उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री शाही ने किया दीनदयाल शोध संस्थान के कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां प्रक्षेत्र का भ्रमण

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लोक निर्माण मंत्री चंद्रिका प्रसाद और सांसद आरके पटेल ने भी किया अवलोकन; प्रवासी कामगारों से की चर्चा

चित्रकूट-मझगवां/ भारत में अधिकांश जोत अलाभकारी है। इन जोतों के स्वामियों के पास दो से 3 एकड़ या इससे भी कम कृषि भूमि है‌। इन अलाभकर जोतों को लाभकर बनाए बिना भारत से गरीबी का उन्मूलन नहीं किया जा सकता‌। इसी को ध्यान में रखते हुए दीनदयाल शोध संस्थान के कृषि विज्ञान केंद्र अपना कार्य कर रहे हैं।भारत रत्न नानाजी देशमुख हमेशा इसी बात की चिंता प्रगट किया करते थे कि देश की समृद्धि बढ़ाने में अलाभकारी जोत वाले किसानों का भी उपयोग कैसे किया जाए, उनको खेती के अलावा अन्य सहायक रोजगार से कैसे जोड़ा जा सके। नानाजी का मानना था कि जिस दिन देश के कम कृषि भूमि वाले किसान समृद्धशाली हो गए उस दिन इस देश से बेकारी, गरीबी भाग जाएगी।इन्हीं सब बिंदुओं को ध्यान में रखकर दीनदयाल शोध संस्थान कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां में आज उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही एवं लोक निर्माण मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय एवं बांदा-चित्रकूट सांसद आर.के.पटेल द्वारा प्रक्षेत्र का भ्रमण एवं वहां की गतिविधियों का अवलोकन किया गया। इस दौरान दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन उनकेेे साथ में रहे।

उनके द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र पर स्थापित विभिन्न जीवंत इकाइयां जैसे मुर्गी पालन, फलोत्पादन नर्सरी, बहु मंजिला खेती, केंचुआ खाद उत्पादन, मशरूम उत्पादन, बीज बैंक एवं बीज उत्पादन कृषि तकनीकी पार्क एवं प्रक्षेत्र पर अन्य गतिविधियों का भ्रमण एवं अवलोकन के दौरान प्रक्षेत्र पर वृक्षारोपण भी किया।इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ राजेंद्र सिंह नेगी ने दोनों मंत्रियों एवं सांसद जी को केंद्र पर चल रही विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। इस दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने गरीब कल्याण रोजगार योजना अंतर्गत केंद्र पर चल रही प्रवासी कामगारों के लिए जीवन का उपार्जन व प्रशिक्षण में भाग ले रहे प्रवासी कामगारों से भी चर्चा की तथा उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के तकनीकी मार्गदर्शन से अपने-अपने ग्रामों मे कृषि उद्यमों को लगाने की सलाह दी‌।इस कार्यक्रम में केंद्र से फसल सुरक्षा वैज्ञानिक अखिलेश जागरे, फसल उत्पादन वैज्ञानिक डॉ अजय चौरसिया, मृदा विज्ञान कार्यक्रम सहायक अशोक शर्मा , निकरा परियोजना प्रभारी हिमांशु शेखर सिंह, जैव विविधता परियोजना प्रभारी मानवेन्द्र सिंह एवं वीरेंद्र प्रजापति की सहभागिता रही।

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