नि:संतान वृंदावन ने संतान की चाहत में की थी दूसरी शादी

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दो पत्नी , बहू व तीन नातियों की जिम्मेदारी अब 65 वर्षीय बूढे वृंदावन पर


कुलपहाड ( महोबा )
इसे किस्मत कहें या विधि का विधान जिस संतान की चाहत में वृंदावन ने दूसरी शादी की उसी इकलौते बेटे को वृंदावन को असमय खोना पड गया . कमाऊ पूत मनोज की मौत के बाद अब 65 वर्षीय बूढे वृंदावन के सिर पर दोनों पत्नियों , बहू व तीन नाती नातिनों की जिम्मेदारी आ गई है .
मृतक मनोज के पिता वृंदावन अहिरवार की पहली पत्नी राजाबाई से जब कोई संतान नहीं हुई तब वृंदावन ने रामश्री नाम की महिला से दूसरा विवाह किया था . दोनों पत्नियाँ साथ में रहती हैं . रामश्री से विवाह के पश्चात दो बच्चों का जन्म हुआ .बेटा मनोज व बेटी रामदेवी . दोनों बच्चों की शादी करके वृंदावन अपनी जिम्मेदारी पूरी कर चुका था . मनोज पेंटिंग का काम करता था जिससे उसकी घर गृहस्थी चल रही थी . मनोज की शादी नौसारा की लक्ष्मी से हुई थी . उसके दो बेटियां कविता 6 वर्ष , प्रियंका 3 वर्ष एवं डेढ वर्ष का बेटा कार्तिक है . वृंदावन के महज तीन बीघा खेती है . 65 वर्षीय वृंदावन के लिए इस उम्र में खेती करना भी सहज न होगा . घर का इकलौता कमाऊ पूत गंवाने के बाद पूरा परिवार बदहबाशी के हाल में है .
उपजिलाधिकारी मो. अवेश के अनुसार जांच रिपोर्ट आते ही शासन से अनुमन्य मदद पीडित परिवार को दिलाई जाएगी .

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