आजादी के आंदोलन को धार देने गाँधी, नेहरू, शास्त्री और सीमांत गाँधी आए थे कुलपहाड़

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भगवान दास बालेन्दु और बालगोविंद अग्रवाल रहे स्वतंत्रता संग्राम के ध्वजवाहक

राकेश कुमार अग्रवाल की विशेष रिपोर्ट

कुलपहाड ( महोबा )। 15 अगस्त को देश स्वतंत्रता दिवस की 73 वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है । महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में आज़ादी के लिए जो अहिंसक संग्राम लड़ा गया उसमें कुलपहाड़ ग्राम का भी विशेष योगदान रहा है । यहां 1921 में युवा भगवान दास बालेन्दु के नेतृत्व में विदेशी वस्त्रों की होली जलाकर आंदोलन का शुभारंभ किया गया . यहीं पर अंग्रेज पिट्ठुओं के बहिष्कार का अनूठा शांति संग्राम की इबारत लिखी गई।

कुलपहाड आजादी के आंदोलन का गढ रहा है। रेल लाईन की सुविधा के कारण स्वाधीनता संग्राम के नायकों का कुलपहाड आगमन होता था। जिसका प्रभाव यहां की तरुणाई व युवाओं पर पडा। अनेक युवाओं ने आजीवन खादी पहनने का संकल्प लिया और कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की ।

बालेन्दु अरजरिया, बालगोविंद अग्रवाल, मूलचंद टेलर मास्टर तथा अब्दुल रज्जाक समेत एक दर्जन युवा गांधी जी के आहवान पर स्वाधीनता संग्राम में कूद पडे।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. श्री बालगोविंद अग्रवाल
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. श्री बालगोविंद अग्रवाल

1923 में कुलपहाड़ में प्रथम खादी भंडार की स्थापना की गई । सन 1926 में जवाहरलाल नेहरू व आचार्य कृपलानी प्रातः 4 बजे मानिकपुर झांसी ट्रेन से कुलपहाड़ रेलवे स्टेशन पर उतरकर दो घंटे स्टेशन पर रुक कर पैदल ही अपना झोला टांगें हुए जंगल के बीच से चलते हुए 3 मील दूर कुलपहाड़ खादी भंडार पहुंचे । खादी भंडार देखने के बाद 26 मील दूर राठ खादी भंडार पैदल जाने को तैयार हो गए । उन दिनों बसें नहीं चलतीं थीं । उसी समय डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के अध्यक्ष अपनी मोटर से निकले जो राठ जा रहे थे । उन दिनों बालेन्दु अरजरिया के चाचा धनीराम अरजरिया डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के सदस्य थे , जिस कारण बालेन्दु जी का अध्यक्ष से अच्छा परिचय था । नेहरू जी को अपने साथ राठ ले जाने की बात सुनकर हिचकिचाए क्योंकि अंग्रेजों का राज था । बालेन्दु जी के ज़ोर देने पर वे नेहरू जी को मोटर में अपने साथ राठ ले गए ।
1928 में बालेन्दु जी कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गए तो महात्मा गांधी को कुलपहाड़ आने का निमंत्रण देकर लौटे । नवम्बर 1929 में गांधी जी कुलपहाड़ आए तथा जनतंत्र इंटर कालेज मैदान में विशाल जनसभा की। जिस जगह जनसभा हुई वहां पर आज भी गांधी चबूतरा बना हुआ है । गांधी जी रात्रि में कुलपहाड़ में ही खादी भंडार में रुके थे । ग्राम वासियों की ओर से गांधी जी को 1500 रुपए की थैली भेंट की गई तथा वापसी में रेलवे स्टेशन जाते समय रास्ते में क्रिश्चियन मिशन द्वारा भी उन्हें 101 रुपए की थैली भेंट की गई थी ।

1929 में बालेन्दु जी कांग्रेस के उस ऐतिहासिक लाहौर अधिवेशन में उपस्थित थे जिसमें 31 दिसम्बर को पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव पारित किया गया था। 1930 में असहयोग आंदोलन चलाने के लिए गांधी जी ने हर प्रांत में एक अधिनायक नियुक्त किया था । गणेश शंकर विद्यार्थी जी को संयुक्त प्रांत ( अब उत्तर प्रदेश ) का प्रथम अधिनायक नियुक्त किया गया था । विद्यार्थी जी ने हमीरपुर जिले का प्रथम अधिनायक बालेन्दु अरजरिया को नियुक्त किया था। कुलपहाड़ में जबरदस्त आंदोलन चला । 7 मई 1930 को गांधी जी के गिरफ्तार होने पर कुलपहाड़ में पूर्ण हड़ताल रही । पुलिस तथा सरकारी अफसरों का बायकॉट किया गया। धोबी ने उनके कपड़े धोना बंद कर दिए , नाई ने बाल काटना , हजामत बनाना बंद कर दिया ।

दुकानदारों ने इन्हें सामान बेचना बंद कर दिया । यह बॉयकॉट एक माह चला । जब पुलिस अधिकारियों ने अनुरोध किया कि आपकी लड़ाई अंगेजों से है , हम तो हिन्दुस्तानी हैं। तब बॉयकॉट खत्म किया गया। 1930 में बालेन्दु जी को गिरफ्तार कर बरेली जेल भेजा गया , जहां पंडित गोविन्द वल्लभ पंत जी भी बंद थे । बालगोविंद अग्रवाल जी तथा अन्य लोग भी गिरफ्तार किए गए । कुलपहाड़ के ऐतिहासिक पुलिस बहिष्कार पर बालेन्दु अरजरिया ने लिखा था कि

” बहिष्कार को भओ है , यहीं शान्ति संग्राम ;
ब्रिटिश पुलिस में दर्ज है , कुलपहाड़ कौ नाम !!

1932 में भी कुलपहाड़ में स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था । इनमें से बालेन्दु जी को फैज़ाबाद जेल भेजा गया जहां लाल बहादुर शास्त्री जी भी बंद थे । जो अन्य सेनानी गिरफ्तार किए गए उनमें बालगोविंद अग्रवाल , सुगिरा के मोतीलाल तिवारी , गौरहारी के रामदुलारे द्विवेदी , जैतपुर के मंटी लाल , विश्वेशवर दयाल पटेरिया , रघुवीर दीक्षित , अट्टे दौआ आदि थे ।

महिला स्वतंत्रता सेनानियों को भी गिरफ्तार किया गया । बालेन्दु की पत्नी श्रीमती किशोरी देवी अरजरिया को गिरफ्तार कर पहले हमीरपुर जेल फिर बनारस जेल में बंद रखा गया जहां उनके साथ अरुणा आसिफ अली भी बन्द थीं । गौरहरी की रानी देवी द्विवेदी , सुगिरा की की सरस्वती देवी पत्नी मोतीलाल तिवारी , सरजू देवी पटेरिया आदि को भी गिरफ्तार किया गया था।

रानी राजेन्द्र कुमारी के नेतृत्व में डाक बंगला मैदान में विदेशी वस्त्रों एवं वस्तुओं की होली जलाई गई थी . वर्तमान में इसी जगह से कोतवाली संचालित की जा रही है।

कुलपहाड में गाँधी , नेहरू के अलावा लाल बहादुर शास्त्री , सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खां , राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन समेत तमाम स्वाधीनता संग्राम के नायकों ने आकर आजादी की जंग को धार दी थी।

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