उद्यमिता विकास पर कृषि प्राध्यापक ने विद्यार्थियों को ऑनलाइन किया संबोधित

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  • किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए पांच – ई फार्मूला को बताया प्रभावी : प्रो. जे.के. गुप्ता

  • ग्राम राष्ट्र का केंद्र बिंदु है, कृषि भारत का प्राण है

सतना – वर्तमान कोविड-19 के दौरान उत्पन्न परिदृश्य में महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ जयंत कुमार गुप्ता कृषि अर्थशास्त्र , कृषि संकाय द्वारा आज कृषि छात्रों के लिए एक विशेष ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसका ‘ शीर्षक था। क्या करें ? कुछ उपाय, कृषि छात्र-छात्राओं के विशेष संदर्भ में। इस व्याख्यान से कृषि संकाय, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के अतिरिक्त अन्य विश्वविद्यालयों के छात्र भी ऑनलाइन शामिल होकर लाभान्वित हुए।

प्रोफेसर गुप्ता ने कृषि छात्र छात्राओं के साथ ही साथ समस्त स्टेकहोल्डर्स के द्वारा वर्तमान में कैसे किन बातों को प्रमुखता देनी चाहिए उन बातों का जिक्र खुद व शिक्षक वर्ग की जिम्मेदारी व भागीदारी को शामिल करते हुए प्रोफेसर गुप्ता ने कहा कि कोई कार्य छोटा नहीं होता है । कार्य छोटा भले ही हो पर विजिबल हो,स्पष्ट हो। कोविड-19 की परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए कृषि विषय सूची में परिवर्तन किया जाना आवश्यक होता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन , टिकाऊ खेती , सिंचाई जल का अत्याधिक सावधानी से उपयोगी प्रयोग, शुष्क खेती क्षेत्र में वर्षा काल के जल का संग्रहण, कृषि शिक्षा में सस्टेनेबल प्रबंधन को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए। किसानों की आय को दोगुना करने के लिए वैज्ञानिक , आर्थिक एवं टिकाऊ प्रबंधन, संस्थानों में आधारभूत संरचना का विकास , शिक्षकों की कमी को पूरा किया जाना, मोबाइल को फ्रेंडली व उपयोगी बनाने की दिशा में जागरूकता , जिससे ई लर्निंग , ई मार्केटिंग, ई कम्युनिकेशन , ई कॉमर्स और ई बिजनेस को अपडेट किया जा सके। ग्राम राष्ट्र का केंद्र बिंदु है, कृषि भारत का प्राण है।ग्राम भारत का शरीर है, कृषि मूलश्च जीवन है । यह बात कोरोना काल में साबित हो चुका है।

उद्यमिता विकास को लक्ष्य बनाते हुए प्रोफेसर जे.के गुप्ता ने कहा कि छात्रों में ऐसी शिक्षा व को दिए जाने की जरूरत है जिसमें कि छात्र सिर्फ नौकरी पाने वाला नहीं बल्कि रोजगार देने वाला बन सके। पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट को महत्व, छात्र-छात्राओं, किसानों , उद्यमीयों में कौशल विकास व प्रशिक्षण को प्रमुखता , उत्पादन में तकनीकी हस्तांतरण (टेक्नोलॉजी ट्रांसफर) को प्रभावी बनाना , कचरा प्रबंधन का समुचित प्रयास व कचरा से कम्पोस्ट बनाना एवं खेती में प्रयुक्त करने के लिए बायोपेस्टिसाइड और ऑर्गेनिक मैटर को अधिकाधिक तैयार कर आर्थिक प्रयोग करना। अधिकाधिक कीटनाशक, पेस्टिसाइड से होने वाले नुकसान से बचाव करने , यातायात से अधिक होने वाले व्यय में कमी किए जाने पर भी डॉ जे.के गुप्ता ने अपने व्याख्यान में बल दिया। कृषि पर्यटन को भी नई तकनीक व उपाय में अपनाना ।जिससे किसानों व कृषि छात्र-छात्राओं में कला, क्राफ्ट, फॉर्म ऑपरेशन का सस्टेनेबल अपग्रेडेशन हो सके व किसान परिवार के बच्चे भी कुछ सीख सकें।
प्रोफेसर गुप्ता ने अपने व्याख्यान में इनफॉर्मल इकोनामी को बढ़ावा देने के साथ ही मजदूर, दिहाड़ी मजदूरों की अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भागीदारी को भी शामिल किया। डॉ गुप्ता ने छोटे उद्यमी, व्यवसायी, कृषकों को ब्याज रहित लोन भी तय अवधि तक के लिए दिए जाने पर जोर दिया। डॉ गुप्ता ने अनेक सफल उद्यमीगणों का उदाहरण देते हुए उद्यमिता विकास पर छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन किया। संपत्ति प्रबंधन योजना को आवश्यक रूप से अपनाना, व्यवसाय में व्यवसायिक दृष्टिकोण रखना भी अब जरूरी हो गया है। टेलीविजन के माध्यम से अनावश्यक अनुपयोगी जानकारी से बचना भी जरूरी हो गया है।

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