कृषि विश्वविद्यालय बांदा में 15 टीचरों में 11 टीचर्स एक ही जाति के चयनित

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रिपोर्ट – सुधीर त्रिवेदी, वरिष्ठ संवाददाता

बांदा। तिंदवारी विधायक ब्रजेश प्रजापति की शिकायत पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप साही ने बांदा के कृषि विश्वविद्यालय में वर्ग विशेष के 11 प्रवक्ताओं के चयन की जांच के आदेश दिए हैं। नियुक्ति का रिजल्ट 1 जून को जारी हुआ था। इस संबंध में कृषि विश्वविद्यालय बांदा में प्रवक्ताओं के 20 पदों पर भर्ती निकली थी। जिनमें 18 सामान्य और 2 पिछड़े वर्ग के लिए थी।

तिंदवारी विधायक ब्रजेश प्रजापति ने प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो बार प्रवक्ताओं के पद की भर्ती के संबंध में विज्ञापन जारी कर भारी अनियमितता की है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के पास शैक्षिणिक वर्ग जिसमें सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक एवं प्राध्यापक के कुल 40 पद स्वीकृत थे। शासन से इनके भरने की अनुमति भी थी। नियमानुसार इनको भरने के लिए एक साथ रोस्टर आरक्षण विभाग के हिन्दी के नाम के क्रम में रखकर निर्धारित कर देना चाहिए था। एक साथ निर्धारित हो जाने के बाद कितनी बार भी विज्ञापन किया जाता किन्तु आरक्षण में कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन विश्वविद्यालय ने दो बार विज्ञापन 1/2020 एवं 1/2021 निकाला और दोनों का रोस्टर आरक्षण अलग-अलग बनाया। जिससे संयुक्त आरक्षण के हिसाब से 40 पदों में 26 पदों का आरक्षण गलत हो गया। जो पद आरक्षित होने चाहिए थे वह अनारक्षित हो गए।

विधायक ने भेजे गए पत्र में आरोप लगाया है कि दोनों विज्ञापनों में अनारक्षित कोटे में कुल 20 पद विज्ञापित हुए थे। दोनों विज्ञापनों का परिणाम एक साथ घोषित किया गया जिसकी मंजूरी नहीं थी। घोषित परिणामों में 15 टीचर्स नियुक्त किए गए। इनमें 15 में 11 टीचर्स सिर्फ ठाकुर जाति के चयनित किए गए। दो लोग सीधे प्रोफेसर सब्जी विज्ञान एवं फल विभाग में नियुक्त किए गए। जो आज से पहले कभी विश्वविद्यालय सिस्टम में रहे ही नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि जाति विशेष के लोगों का चयन एक चिंतनीय विषय है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और उच्चस्तरीय जांच शुरू करानी चाहिए।

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