न लगेगा मेला न निकलेगी विमानों की शोभायात्रा न ठाकुर जी कर सकेंगे जलविहार
राकेश कुमार अग्रवाल
कुलपहाड ( महोबा ) । कोरोना वायरस सभी ऐतिहासिक परम्पराओं व सामाजिक कार्यों पर भारी पड रहा है। सीढे तीन सौ वर्षों के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब ऐतिहासिक जलविहार मेला की परम्परा इस बार टूटने जा रही है। पहली बार न मेला लगेगा न ही ठाकुर जी बलभद्र , सुभद्रा के साथ मंदिरों से निकल जलविहार करेंगे।
उल्लेखनीय है कि लगभग 350 वर्षो से नगर में किशोर जू महाराज जलविहार मेला का आयोजन होता आ रहा है। अमित प्रताप सिंह के अनुसार कुलपहाड का जलविहार मेला चरखारी के गोवर्धननाथ मेले से पुराना है। भादों ( भाद्रपद ) मास की तेरस को प्रतिवर्ष इस मेले की भव्य शोभायात्रा के साथ शुरुआत होती है। शोभायात्रा को देखने के लिए आस पास के एक दर्जन से अधिक गांवों के नर नारी बच्चों को लेकर उमड पडते थे। शुरुआत नगर के पूर्व जमींदार कुंवर नारायन सिंह के श्रीकिशोर जू मंदिर से होती है। शोभायात्रा के साथ साथ हाथी , घोडों , कीर्तन मंडलियों व झांकियों के बीच में विभिन्न देवालयों हटवारा , गौतमिया , पस्तोर , अनिल मिश्रा , राकेश अरजरिया , निरंजन , जमुना द्विवेदी समेत एक दर्जन देवालयों की देवमूर्तियों को भव्य विमान में सजाकर कहार अपने कंधों पर लेकर बडे तालाब में विहार कराने के लिए निकल पडते हैं। यह शोभायात्रा नगर पंचायत कार्यालय , गल्ला मंडी , मुख्य बाजार , स्टेट बैंक , कन्या पाठशाला , पुरानी तहसील होते हुए अँधेरे में बडा तालाब पहुंचती है जहां पर बलभद्र , सुभद्रा समेत देवी देवताओं को भजन कीर्तन की स्वर लहरियों के बीच जल विहार कराया जाता है। शोभायात्रा में विमानों में विराजी देवमूर्तियों की प्रत्येक घर के दरवाजे पर पूजा अर्चना , आरती के अलावा भोग प्रसाद लगाया जाता है। ईश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए विमानों के नीचे से निकलने की होड लगी रहती है। शोभायात्रा के साथ एक सप्काह तक चलने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत हो जाती है। जिसमें गीत , संगीत , राई नृत्य , कवि सम्मेलन , आर्केस्ट्रा , जबाबी कीर्तन , कव्वाली व बुंदेली आल्हा गायन , दीवारी नृत्य समेत लोकगीत संध्या का आयोजन होता है। वर्तमान में मेले का आयोजन प्रतिवर्ष नगर पंचायत करवाती है।
मेले के आयोजन में लगभग आठ लाख का बजट आवंटित होता रहा है।
दो वर्ष पूर्व तक मेला रामलीला मैदान व गल्ला मंडी पर आयोजित होता रहा है। लेकिन जगह की कमी होने के कारण बडे मेला ग्राउंड की जरूरत महसूस हो रही थी जिसे देखते हुए नगर पंचायत अध्यक्ष ने दो वर्ष पुरानी तहसील पर नया मेला ग्राउंड विकसित कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए मंच , ग्रीन रूम , अस्थाई पुलिस चौकी का निर्माण कराकर वहां मेला की शुरुआत करा दी थी। मेले में लगभग पांच सैकडा दुकानों के लगने से अच्छी खासी खरीदफरोख्त होती थी।
लगभग पन्द्रह दिन तक चलने वाले इस मेले का इंतजार नगर के लोगों के अलावा एक दर्जन से अधिक गांवों के लोग करते थे। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के बढते प्रकोप के कारण भीड भाड को रोकने के लिए प्रशासन ने मेला के आयोजन को अनुमति देने से इंकार कर दिया है।
नगर पंचायत अध्यक्ष वंदना सिंह के अनुसार देशकाल के हालात को मद्देनजर भारी मन से ये फैसला लेना पडा है। अगले वर्ष भव्यता के साथ इसका आयोजन किया जाएगा।