। मां जैसा स्पर्श पाकर शिशु चुप हो गया। दूसरी ओर घटना की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस बच्चे व मीनू को साथ लेकर हास्पिटल पहुंची जहां उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। दो किलो सत्तर ग्राम वजन का यह शिशु पूरी तरह स्वस्थ है। ऐहतियात के तौर पर डाक्टरों ने उसे इन्क्युबेटर में रख दिया। बाद में नवजात शिशु को चाइल्ड लाईन के माध्यम से महोबा जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है।

अभी तक शिशु के माता – पिता का पता नहीं चल पाया है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि किसी अविवाहित युवती ने लोकलाज के भय से मौका पाकर शिशु को जगतजननी मां के मंदिर में उसी के भरोसे छोडकर चुपके से भाग आई। गौरतलब है कि मंदिर में कोई पुजारी नहीं था। इसलिए यह भी पता नहीं चल पाया कि शिशु की मां व पिता कौन है। कस्बे में फिलहाल कयासों का दौर जारी है। सभी शिशु की किस्मत पर चर्चा कर रहे हैं जिससे जन्म के बाद न मां की गोद मिली न पिता का साया।

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