बाँदा—-आपने मरने के बाद बड़े इंसानों के क्रिया कर्म तो होते हुए देखे होगे लेकिन छोटे मासूम बच्चो के कोई भी व्यक्ति मरने के बाद कोई भी क्रिया क्रम जंहा नहीं करता है वही बुंदेलखंड में मरे हुए छोटे बच्चो की आत्माओं को शान्ति देने के लिए मह्बुलियो के मनाये जाने की परम्परा कई हजार वर्सो से चली आ रही है जंहा पर छोटे-छोटे बच्चे व कुवारी कन्याये काटे – फूलो को सजाकर पितर पक्ष में अनोखे तरीके से तर्पण करते है जो की पितर पक्ष में पंद्रह दिनों तक मनाया जाता है।
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में पित्तर पक्ष में पूर्वजो कातर्पण करने और उनका श्राद्ध करने के अनोखी परंपरा है यहाँ छोटी छोटी क्वारी लडकिया कांटो के झाड में लगे कांटो में रंग बिरंगे फूल सजाती है फिर उसे गीत गाते हुए तालाबो पोखरों में जाकर विसर्जित कर के आपस में प्रसाद बाटती हैं ! पूरे पितर में हर रोज हर गाओ और क़स्बो में फूलो से सजे काँटों के लिए हुए लडकियों की टोलिया देखने को मिलती है ! माह्बुलिया के रिवाज के पीछे कारण यह है की हिन्दू धर्म में बालिगो की मौत के बाद उसका दिन, तेरही और श्राद्ध करने की तो परंपरा है मगर छोटे बच्चो की मौत के बाद उनका श्राद्ध नहीं किया जाता है इसी लिए बुंदेलखंड की छोटी बच्चिया देश भर में मरे छोटे बच्चो का श्राद्ध माह्बुलिया निकाल कर करती है वो उनकी आत्मा की शान्ति के लिए तर्पण गीत गाती हुई तालाबो ,पोखरों में जाकर बच्चो की आत्मा की शान्ति के लिए तर्पण करती है।
ये इन छोटी – छोटी क़ुवारी लडकियों को देखिये ये कांटो के झाड में लगे कांटो में रंग बिरंगे फूलो को सजा रही है ये किसी खेल की तैयारी नहीं कर रही है बल्कि उन मरे हुए छोटे – छोटे बच्चों की आत्मा की शान्ति के लए मह्बुलिया सजा रही है और फिर उनकी पूजा अर्चना करके, पकवान बनाकर , शाम को टोलियों में निकलकर तर्पण गीत गाती हुई तालाबो ,पोखरों में जाकर बच्चो की आत्मा की शान्ति के लिए तर्पण करती है।
बुंदेलखंड इलाके में पित्तर पक्ष में पूर्वजो का तर्पण करने और उनका श्राद्ध करने की अनोखी परंपरा है यह पितर पक्ष का त्यौहार 15 दिन का होता है जो छोटे बच्चे मर जाते है उनकी आत्माए भटकती रहती है इन भटकती आत्माओं की शान्ति के लिए पितर पक्ष में छोटे -छोटे बच्चे उन मरे हुए बच्चो की आत्मा की शान्ति के मह्बुलिया को सजाते सवारते हैऔर फिर उनकी पूजा अर्चना करके पकवान बनाकर शाम को तर्पण गीत गाती हुई तालाबो ,पोखरों में जाकर बच्चो की आत्मा की शान्ति के लिए तर्पण करती है
यहाँ के पंडितो का कहना है की इस पितर पक्ष में लोग अपने पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिए पानी देते है और श्राध मनाते है अपर जो छोटे – छोटे बच्चे मर जाते है उनकी आत्मा भटकती रहती है उनकी इसी भटकती आत्मा की शान्ति के लिए छोटे -छोटे बच्चे मह्बुलिया सजाते है और उसकी पूजा अर्चना करके पकवान बनाते है फिर शाम को तर्पण गीत गाते हुई तालाबो, पोखरों में जाकर बच्चो की आत्मा की शान्ति के लिए तर्पण करती है।
फ्वीओ — कुछ भी हो पर बुंदेलखंड में पित्तर पक्ष में पूर्वजो का तर्पणकरने और उनका श्राद्ध करने की अनोखी परंपरा है और जो छोटे बच्चे मर जाते है उनकी आत्मा भटकती रहती है उनकी इसी आत्मा की शान्ति के लिए छोटे – छोटे बच्चे मह्बुलिया को सजाते सवारते है पकवान बनाते है पूजा अर्चना करके इस पर्व को मनाते है।