राकेश कुमार अग्रवाल
संसद को लोकतंत्र का सबसे बडा मंदिर कहा जाता है . देश की राजधानी में नए संसद भवन के निर्माण और इससे लगती सरकारी इमारतों के नवीनीकरण से जुडे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर सर्वोच्च न्यायालय ने इस परियोजना से जुडे किसी भी प्रकार के काम या तोडफोड पर रोक लगा दी है . हालांकि 10 दिसम्बर को प्रस्तावित भूमि पूजन की न्यायालय ने मंजूरी दे दी है . दिल्ली में राजपथ के दोनों तरफ के इलाके को सेंट्रल विस्टा नाम दिया गया है . क्योंकि 1200 से अधिक आपत्तियाँ न्यायालय में दाखिल हो चुकी हैं . सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में राष्ट्रपति , उप राष्ट्रपति , जवाहर भवन , निर्माण भवन समेत तमाम महत्वपूर्ण इमारतें व भवन हैं . इस पूरे इलाके को 20000 करोड से अधिक की लागत से रेनोवेट करने की योजना है . न्यायालय द्वारा रोक लगाए जाने से सरकार पसोपेश में फंस गई है .
निवर्तमान भारतीय संसद का वास्तुशिल्प ब्रिटेन के मशहूर वास्तुविद सर एडविन लुटियन एवं सर हरबर्ट बेकर ने तैयार किया था . वास्तुशिल्प की दृष्टि से इसे दुनिया की सर्वश्रेष्ठ इमारतों में शुमार किया जाता है . लगभग 93 वर्ष पुरानी इस इमारत की जगह अब नया संसद भवन बनने जा रहा है . दो साल से कम समय में बनने वाले नए भवन के 2022 तक बनकर तैयार हो जाने की संभावना है .
मौजूदा संसद भवन को एडविन लुटियन और हरबर्ट बेकर ने 1912-13 में डिजायन किया था . 1921 में इस भवन के निर्माण की आधारशिला रखी गई थी . 12 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ कनाॅट ने इस भवन की आधारशिला रखी थी . 6 वर्ष में बनकर तैयार हुए इस भवन के निर्माण की जिम्मेदारी केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग को दी गई थी . मुख्य अभियंता सर हग कीलिंग और सर अलेक्जेंडर रूज की देखरेख में तैयार इस भवन के निर्माण में 83 लाख रुपए की लागत आई थी . 18 जनवरी 1927 को तत्कालीन भारत के गवर्नर जनरल ( वायसराय ) लाॅर्ड इरविन ने इसका उद्घाटन किया था . नवनिर्मित इस काउंसिल भवन में 19 जनवरी 1927 को तीसरी सेंट्रल लेजिसलेटिव असेम्बली की पहली बैठक आयोजित की गई थी .
जोहंसबर्ग आर्ट गैलरी , वाशिंगटन में ब्रिटिश दूतावास , ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय , कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय , आयरिश वाॅर मेमोरियल जैसी इमारतों को रचने वाले एडविन लुटियन ने दिल्ली में अमर जवान ज्योति , बडौदा हाउस , हैदराबाद हाउस , इंडिया गेट , जनपथ , पटियाला हाउस , राजपथ , राष्ट्रपति भवन , मुगल गार्डन , गोल मार्केट सभी में अपनी कल्पनाओं के रंग भरे . ये सभी भवन व इमारतें आज भी अपनी भव्यता , वास्तुशिल्प व कलात्मकता के लिए जानी जाती हैं . तभी तो लुटियन को ‘ फादर ऑफ न्यू डेल्ही ‘ या फिर दिल्ली को ‘ लुटियन की दिल्ली ‘ के नाम से जाना जाता है .
लेकिन लुटियन द्वारा डिजायन की गई संसद अब इतिहास बनने जा रही है . हालांकि एक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि मध्यप्रदेश के मुरैना में 8 वीं शताब्दी में बना चौंसठ योगिनी मंदिर निवर्तमान संसद भवन की हूबहू प्रतिकृति नजर आता है . चम्बल की संसद के नाम से चर्चित इस शिव मंदिर को इकहत्तर सौ महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है . ग्वालियर से 40 किमी. एवं मुरैना से 25 किमी. दूर मितावली और पदावली नामक दो अलग अलग गांव हैं . मितावली में भूमि तल से 300 फीट की ऊँचाई पर बने चौंसठ योगिनी मंदिर का निर्माण 6 से 11 वीं शताब्दी के मध्य का माना जाता है . इस मंदिर का निर्माण तत्कालीन प्रतिहार क्षत्रिय राजाओं ने किया था . यह मंदिर गोलाकार है . इसी गोलाई में बने 64 कमरों में एक एक शिवलिंग स्थापित है . इसलिए इसे चौंसठ योगिनी शिवमंदिर भी कहा जाता है . इस मंदिर के प्रवेश द्वार तक पहुंचने के लिए सैकडों सीढियों का सफर तय करना पडता है . इस मंदिर का निर्माण महाराजा देवपाला ने आठवीं शताब्दी में करवाया था . भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इकहत्तरसौ महादेव मंदिर को प्राचीन व ऐतिहासिक इमारत का दर्जा दे रखा है .
971 करोड की लागत से बनने वाले संसद के नए भवन की शुरुआत आजादी की 75 वीं वर्षगांठ का सत्र शुरु करने से प्रस्तावित है . 65000 वर्ग मीटर के इस भवन का 16, 921 वर्ग मीटर अंडरग्राउंड होगा . नए भवन में 888 लोकसभा और 384 राज्यसभा सदस्य बैठ सकेंगे . सांसदों के लिए नए परिसर में लाउंज , लायब्रेरी , समिति कक्ष , भोजन कक्ष भी होंगे . देश का प्रतिष्ठित औद्योगिक समूह टाटा को संसद भवन के निर्माण का दायित्व सौंपा गया है . नए भवन की ऊँचाई मौजूदा संसद भवन के बराबर ही होगी लेकिन इसमें बेसमेंट समेत तीन फ्लोर होंगे . यह भवन पुराने संसद भवन से करीब 17000 वर्ग मीटर ज्यादा बडी होगी . 1927 में बनकर तैयार हुए संसद भवन की तुलना में नए भवन की लागत 1200 गुना ज्यादा होगी . हालांकि नया भवन कम समय में बनकर तैयार होगा .
संसद भारतीय लोकमानस की आशाओं , आकांक्षाओं और अपेक्षाओं की इमारत है . इसलिए इसकी दरो दीवारें जितना मायने नहीं रखतीं उससे ज्यादा इस भवन में चुनकर पहुंचे सांसदों की भूमिका मायने रखती है .