कौशांबी । जनपद में फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वाले अध्यापक ही नहीं बल्कि फर्जी दस्तावेजों पर दिव्यांग बनकर भी शिक्षक पद पर तमाम लोग नौकरी कर रहे हैं। इनमें से छह शिक्षकों को जांच चल रही है। मेडिकल बोर्ड ने एक महिला शिक्षक की जांच के बाद उसके दिव्यांग प्रमाण पत्र को गलत पाया। इसके बाद शिक्षक के खिलाफ फर्जी तरीके से नौकरी करने की रिपोर्ट बेसिक शिक्षा अधिकारी को दी है। अब शिक्षिका को नौकरी से निकालने की तैयारी विभाग ने शुरू कर दी है। इसके लिए खंड विकास अधिकारी चायल से रिपोर्ट के साथ सेवा पुस्तिका व अन्य दस्तावेज मांगे गए हैं।
गौरतलब है कि पूर्व माध्यमिक विद्यालय चिल्लाशहबाजी चायल में वर्ष 2008 से तैनात शिक्षिका अनीता केसरवानी फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र (अस्थि विकलांग) के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी कर रही थी। शिकायत के बाद विभागीय अधिकारियों ने जांच के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की तो वह कोर्ट चली गई। न्यायालय के आदेश के बाद मेडिकल टीम का गठन कर उनके दिव्यांग होने की जांच का निर्देश दिया गया। विभाग की ओर से मेडिकल टीम का गठिन करते हुए शिक्षिका अनीता केसरवानी पुत्री हरिनारायण केसरवानी की जांच 21 जनवरी को कराई गई। मेडिकल टीम ने उनकी दिव्यांगता को फर्जी पाते हुए उनको नौकरी से निकाले जाने की संस्तुति कर दी। मेडिकल टीम की संस्तुति के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने अनीता केसरवानी को नौकरी से निकालने की पहल शुरू कर दी है। इसके लिए खंड शिक्षा अधिकारी चायल से शिक्षिका के सेवा अभिलेख मांगा गया है। खंड शिक्षा अधिकारी को 22 फरवरी तक अपनी रिपोर्ट के साथ दस्तावेज देना होगा।
बीएसए स्वराज भूषण का कहना है कि पूर्व माध्यमिक विद्यालय चिल्लाशहबाजी में तैनात शिक्षिका को मेडिकल टीम ने फर्जी दिव्यांग होने का दोषी पाया है। जांच में उनकी दिव्यांगता 40 फीसद से कम मिली है। ऐसे में उनको नौकरी से निकालने की कार्रवाई चल रही है। इसके लिए खंड शिक्षा अधिकारी से रिपोर्ट मांगी गई है।