जाकरुक युवाओं ने परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को लिखा पत्र
ड्यूटी पर तैनात किए गए कर्मचारी के नदारद रहने की शिकायत
अंगद राही / विपिन पाण्डेय
रायबरेली। लगभग सवा लाख आबादी वाले शिवगढ़ विकास क्षेत्र के शिवगढ़ कस्बे में करीब 84 लाख 85 हजार की लागत से निर्मित बस स्टॉप बसों का संचालन ना होने से सफेद हाथी साबित हो रहा है। जिसको लेकर क्षेत्र के लोगों में परिवहन निगम के प्रति गहरा रोष जाता है। क्षेत्र के शिवली ग्राम पंचायत के रहने वाले नौशाद मंसूरी, विपिन सिंह उर्फ अन्नू सिंह, राहुल, सूरज पांडेय, लक्ष्मणपुर के बृजकिशोर, खजूरों के विकास विक्रम, शिवगढ़ भाजपा मंडल उपाध्यक्ष कमल किशोर रावत सहित शिकायत कर्ताओं ने यूपी परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को शिकायती पत्र भेजकर शिवगढ़ बस स्टॉप से नियमित रूप से बसों का संचालन ना होने एवं तैनात किए गए कर्मचारी के अक्सर नदारद रहने की शिकायत की है। शिकायत कर्ताओं ने दिए गए शिकायती पत्र में लिखा है कि शिवगढ़ बस स्टॉप से ना ही बसों का संचालन होता है और ना ही ब्यूटी पर तैनात किया गया कर्मचारी उपस्थित रहता है।
आरोप है कि जहां तैनात किया गया कर्मचारी कभी-कभार शिवगढ़ बस के चक्कर लगाने आता है। वहीं महीने में एक – दो बार परिवहन निगम की एक बस चक्कर लगाकर बसों के आवागमन की इतिश्री कर ली जाती है। जबकि शिवगढ़ क्षेत्र से करीब 3000 लोगों का लखनऊ, रायबरेली, कानपुर, बाराबंकी, उन्नाव, फतेहपुर के लिए प्रतिदिन आवागमन रहता है। शिकायत कर्ताओं का कहना है कि जिला पंचायत द्वारा शिवगढ़ में दो टैक्सी स्टैंडों का संचालन तो किया जाता है किंतु रायबरेली ,लखनऊ, उन्नाव, कानपुर, बाराबंकी, फतेहपुर की दूरी अधिक होने के चलते मुसाफिरों को बहुत ही समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आरोप है कि लोगों द्वारा जब भी बसों के संचालन की मांग की जाती है सुबह 7 बजे रायबरेली के लिए एक बस संचालित करके मामले की इतिश्री कर ली जाती है। जबकि दिनभर लोगों का कहीं ना कहीं आवागमन रहता है। शिकायत कर्ताओं ने शिवगढ़ बस स्टॉप से बसों के संचालन के साथ ही तैनात किए गए कर्मचारी की नियमित रूप से उपस्थित रहने की मांग की है।
डग्गामार बसों में भूसे की तरह भरकर जाती है सवारियां
शिवगढ़। करीब 84 लाख 85 हजार की लागत से बस स्टॉप बनने के बाद भी शिवगढ़ बस स्टॉप से बसों का संचालन न होने से क्षेत्र के लोग मजबूरी में महराजगंज तहसील, जिला चिकित्सालय, जिला मुख्यालय एवं अदालत जाने के लिए मजबूरी में डग्गामार बसों का सहारा लेते हैं। सबसे बड़ी विडंबना है कि एआरटीओ कार्यालय के सामने से ही डग्गामार बसें सवारियों को भूसे की तरह भरकर शिवगढ़ से रायबरेली के लिए हैं किंतु कुंभकर्णी नींद में सोने वाले जिम्मेदार अधिकारियों की डग्गामार बसों पर नजर नहीं पड़ती। कई बार यहां तक भी देखा गया है कि कोई सवारी सीमित सवारियां भरने की बात करती है तो या तो उसे अभद्रता का शिकार होना पड़ता है या उसे बस से नीचे उतार दिया जाता है।