राकेश कुमार अग्रवाल
झांसी : उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय में महाप्रबंधक राजीव चौधरी की अध्यक्षता में क्षेत्रीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक संपन्न हुई।
आन लाइन बैठक में शामिल अधिकारियों को संबोधित करते हुए महाप्रबंधक चौधरी ने कहा कि राजभाषा की परंपरागत बैठक और उसमें होने वाली प्रत्यक्ष चर्चाओं और विचार-विमर्श का विशिष्ट महत्व होता है। लेकिन इस वैश्विक महामारी के कारण प्रत्यक्ष सामूहिक बैठकों और कार्यपद्धतियों में जो बदलाव आया है, उससे कार्यप्रणाली में भी महत्वपूर्ण बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि हमारी रेलवे ने इन अत्यंत विषम परिस्थितियों में पूरी मुस्तैदी, समर्पण और निष्ठा के साथ गाड़ियों के संचालन की गतिशीलता बनाए रखी है और हमारे रेलकर्मी कोरोना वायरस की इस भयावह महामारी के विरुद्ध योद्धा की भूमिका निभा रहे हैं। इस दौरान सभी वीडियो संदेश और निर्देश हिंदी में ही जारी किए हैं। चिकित्सा ,जनसंपर्क एवं अन्य विभागों द्वारा कोविड-19 से बचाव और रोकथाम के लिए जारी पोस्टर, दिशानिर्देश और सूचनाएं हिंदी में तैयार की गईं हैं। चौधरी ने कहा कि महामारी के दौरान कार्यालयों में ई-आफिस का प्रयोग किया जा रहा है । ई-आफिस में हिंदी और अंग्रेजी दोनों का विकल्प है। उन्होनें सभी विभागों, मंडलों और कारखानों को ई-आफिस में उपलब्ध हिंदी में कार्य करने की सुविधा का, विकल्प नहीं, बल्कि संकल्प के तौर पर प्रयोग करने के निर्देश दिए, साथ ही इसमें हिंदी के मानक यूनिकोड फांट, मंगल फांट का ही प्रयोग करने की हिदायत दी। बैठक में भारतीय भाषा, संस्कृति और साहित्य के उन्नायक गोस्वामी तुलसीदास तथा उपन्यास एवं कहानी सम्राट प्रेमचंद की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित साहित्यिक संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए महाप्रबंधक श्री राजीव चौधरी ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास और प्रेमचंद के साहित्य मानवता एवं उच्चादर्शों का संदेश देते हैं। ये दोनों ही महामानव ऐसे साहित्य सर्जक हैं, जिनकी रचनाएं कठिन और प्रतिकूल परिस्थितियों में उम्मीद की रोशनी दिखाती हैं तथा व्यक्ति और समाज का सम्यक पथ प्रदर्शन करती हैं। बैठक के प्रारंभ में महाप्रबंधक श्री राजीव चौधरी द्वारा गोस्वामी तुलसीदास और मुंशी प्रेमचंद के चित्र पर माल्यार्पण किया गया।
बैठक के प्रारंभ में मुख्य राजभाषा अधिकारी एवं प्रधान मुख्य वाणिज्य प्रबंधक महेन्द्र नाथ ओझा ने समिति को अवगत कराया कि प्रयागराज में आयोजित माघ मेला के दौरान मेला क्षेत्र में स्थित उत्तर मध्य रेलवे के शिविर में राजभाषा के प्रयोग-प्रसार तथा महात्मा गाँधी के जीवन दर्शन एवं प्रेरक विचारों से संबंधित चित्र प्रदर्शनी लगाई गई। पिछली तिमाहियों में छह हिंदी कार्यशालाएं आयोजित की गईं और कंप्यूटर हिंदी कुंजीयन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवधि के दौरान कई प्रसिद्ध साहित्यकारों की जयंतियों के अवसर पर साहित्यिक संगोष्ठियों का भी आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मुख्य राजभाषा अधिकारी एम.एन.ओझा ने गोस्वामी तुलसीदास और मुंशी प्रेमचंद के साहित्य के महत्वपूर्ण पक्षों पर परिचर्चा करते हुए कहा कि गोस्वामी तुलसीदास भारतीय साहित्य के संरक्षक थे और उन्होने जन-जन के हदय में राष्ट्र गौरव एवं राष्ट्रीय अस्मिता की पावन भावना का संभरण किया। श्री ओझा ने कहा कि तुलसी के रामराज्य में किसी भी प्रकार के दैहिक, दैविक एवं भौतिक संतापो और बाधाओं की व्याप्ति नहीं होती। रामराज्य की परिकल्पना नैतिक मूल्यों और सामाजिक मानदंडों से अनुप्राणित है। ओझा ने कहा कि प्रेमचंद पहले वास्तविक कथा सम्राट हैं, क्योंकि इसके पूर्व तिलस्मी और ऐयारी प्रधान कथा साहित्य ही रचे जाते थे। प्रेमचंद का कथा साहित्य आदर्श से यथार्थ की ओर प्रस्थान का साहित्य है। प्रेमचंद का मानना था कि साहित्यिक सौंदर्य चेतना की कसौटी को बदलना चाहिए और साहित्यकारों को श्रम के स्वेद की महत्ता पर अपनी लेखनी चलानी चाहिए। ओझा के अनुसार तुलसीदास और प्रेमचंद दोनों का साहित्य अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध उठाई गई सशक्त आवाज है।
बैठक में अपर महाप्रबंधक रंजन यादव सहित सभी प्रधान विभागाध्यक्ष, मंडलों के अपर मंडल रेल प्रबंधक, कारखानों के मुख्य कारखाना प्रबंधकों एवं अन्य सदस्य अधिकारियों ने विडियो कान्फरेंस के माध्यम से भाग लिया। सभी अधिकारियों ने अपने-अपने कार्यालयों में हो रही राजभाषा प्रगति से महाप्रबंधक को अवगत कराया। बैठक का संचालन वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी चन्द्र भूषण पाण्डेय द्वारा किया गया तथा उप मुख्य राजभाषा अधिकारी शैलेन्द्र कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।