राकेश कुमार अग्रवाल
बांबे हाईकोर्ट द्वारा 100 करोड के वसूली प्रकरण में सीबीआई जांच का आदेश दिए जाने के बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख का बहुप्रतीक्षित इस्तीफा हो गया . महाराष्ट्र की सरकार पर इस इस्तीफे का क्या असर पडेगा इस पर विश्लेषण व घमासान जारी है . साथ ही महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार की घेराबंदी भी जोर पकड गई है . महज डेढ साल पुरानी सरकार का इस तरह घिर जाना अप्रत्याशित भी नहीं है .
25 फरवरी को देश के दिग्गज उद्योगपति मुकेश अम्बानी के घर एंटीलिया के निकट लावारिस खडी पाई गई एक स्कोर्पियो कार पर अंबानी की सुरक्षा टीम का शक जाता है . वह पुलिस को संदिग्ध कार के बारे में सूचना देती है . पुलिस को कार की जांच के दौरान स्कोर्पियो कार से विस्फोटक जिलेटिन की 20 छडें एवं मुकेश अम्बानी के नाम लिखे धमकी भरा पत्र भी मिलता है . मुम्बई के गामदेवी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई जाती है . मुम्बई पुलिस की अपराध शाखा और अपराध अन्वेषण शाखा अलग अलग जांच शुरु करती हैं . मुंबई पुलिस प्रकरण की जांच एसीपी रैंक के अफसर को सौंपने का ऐलान करती है लेकिन इसके उलट काफी कनिष्ठ अधिकारी सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे को जांच सौंप दी जाती है . जो स्कोर्पियो कार अंबानी के आवास के पास से बरामद की गई वह कार ठाणे के ऑटोमोबाइल एवं स्पेयर पार्टस व्यापारी मनसुख हिरेन की थी जिसे उसने अपने मित्र सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे को उनके किसी पर्सनल काम के लिए दी थी . पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने 5 मार्च को विधानसभा में यह खुलासा कर जांच की मांग कि हिरेन और सचिन दोस्त थे . उसी 5 मार्च को ठाणे पुलिस ने ठाणे क्रीक से हिरेन का शव बरामद किया . हिरेन के मुंह में एक नहीं कई रूमालें ठुसी थीं . हिरेन की पत्नी विमल ने उनकी हत्या किए जाने का आरोप लगाया . केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने प्रकरण की जांच एनआईए को सौंप दी . एटीएस ने सचिन वाझे से पूछताछ शुरु की . दूसरी तरफ सरकार ने मुंबई के पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को हटाकर उन्हें उपेक्षित विभाग होमगार्ड में भेज दिया . परमबीर सिंह ने चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया कि गृहमंत्री अनिल देशमुख ने फरवरी में सचिन वाझे को बार , होटल , रेस्तरां से सौ करोड रुपए महीने उगाहने के निर्देश दिए थे . उद्धव सरकार ने ढाल बनकर गृहमंत्री देशमुख को बचाने के बहुतेरे प्रयास किए . लेकिन बांबे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और और जस्टिस एस . कुलकर्णी ने मामले को असाधारण और अभूतपूर्व बताते हुए कहा कि इतने गंभीर मामले में हम मौन नहीं रह सकते . इसके बाद देशमुख को इस्तीफा देने को मजबूर होना पडा .
बांबे हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई द्वारा जांच कराने की घोषणा के बाद केवल गृहमंत्री अनिल देशमुख की कुर्सी नहीं छिन गई बल्कि महाराष्ट्र सरकार भी विपक्ष के निशाने पर आ गई है . केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने महाराष्ट्र की शिवसेनानीत महाविकास अघाडी ( एमवीए ) सरकार को महा वसूली अघाडी सरकार बताते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से सवाल किया है कि गृहमंत्री ने तो नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया है . आपकी नैतिकता कहां है . उन्होंने उद्धव से कहा कि अब आप शासन करने के नैतिक आधार से वंचित हो गए हैं .
महाराष्ट्र की उद्धव सरकार में आठ पार्टियां शामिल हैं . इनमें शिवसेना के 57 , राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ( एनसीपी ) 53 , व कांग्रेस के 44 विधायक हैं . समाजवादी पार्टी व प्रहर जनशक्ति पार्टी को दो दो , स्वाभिमानी पक्ष , पीजेंट्स एंड वर्क्स पार्टी , व बहुजन विकास अघाडी पार्टी का एक एक विधायक शामिल है . 288 सीटों वाले सदन में भाजपा को 2019 चुनाव नें 105 सीटें मिली थीं .
उद्धव सरकार के लिए यह दूसरा झटका है . गृहमंत्री अनिल देशमुख के पहले वन मंत्री संजय राठौड को पूजा चव्हाण आत्महत्या प्रकरण में इस्तीफा देना पडा था . कुछ समय पूर्व केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार की हुई मुलाकात के भी अलग अलग अर्थ निकाले जा रहे हैं .
सचिन वझे 1990 में महाराष्ट्र पुलिस में बतौर पुलिस उप निरीक्षक भर्ती हुआ था . हिरासत में एक साफ्टवेयर इंजीनियर की मौत के बाद उसे 2004 में निलम्बित कर दिया था. सचिन ने 2006 में इस्तीफा दे दिया था . हालांकि सचिन का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया था . वझे को 2020 में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के दखल के बाद वापस मुंबई पुलिस में शामिल करा लिया गया . सचिन को आउट ऑफ द वे सरकारी सेवा में लाना व पुलिस आयुक्त द्वारा सचिन वझे पर लगाए गए आरोपों को दरकिनार नहीं किया जा सकता है . कहते हैं पुलिस की न दोस्ती अच्छी , न दुश्मनी अच्छी . हिरेन ने सचिन के साथ अपनी दोस्ती की कीमत जान देकर चुका दी है . सचिन वझे से संबंधों की कीमत गृहमंत्री को भी कुर्सी से हाथ धोकर चुकानी पडी है . मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे विधानसभा में सचिन का यह कहकर बचाव कर चुके हैं कि सचिन वाझे कोई ओसामा बिन लादेन नहीं है . लेकिन उसी सचिन वाझे ने 13 मार्च के अपने वाट्सएप स्टेटस में लिखा था कि दुनिया को अलविदा कहने का समय आ गया है . अब जांच सीबीआई के हाथ आ गई है . ऐसे में यह अपेक्षा जरूर की जानी चाहिए कि जिस तरह अपराधी और सत्ता का गठजोड घातक होता है उसी तरह पुलिस और सत्ता का गठजोड भी किसी अपराधी गैंगों से कहीं कम घातक नहीं होता इसकी परतें जरूर उधडनी चाहिए . भले उद्धव सरकार को भी जाना पडे .
कांटों का ताज बनी उद्धव के लिए महाराष्ट्र की कुर्सी
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