400 सीटें – वाह क्या कांफिडेन्स है

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उत्तरप्रदेश डेस्क-समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने जनेश्वर मिश्र की जयंती उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में निकाली गई साईकिल यात्रा से उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों का बिगुल फूंक दिया है . अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार को हर मोर्चे पर नाकाम बताते हुए कहा कि भाजपा की स्थिति काफी खराब है . हम 350 सीटें जीतने का दावा भले कर रहे हैं लेकिन जनता में इतनी नाराजगी है कि वो सपा को 400 सीटें भी जिता सकती है . सपा मुखिया के दावे यदि सच निकले तो 2022 के विधानसभा चुनावों से विपक्ष का सफाया होना तय है .
उत्तर प्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्या 403 है . हालांकि 1967 में राज्य में विधानसभा सीटों की संख्या 431 थी . उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद प्रदेश में सीटों की संख्या घटकर 403 हो गई . मैं बडा परेशान था कि अखिलेश जी पूरी 403 सीटें जीतने का दावा भी कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया . मैंने अपनी इस उत्सुकता को एक पत्रकार साथी के समक्ष रखा तो वे मुझसे बोले कि अखिलेश जी बडे दिलवाले हैं . वे स्वार्थी नहीं हैं . अपने सहयोगियों और गठबंधन के साथियों का भी उतना ही ख्याल रखते हैं . सपा की तमाम छोटे दलों से गठबंधन की बात चल रही है जिनके साथ मिलकर सपा चुनाव लडेगी . बाकी बची तीन सीटें सपा के गठबंधन के दल जीतेंगे . इस तरह से प्रदेश में सपा का एकल और एकछत्र राज होगा . विपक्षी दलों का सूपडा साफ हो जाएगा . मैंने फिर पत्रकार साथी से कहा कि यह मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसा लग रहा है . तब मेरे पत्रकार साथी बोले कि हम पत्रकारों में यही खराबी है हम लोग जनता का मूड और मिजाज भांपे बिना इस तरह की बातें करते हैं . जबकि राजनीतिक पार्टियां खुफिया सर्वे कराती हैं उनके पास पूरी टीम होती है . पार्टी का संगठन होता है . इसलिए राजनीतिक दलों के पास ज्यादा सटीक जानकारियां होती हैं . उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणामों का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सूपडा साफ करने वाली इतनी बंपर जीत होगी उस समय भला आपने ऐसा सोचा था ? लेकिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी की ठीक इसी तरह जीत हुई थी . पत्रकार साथी ने कहा कि दरअसल हम लोग बहुत ही निगेटिव हैं . सकारात्मक चीजों में भी नकारात्मकता का दामन छोडना नहीं चाहते . मैंने उनसे कहा कि इसका मतलब तो यह हुआ कि अखिलेश जी जिसको भी प्रत्याशी बनायेंगे उसका जीत सुनिश्चित है . चुनाव लडने से ज्यादा महत्वपूर्ण तो सपा का टिकट मिलना है . यदि साईकिल की सवारी करने का मौका मिल गया तो पैडल मारते मारते ही सपा प्रत्याशी लखनऊ विधान भवन पहुंच ही जाएंगे .
वैसे भी इस बार उत्तर प्रदेश अनोखी चुनावी जंग का मैदान बनने जा रहा है क्योंकि राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा तमाम क्षेत्रीय पार्टियां भी चुनाव मैदान में कूदने के लिए लालायित हैं . बिहार की तो लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां यूपी में चुनावी संभावनायें खोज रही हैं . मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी , जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा , अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी व असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम से लेकर डेढ दर्जन पार्टियाँ चुनाव मैदान में उतरने का मंसूबा पाले हुए हैं . इतने बडे प्रदेश में विधानसभा चुनाव लडाना उतना ही बडा काम है क्योंकि चुनाव लडने का मतलब होता है भारी भरकम खर्चा . मेरा मानना है कि जब सपा की जीत सुनिश्चित है तो अन्य पार्टियां अपना चुनावी खर्च बचा सकती हैं . क्योंकि अन्य पार्टियों का चुनाव में खर्च होने वाला पैसा बर्बाद होना है तो फिर वो पैसा लगाए हीं क्यों . अखिलेश जी ने अन्य पार्टियों को एक सुनहरा मौका दिया है कि वो अपने एक एक पैसा को बर्बाद होने से बचा लें . जिसके लिए सभी पार्टियों को अखिलेश जी का शुक्रगुजार होना चाहिए .
2022 के विधानसभा चुनावों में ईवीएम मशीनें भी केवल साईकिल चलायेंगीं . अखिलेश जी ने पहले ही चुनाव परिणामों की भविष्यवाणी कर दी है इसलिए अब किसी भी दल को उन पर ईवीएम मशीनों की हैकिंग का आरोप भी नहीं लगाना चाहिए . न ही मतपत्रों के माध्यम से चुनाव कराने पर जोर डालना चाहिए .
विधानसभा चुनाव तो वैसे भी अगले साल होना है . जिनके लिए अभी कम से कम 6 माह का वक्त बाकी है . अखिलेश जी के दावे ने तमाम राजनीतिक पार्टियों के होश उडा दिए हैं . यदि चुनाव परिणाम अखिलेश के दावों के अनुरूप आया तो भविष्य में अखिलेश ज्योतिषी , भविष्य वक्ता और चुनाव के विशेषज्ञ भी बन सकते हैं . इसके बाद प्रशांत किशोर की भी छुट्टी हो सकती है . अखिलेश जी ने तो यूपी की नब्ज टटोल ली है आप भी बताइए आप साईकिल चलाने के लिए तैयार हैं या नहीं .

राकेश कुमार अग्रवाल रिपोर्ट

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