राकेश कुमार अग्रवाल
जिस बात का अंदेशा जताया जा रहा था . वैसा ही हुआ . कोरोना के दूसरे फेज में मौतों के बढते मामलों के मद्देनजर देश के तमाम प्रांतों में लगाए जा रहे लाॅकडाउन के चलते आखिरकार केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद ( सीबीएसई ) ने प्रधानमंत्री के साथ बैठक कर उनके निर्देश पर 10 वीं के छात्रों की बोर्ड परीक्षा रद्द कर दी है . 12 वीं की बोर्ड परीक्षा को रद्द तो नहीं किया गया है . लेकिन उसे भी स्थगित कर दिया गया है . अब 12 वीं की परीक्षाओं को लेकर एक जून को बोर्ड की मीटिंग में अगला फैसला लिया जाएगा .
कोरोना ने देश दुनिया में तबाही मचा रखी है . उसका तांडव लगातार जारी है . कोरोना के चलते उद्योग , व्यापार , कारोबार से लेकर पर्यटन उद्योग व शिक्षा व्यवस्था भी वेंटीलेटर पर आ गई है . पिछले सत्र की परीक्षाओं के ऐन पहले लाॅकडाउन लगने से होम एक्जाम देने वाले बच्चों को कक्षा उन्नति दे दी गई थी . जबकि बोर्ड परीक्षायें आधी अधूरी ही हो पाई थीं . बाद में परीक्षार्थियों के शेष पेपर कराने के बजाए एक फार्मूला बनाकर उसी के आधार पर बच्चों को कक्षा उन्नति दे दी गई थी . इस सत्र में लग रहा था कि शिक्षा व्यवस्था शायद पटरी पर आ जाए . बडी कक्षाओं को कोरोना प्रोटोकाल के साथ कुछ महीने संचालित भी किया गया . परीक्षा पाठ्यक्रम को कम किया गया . समय रहते परीक्षा का टाइमटेबल भी जारी कर दिया गया . 12 वीं के परीक्षार्थियों के प्रक्टिकल एक्जाम भी साथ साथ चल रहे थे . कुछ स्कूलों के प्रक्टिकल एक्जाम भी हो चुके थे तभी फिर से कोरोना के मामलों में एकाएक तेजी से इजाफा होना शुरु हुआ . पिछले साल के मुकाबले इस बार मौतें भी बहुत हो रही हैं . इसलिए कोरोना को लेकर भय का माहौल व्याप्त होता जा रहा है .
ज्यादातर अभिभावक बच्चों को लेकर अति संवेदनशील हैं एवं बच्चों की सेहत एवं सलामती को लेकर ले कोई भी रिस्क लेने के मूड में नहीं हैं . हालांकि स्कूलों में शिक्षण कार्य बंद चल रहा था . केवल कुछ स्कूलों में जहां बोर्ड के प्रक्टिकल एक्जाम नहीं हुए थे वहां बच्चे प्रक्टिकल परीक्षा देने आ रहे थे .
गौरतलब है कि पूरे देश में सीबीएसई बोर्ड से 21.5 लाख परीक्षार्थी पंजीकृत हैं . बोर्ड परीक्षा को लेकर स्टूडेंट्स ही नहीं पेरेन्ट्स भी परेशान रहते हैं . क्योंकि बोर्ड परीक्षाओं में अर्जित अंक पूरी जिंदगी व कैरियर के लिए मायने रखते हैं . देश की किसी भी प्रतिष्ठित शिक्षण संस्था में एडमीशन कराना हो या सरकारी जाॅब के लिए बनने वाली मेरिट सूची बोर्ड परीक्षाओं के अंक पत्रों की वैल्यू हमेशा से सर्वोपरि रहती आई है . इसलिए छात्र , अभिभावक , कोचिंग संस्थान सभी की चिंतायें बढ जाती हैं . सीबीएसई एवं आईसीएसई सीएससी बोर्ड पूरे देश के अलावा तमाम देशों में भी इन बोर्डों से समबद्ध शिक्षण संस्थाओं को यह बोर्ड रेगूलेट करता है . इसके अलावा हर राज्य का अपना बोर्ड अलग है . ज्यादातर स्टूडेंट्स राज्य बोर्डों से जुडे होते हैं . महाराष्ट्र , मध्यप्रदेश , गुजरात , दिल्ली समेत तमाम राज्यों में कोरोना कहर बनकर टूट रहा है . अकसर देखने में आता है कि सीबीएसई बोर्ड अकसर जो फैसले लेता है उसी फैसले को अन्य राज्यों के बोर्ड भी मामूली फेरबदल के बाद अपने अपने राज्यों में लागू कर देते हैं . फिर इस फैसले में प्रधानमंत्री की भी सहमति है इसलिए ऐसे आसार हैं कि अन्य राज्यों की बोर्ड परीक्षायें भी सीबीएसई बोर्ड के फैसले के अनुरूप ही फैसले लेंगे .
बच्चों के मामले में न अभिभावक और न ही सरकारें कोई भी रिस्क लेना चाहेंगी जो उनके गले की हड्डी बन जाए . इसलिए बीते सवा साल से शिक्षण संस्थाओं एवं बच्चों को बचाने की बात सबसे पहले आती है .
इस बात में कोई शक नहीं है कि बीते सवा साल में शिक्षण व्यवस्था रसातल में चली गई है . तमाम शिक्षण संस्थायें तबाह हो गई हैं . एजूकेशन बिजनेस जो सभी के निशाने पर था एवं एजूकेशन बिजनेस में पूरे देश में भारी बूम आया हुआ था . बडे बडे बिजनेस और पाॅलिटिकल हाउस के लोग भारी भरकम इन्वेस्टमेंट कर रहे थे लेकिन कोरोना ने उन्हें भी कहीं का नहीं छोडा है . सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों का हुआ है क्योंकि उनकी शिक्षा बेपटरी हो गई है . ऑनलाइन एजूकेशन का ढोल भले पीटा जाए लेकिन इसकी हकीकत वैसी नहीं है कि ऑनलाइन शिक्षा क्लासरूम स्टडी का विकल्प बन जाए .
असमंजस और उहापोह के दौर से गुजर रहे बच्चों को 10 वीं की परीक्षा को रद्द करने के इस फैसले से राहत जरूर मिली है . फिलहाल जुलाई के पहले नियमित पढाई की गाडी ट्रैक पर आने से रही . तब तक पेरेन्टस की जिम्मेदारी जरूर बढ गई है कि वो बच्चों को रोजाना 3 से 4 घंटे जरूर पढने के लिए जरूर बिठायें . उनको एसाइनमेंट दें उनका आकलन करें अन्यथा शिक्षकों की सालों की मेहनत पर पानी फिरना जरूर तय है . फिलहाल यह मानकर चलिए कि केवल गंभीर कोरोना पेशेंट ही वेंटीलेटर पर नहीं है देश की तमाम सेवायें वेंटीलेटर पर आ गई हैं . इनमें शिक्षा व परीक्षा भी शामिल है . यह दौर भी कुछ समय का है जल्दी ही यह वक्त भी गुजर जाएगा . इसलिए थोडा वक्त बच्चों के लिए जरूर निकालें . इससे आपको यह भी पता लगेगा कि शिक्षक कितना योगदान देते हैं . आपकी भी बच्चों से ट्यूनिंग बढेगी . उनके स्तर को जान पाएंगे . आपकी इस कवायद से आपके बच्चे में एक बडा बदलाव घर से ही आएगा .
शिक्षा एवं परीक्षा दोनों वेंटीलेटर पर
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