राकेश कुमार अग्रवाल
पूरे देश में इस समय जिन तीन चीजों के लिए सबसे ज्यादा हाहाकार मचा है उनमें नंबर एक ऑक्सीजन सिलिण्डर दूसरा रेमेडिसिवर इंजेक्शन और तीसरा है अस्पतालों में बैड . कोरोना के कारण हालात इस कदर बिगडेंगे इसका अंदाजा सरकार ने लगाया था न ही स्वास्थ्य विभाग ने और न ही औद्योगिक इकाइयों ने कि छटपटाते इंसानों की सांसें वापस लौटाने के लिए उन्हें चलती कार में या फिर कहीं सडक पर लिटाकर आक्सीजन देनी पडेगी या फिर लोगों को आक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए आक्सीजन लंगर चलाने पडेंगे .
आक्सीजन जिसे प्राणवायु या फिर जारक के नाम से भी जाना जाता है . एक रंगहीन , गंधहीन , स्वादहीन गैस है . जो करोडों वर्षों में वायुमंडल में विद्यमान है . वायुमंडल में आक्सीजन 20.95 फीसदी मात्रा के साथ पाई जाती है . आक्सीजन केवल मनुष्यों ही नहीं पशु पक्षियों , जलीय जीवों एवं अन्य प्राणियों के लिए जितनी जरूरी है उतना ही निर्माण और औद्योगिक इकाइयों को आक्सीजन की जरूरत पडती है . इंसान की सांसों की डोर को थामे रखने का यह काम मेडीकल आक्सीजन बखूबी करती है . और इसी मेडीकल आक्सीजन को लेकर देश भर में हायतौबा के हालात है .
चिकित्साशास्त्रियों के अनुसार आक्सीजन रक्त में आक्सीजन के स्तर को बढाता है . जो फेफडे रोगग्रस्त होते हैं उनमें रक्त के प्रवाह के प्रतिरोध को कम करने का काम भी आक्सीजन करती है . हवा में मौजूद आक्सीजन को फिल्टर की एक प्रक्रिया के जरिए मेडीकल आक्सीजन तैयार की जाती है . इस प्रक्रिया को क्रायोजनिक डिस्टेलेशन प्रोसेस कहा जाता है . तत्पश्चात हवा को कंप्रेशन के जरिए माॅलिक्यूलर एडजार्बर से ट्रीट करते हैं . इससे हवा में मौजूद पानी में कण , कार्बन डाइआक्साइड और हाइड्रोकार्बन को अलग हो जाते हैं . इसके बाद कम्प्रेसड हवा डिस्टेलेशन कालम में आ जाती है . जिसे प्लेट फिन हीट एक्सचेंजर एंड एक्सपान्शन टरबाइन प्रक्रिया से ठंडा किया जाता है . इसके बाद 185 डिग्री सेंटीग्रेट पर इसे गर्म करने के बाद डिस्टिल्ड किया जाता है . इस प्रक्रिया में आर्गन , नाइट्रोजन और आक्सीजन आदि खतरनाक गैसें निकल जाती हैं . इसके बाद लिक्विड आक्सीजन और गैस आक्सीजन हासिल होती है इसी आक्सीजन को सिलिंडरों में भरकर चिकित्सा संस्थानों एवं हास्पिटलों में भेज दिया जाता है . यह आक्सीजन ह्रदयाघात , ब्रेन हैमरेज , श्वास रोगियों व दु्र्घटना में गंभीर घायलों को कृत्रिम रूप से सांस देने के काम आती है .
सवाल उठता है कि टाटा स्टील हो या जिंदल स्टील या फिर अन्य औद्योगिक इकाइयां इन दिनों कैसे पूरे देश में आक्सीजन पहुंचा रही हैं . जबकि इन औद्योगिक इकाइयों का मूल उद्देश्य तो स्टील , इस्पात या अन्य उत्पाद बनाने का है . दरअसल स्टील एवं इस्पात की इकाइयों के अलावा पेट्रोलियम एवं पेंट वार्निश इंडस्ट्री में भी आक्सीजन का इस्तेमाल किया जाता है . चट्टानों को तोडने में , लोहे की मोटी चादर काटने , सिरका निर्माण एवं मशीन के टूटे भागों को जोडने में भी आक्सीजन इस्तेमाल की जाती है .
धातुयें हों या फिर कोयला आक्सीजन का भरपूर शोषण करते हैं . मनुष्य में भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में आक्सीजन सहायक होती है . जिसे वे सांस द्वारा ग्रहण करते हैं . वायुमंडल में स्वतंत्र रूप से पाई जाने वाली आक्सीजन यौगिक के रूप में पानी , खनिज व चट्टानों का महत्वपूर्ण अंश है .
कोविड 19 के कोहराम के पहले सामान्य परिस्थितियों में देश में प्रतिदिन 1000 मीट्रिक टन आक्सीजन का इस्तेमाल चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए होता था . कोविड 19 की दस्तक और फिर बिगडते हालात को बाद आक्सीजन की मांग बढकर तीन गुना को पार कर गई . जबकि देश में लगभग 7000 मीट्रिक टन आक्सीजन का उत्पादन होता है . जिसमें मेडीकल के अलावा बाकी आक्सीजन औद्योगिक इकाइयों एवं अन्य कामों में इस्तेमाल की जाती रही है . हालांकि देश में आक्सीजन का उत्पादन बढकर 8000 मीट्रिक टन को पार कर गया है . हालात की भयावहता को देखते हुए विदेशों से भारी मात्रा में आक्सीजन मंगाई जा रही है .
विदेशों से आक्सीजन आ रही है . यूरोप से लेकर अरब से भी आक्सीजन की आपूर्ति जहाजों से लगातार आ रही है . देश के उद्योगपतियों और सरकारी कारखानों ने मिलकर आक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनें चला दी हैं . सरकार द्वारा शुरु की गई वैक्सीन पालिटिक्स जिसके तहत भारत ने 80 देशों में करोडों डोज कोरोना वैक्सीन की दी थी . जिसके फलस्वरूप अमेरिका समेत दुनिया के तमाम देशों ने भारत में आक्सीजन उपकरण समेत तमाम दवायें मुहैया कराना शुरु कर दी है . अब जरूरत है टेक्नीकल एक्सपर्ट की जो मरीज को आक्सीजन देने में सिद्धहस्त हों . क्योंकि आक्सीजन की मात्रा व प्रेशर दोनों उतना ही महत्वपूर्ण होता है . अन्यथा ये जानलेवा होने में देर नहीं लगाती . कोरोना की भयावहता ने आक्सीजन की मांग और आक्सीजन के अभाव में मौतों के सच को उधेड कर रख दिया है . आक्सीजन की चर्चा और आक्सीजन को लेकर मीडिया की सुर्खियों ने छात्रों के साथ जनसामान्य को भी इसकी महत्ता से जरूर अवगत करा दिया है .
अथ! आक्सीजन गाथा
Click