रिपोर्ट- राकेश कुमार अग्रवाल
कोरोना काल में हुआ राम मंदिर का शिलान्यास
भव्य अयोध्या , दिव्य अयोध्या की रखी गई आधारशिला
राकेश कुमार अग्रवाल
जब देश और दुनिया कोरोना की भयावहता से आक्रांत थी . उसी कोरोना काल में 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में भव्य एवं दिव्य राम मंदिर निर्माण को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शिलान्यास करते ही 492 साल पुराने विवाद का पटाक्षेप हो गया था . 9 साल तक सर्वोच्च न्यायालय में चले मामले का अंत 9 नवम्बर 2019 को पांच सदस्यीय पीठ के उस फैसले से हो गया था जिसने लगातार 40 दिन और 200 घंटे तक चली बहस के बाद दिए गए अपने फैसले में विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना था .
देश में कोई भी ऐसा मुद्दा या प्रकरण नहीं रहा है जिसने तीन दशकों तक पूरे देश को हलाकान किया हो . हिन्दू और मुसलमानों में वैमनस्यता की इतनी चौडी खाई पैदा की हो . अयोध्या विवाद एक ऐसा प्रकरण था जिसने यूपी ही नहीं देश की राजनीति , सामाजिक , धार्मिक , आर्थिक , कानून व्यवस्था जैसे तमाम क्षेत्रों को हिलाकर रख दिया था . मुझे आज भी 6 दिसम्बर 1992 का वह दिन याद है जब मैं राजस्थान के उदयपुर में बी.फार्मा का छात्र था . जिस दिन कारसेवकों ने विवादित ढांचे को ढहाया उस दिन मैं अपने दोस्त बेअंत सिंह के घर पर रुका हुआ था . तडके सुबह पांच बजे शहर में कर्फ्यू लगाए जाने की घोषणा कर दी गई . जीप में बैठे पुलिसकर्मी ठंड में कांपती आवाज में कर्फ्यू लगाए जाने का ऐलान कर रहे थे . कर्फ्यू लगाए जाने की घोषणा के बारे में अकसर सुनते और पढते रहते थे लेकिन कर्फ्यू में क्या होता है ? पुलिस की सख्ती कैसी होती है ? जैसी जानकारियां शहर में कर्फ्यू लगाए जाने के बाद जानीं . गनीमत यह थी कि मैं अपने दोस्त के घर पर था नहीं तो हो सकता है कि खाने पीने की समस्या उत्पन्न हो जाती . उदयपुर शहर से उस समय आधा दर्जन छोटे बडे समाचार पत्र छपते थे लेकिन पहली बार राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र ने अयोध्या की पल पल की जानकारी देने के लिए विशेषतौर पर सांध्यकालीन पेपर छापा . उस समय सांध्यकालीन संस्करण की भी बडी डिमांड हो गई थी क्योंकि सभी को अयोध्या की अपडेट की भूख थी . अफवाहों का दौर था . पूरे देश में दंगे शुरु हो गए थे . मैं तीन दिन तक बेअंत के घर पर रहा . वहीं दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलता था .जब पुलिस की गाडियाँ निकलतीं थी तो हम लोग अंदर चले जाते थे . जिस समय विवादित ढांचा ढहाया गया था उसी समय हम लोगों का इंडस्ट्रियल टूर जाना था . स्टूडेंट टूर पर जाने की जिद पर अडे थे जबकि कालेज मैनेजमेंट टूर पर भेजना नहीं चाहता था क्योंकि देश में जगह जगह दंगे हो रहे थे . कालेज किसी भी तरह की रिस्क नहीं लेना चाहता था . क्योंकि पूरे देश से मारकाट की खबरें आ रही थीं . टूर मुम्बई होकर जाना था लेकिन मुम्बई के हालात उस समय बहुत विकट थे . आखिरकार हम लोगों को मुम्बई जाने का फैसला छोडना पडा . इससे भी विकट स्थिति का सामना टूर से उदयपुर वापसी के दौरान करना पडा . रात में सभी साथियों ने होटल में रुकने का फैसला लिया . हाइवे पर ही होटल लव इंडिया मिला . होटल पर बस रोक दी गई . कुछ साथियों ने होटल मैनेजर के पास जाकर रुकने के लिए बात की . होटल का संचालक कोई मुस्लिम था . हम लोग रात में लगभग साढे दस बजे जब सामान लेकर होटल के अंदर पहुंचे तो देखा कि कुछ लोग अंदर नमाज पढ रहे थे . कुछ साथियों ने होटल में न रुकने के लिए कहा कि कहीं ऐसा न हो कि रात में मुसलमान लोग सबको काट कर फेंक दें और घरवालों को कुछ पता न चले . साथियों के साथ होटल में चली लम्बी बहस के बाद आखिरकार हम लोगों को कुछ देर बाद होटल खाली कर रात में वापस लौटना पडा . इस आलेख में दोनों प्रकरणों का उल्लेख करने का मकसद केवल इतना बताना है कि विवादास्पद ढांचा ढहाए जाने के बाद से देश में गंगा – जमुनी संस्कृति की जगह हिंदू और मुसलमान दो अलग अलग ध्रुव हो गए थे . अविश्वास की खाई इतनी चौडी हो गई थी कि जिसे तीन दशक बाद भी पाटा न जा सका . जबकि उक्त घटनाक्रम के बाद एक पूरी नई पीढी जवान हो गई है .
अयोध्या प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद अब राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के नए सिरे से बनने का रास्ता साफ हो गया है . कुछ वर्षो बाद मंदिर और मस्जिद दोनों भव्य रूप में नमूदार होंगीं .
प्रदेश की भाजपा सरकार ने अयोध्या के विकास को लेकर जिस तरह रोड मैप डिजाइन किया है उससे यह तो तय है कि आने वाले चार पांच वर्षों बाद आगरा और बनारस की तरह अयोध्या भी देश के पर्यटन मानचित्र पर उत्तर प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक , आध्यात्मिक पर्यटन स्थली के रूप में विकसित हो जाएगा . क्योंकि मंदिर को भव्य रूप प्रदान करने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट आगामी 14 जनवरी मकर संक्रांति से श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह अभियान शुरु करने जा रहा है . चंदा इकट्ठा करने के लिए कूपन भी जारी किए जा रहे हैं . अयोध्या – लखनऊ हाइवे पर लगभग डेढ सैकडा बडे प्रोजेक्ट आ रहे हैं . इनमें दस फाइव स्टार होटल , सात हाॅस्पिटल , 5 शापिंग माॅल के अलावा सभी धर्मों के लोग यहां पर जमीन खरीद रहे हैं . अयोध्या और इसके इर्द गिर्द की जमीन की दरों में बेतहाशा वृद्धि हो गई है . जिस अयोध्या नगरी में सामान्य दिनों में दो हजार लोग न आते थे . राम मंदिर और मस्जिद के निर्माण के बाद साल में दस लाख से अधिक श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के आने की संभावना जताई जा रही है . वैष्णो देवी , तिरुपति और शिरडी की तर्ज पर अयोध्या भी भीड जुटाने वाला तीर्थ स्थल बन जाएगा .
राम मंदिर बने और मस्जिद भी बने इससे किसी को गुरेज नहीं है . राम पूरी जिंदगी मर्यादा का पालन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाने के हकदार बने उनके नाम पर वापस सौहार्द का वातावरण बने 2020 का यही सबसे बडा संदेश है .