श्रीरामजन्म भूमि मंदिर के निर्विध्न निर्माण के लिए कामतानाथ के चरणों में पहुंचे चंपक राय
- मंदिर की विजटर बुक में लिखी मन की बात
- प्रमुख द्वार के संत मदनगोपालदास जी महराज ने किया सम्मानित
- रामायणी कुटी में संतों के साथ की चर्चा, भंडारा में खाया प्रसाद
संदीप रिछारिया
धर्मक्षेत्र। श्रीराममंदिर निर्माण के लिए पिछले दिनों जमीन खरीदने के बाद नेशनल स्तर पर मचे बवाल के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ न्यास के महासचिव चंपक राय गुरूवार को कामतानाथ महराज की शरण में पहुंचे। भगवान कामतानाथ से उन्होंने श्रीरामजन्म भूमि मंदिर के निर्विघ्न निर्माण के लिए प्रार्थना की। स्वामी कामतानाथ की आरती, पूजा करने के बाद उन्होंने अपने मन की बात विजिटर बुक में लिखी। इस दौरान मंदिर के कर्ताधर्ता संत मदनगोपालदास जी महराज ने उन्हें शाल, श्रीफल और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। दोपहर को उन्होंने तीर्थक्षेत्र के कई संतों के साथ रामायणीकुटी में बैठक कर श्रीराम जन्म भूमि मंदिर के निर्माण की स्थित पर चर्चा कर आश्वस्त किया कि मंदिर तीन सालों में बनकर तैयार हो जाएगा। इस दौरान उनके साथ बांदा के संकटमोचन हनुमान मंदिर के भोले भैया रहे।
गुरूवार की सुबह लगभग 8 बजकर 30 मिनट पर श्रीराय कामतानाथ मंदिर पहुंचे। यहां पर उनका स्वागत संत मदन गोपालदास जी महराज व नागा नरसिंहदास जी व निर्माेही अखाड़ा के महंत ओंकारदास जी महराज किया। नागाजी ने जब उन्हें बताया कि उनकी बैठक अयोध्या में है और वहां पर वह 50 साल पहले साधू हुए थे। तब दोनों के बीच कई पुरानी बातें सामने आती गई। फिर रामजन्म भूमि के मुकदमें की बातें उठीं और तमाम पुराने महात्माओं के साथ ही वकीलों व अदालती कार्यवाही की चर्चा हुई।
चंपक राय ने बताया मंदिर की मूर्ति में जीवन का रहस्य
आपसी बातचीत के दौरान जब मुकदमें दायर करने की बात चली तो उन्होंने बताया कि प्रयाग के कुंभ में तीनों मुकदमों की अध्ययन किया गया तो पाया कि मुकदमें में जो इबारत है उससे हमारा पक्ष काफी कमजोर है। गोपाल सिंह विशारद, निर्माेही अखाड़ा के कागज काफी कमजोर हैं। गोपाल सिंह विशारद के मुकदमें के अनुसार केवल आने जाने में पूजा करने को कोई परेशान न करें और निर्माेही अखाड़ा ने केवल पूजा का अधिकार मांगा। सब मुकदमों को पढ़कर नई ड्राफिटंग तैयार की गई और उसमें कांग्रेस के एक बड़े वकील से मदद ली गई। तो उन्होंने मूर्ति को जिंदा बताते हुए कहा कि जो विग्रह सुबह जागता है, स्नान, भोजन, शयन करता है वह जीवित है। यह बात अलग है कि वह केवल बोलता और चलता नही है। इसलिए एक संरक्षक की उन्हें आवश्यकता है। फिर यह मुकदमा संरक्षक के आधार पर खड़ा किया गया और हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जीत हुई।
कामतानाथ जी का लिया आर्शीवाद
इसके बाद विहिप के महासचिव चंपक राय कामतानाथ स्वामी के दरबार में
पहुंचे और वहां पर उन्होंने पूजा व आरती कर आर्शीवाद लिया। मंदिर की विजिटर बुक में उन्होंने लिखा कि चित्रकूट विलक्षण तीर्थ है। यहां पर भगवान राम ने साढे ग्यारह साल बिताए। मैं यहां पर कई बार आ चुका हूं। यहां पर कामनाओं को पूरा करने के लिए लोग आर्शीवाद लेने आते हैं। श्रीराम जन्म भूमि का निर्माण निर्विघ्न पूरा हो, यही आर्शीवाद भगवान कामतानाथ ने मांगता हूं। इसके बाद उनको शाल, श्रीफल, अंगवस्त्र व स्वामी कामतानाथ का चित्र देकर सम्मानित करने का काम संत मदन गोपालदास जी महराज ने किया।
संत मदनगोपालदास ने सीमाओं के बंधन से मुक्त करने की मांग की
श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ न्यास के महासचिव चंपक राय से श्रीकामदगिरि पीठम के संत मदन गोपालदास ने चित्रकूट को विशेष तीर्थ बताते हुए कहा कि बाहर से आने वाले लोग जब यहां पर विभिन्न तरह की अव्यवस्थाएं देखते हैं तो कहते हैं कि इतने बड़े व मनोरम तीर्थ का यह हाल। वास्तव में चित्रकूट दो प्रदेशों में बंटा हुंआ है। दोनों प्रदेश की सरकारें विकास का ध्यान देती है। यूपी में डीएम व अन्य अधिकारी लगातार यहां पर विकास के काम को मानीटर करते रहते हैं, लेकिन सतना से कोई मानीटर करने नही आता। लिहाजा मप्र में विकास के काम धरातल पर दिखाई नही देते। अच्छा होगा कि चित्रकूट को प्रदेश की सीमाओं के बंधन से मुक्त कर केंद्र सरकार को अपने पास लेकर विकास करवाना चाहिए।
संतों की बैठक में बताई राम मंदिर निर्माण की प्रगति
जानकीकुंड के रामायणीकुटी में श्रीराय ने चित्रकूट के प्रमुख संतों के साथ बैठक कर अयोध्या में बन रहे राम मंदिर निर्माण से संबंधित जानकारी देते हुए बताया कि अभी तो मंदिर की नींव में स्लैब की ढलाई का काम चल रहा है। रोजाना 400 फिट लंबा 300 फुट चैड़ा व 50 फिट गहरा ऐसा क्षेत्र तैयार किया गया। इतना मलबा हटाया गया। इंजीनियरों ने जो मिक्चर तैयार किया। पत्थरों का चूरा, गिट्टी, सीमेंट, कोयला की राख और पानी से उस गड्डे को भरा जा रहा है। एक एक फुट की सतह डालकर उसे रोलर से दबाया जाता है। लगभग दो इंच रोलर उसे दाब देता है। प्रतिदिन दो से ढाई लेयर उस पर पड़ रही है। यह काम अक्टूबर तक पूरा होने की आशा है। अक्टूबर के बाद मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू होगा। तीन साल में मंदिर का निर्माण पूर्ण होने की आशा है। इस दौरान रामायणी कुटी के महंत रामहृदयदास जी महराज, दिगंबर अखाड़े के महंत दिव्यजीवनदास, संतोषी अखाड़ा के महंत रामजीदास,भगवत आराधना स्थल के महंत गोविंददास जी महराज, सुदामा कुटी के महंत सीताशरण महराज, नागा रामकुमार दास आदि संत शामिल रहे।