श्रीमद‍ भागवत कथा के छठे दिन रुक्मिणी विवाह के प्रसंग का व्याख्यान करते -कथाव्यास पं.शेषधर मिश्र ‘अनुरागी’

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रिपोर्ट – राकेश कुमार अग्रवाल

लालगंज, (प्रतापगढ़) । श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह का आयोजन हुआ. जिसे धूमधाम से मनाया गया.भागवत कथा के छठे दिन व्यास पीठ पर विराजमान कथावाचक पं.शेषधर मिश्र ‘अनुरागी’ जी महाराज ने रास पंच अध्याय का वर्णन किया. उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं.उनमें गाये जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है. उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है.

कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया. कथा के दौरान कथाव्यास ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला के द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ. जीव और ब्रह्म के मिलने को ही महारास कहते है.कथा में भजन में ‘तो सुन मुरली की तान दौड़ आई सांवरिया’ पर श्रोताओं ने भाव विभोर होकर नृत्य किया. रास का तात्पर्य परमानंद की प्राप्ति है जिसमें दुःख, शोक आदि से सदैव के लिए निवृत्ति मिलती है. भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों को रास के माध्यम से सदैव के लिए परमानंद की अनुभूति करवायी.भागवत में रास पंचाध्यायी का विश्लेषण पूर्ण वैज्ञानिक कथावाचक पं.शेषधर मिश्र ‘अनुरागी’ जी महाराज ने कहा कि आस्था और विश्वास के साथ भगवत प्राप्ति आवश्यक है.भगवत प्राप्ति के लिए निश्चय और परिश्रम भी जरूरी है. विराजमान कथावाचक पं.शेषधर मिश्र ‘अनुरागी’जी महाराज सत्संग के तत्वावधान में आयोजित भागवत कथा के छठे दिन कृष्ण- रुक्मणि विवाह प्रसंग पर बोल रहे थे.उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया. भगवान श्रीकृष्ण रूक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया. कथा के दौरान भक्तिमय संगीत ने श्रोताओं को आनंद से परिपूर्ण किया. भागवत कथा के छठे दिन कथा स्थल पर रूक्मणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया.श्रीकृष्ण-रूक्मिणी की वरमाला पर जमकर फूलों की बरसात हुई संस्कार युक्त जीवन जीने से मिलती है मुक्ति… कथावाचक ने कहा कि जो व्यक्ति संस्कार युक्त जीवन जीता है वह जीवन में कभी कष्ट नहीं पा सकता.व्यक्ति के दैनिक दिनचर्या के संबंध में उन्होंने कहा कि ब्रह्म मुहूर्त में उठना दैनिक कार्यों से निर्वत होकर यज्ञ करना, तर्पण करना, प्रतिदिन गाय को रोटी देने के बाद स्वयं भोजन करने वाले व्यक्ति पर ईश्वर सदैव प्रसन्न रहता है. इस दौरान कृष्ण-रुक्मिणी विवाह की झांकी सजायी गयी.

उक्त भक्तिमय स्थल पर आयोजक सुरेंद्र मिश्र व धर्मेंद्र मिश्र संयोजक कौशल मिश्र समेत पं.पारसनाथ तिवारी, दयाराम मिश्र, कमल मिश्रा माही, प्रांजल शुक्ला, शुभम श्रीवास्तव, सुमित तिवारी ‘वत्सल’ शुभम तिवारी, दिलीप कुमार पांडेय, अमित कृष्ण मिश्र, अनमोल कृष्ण शास्त्री, बेबी पाण्डेय, क्षमा शुक्ल, प्रीति शुक्ला, रिया मिश्रा, नीतू मिश्रा, सुषमा शुक्ला, सुरेश तिवारी, आशुतोष शुक्ल, दिव्यांश मिश्रा, राहुल पाण्डेय आदि सैकड़ो श्रोता मौजूद रहे ।

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