रिपोर्ट – मोजीम खान
अमेठी-बेहतर सेवाओं के लिए जानी जाने वाली प्राइवेट मोबाइल कंपनियां भी उपभोक्ताओं को रुलाने में लगी हैं इंटरनेट डाउनलोडिंग तो दूर की बात काॅल ड्राप के बिना सुचारू बात होना भी सपना बन गया है।
इन निजी कंपनियों में उपभोक्ता संख्या बढाने के चक्कर में लाखों की संख्या में सिम तो बांट दीं लेकिन उसी अनुपात में न मोबाइल टावर खडे किए और न बीटीएस लगाए। घर में बैठे रहे लोगों को समय बिताने का मोबाइल व कम्प्यूटर एक बडा सहारा रहा बच्चों की आनलाइन कक्षायें तो शुरु हो गईं लेकिन नेटवर्क शेयर बाजार की तरह फुल टाइम विशेषकर दोपहर व शाम के समय काम ही नहीं करता. इस कारण बैंकिंग सेवायें , आनलाइन रजिस्ट्री जैसी सभी आवश्यक सेवायें भी घुटनों पर आ गई है।
हालात यह हैं कि फोन पर बात करते समय कई बार फोन कट जाता है। सबसे ज्यादा परेशानी तो ग्रामीण क्षेत्र में हैं, जहां बिजली कटने के बाद तो मोबाइल का नेटवर्क भी पूरी तरह साथ छोड़ देता है। इससे परेशान ग्रामीण अब बार बार कंपनी बदलने को मजबूर हैं। उपभोक्ताओं में रोष पनप रहा है। क्योंकि सभी कंपनियां प्रीपेड के नाम पर पहले ही पैसा वसूल लेती हैं यहां उनके कोई अधिकारी नहीं रहते। नाॅन टेक्निकल लोगों के भरोसे चल रही सेवाओं में ठगा उपभोक्ता जा रहा है।तो वही जहा देशभर में तीस तीन का महीना होता है।लेकिन मोबाइल कंपनियों ने अपना एक अलग से महीना बना लिया है जो मात्र 28 दिन का होता है।और उपभोक्तओं से पूरे तीस दिन का रुपये वसूल करते है।जो नेटपैक पहले तीस दिन में खत्म होता था वह अब 28 दिन में ही खत्म हो जाता है।इस पर सरकार भी गंभीर नही है।जिसके चलते ये कंपनियां खुलेआम जनता की जैबो पर डाका डाल रही है।