• टिकरिया ग्राम वासियों ने तपोवन पौधरोपण को अमृत महोत्सव पर्व के रूप में मनाया
रिपोर्ट – संदीप रिछारिया
चित्रकूट। बुधवार को पाठा क्षेत्र के गाँव टिकरिया में एक पेड़ सौ पुत्र समान के नारे जमकर गूँजे। मौका था ग्रामवासियों द्वारा पौधे लगाने का।
पर्यावरण संरक्षण एवं पाठा क्षेत्र के वनवासी जनों की आजीविका हेतु अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान लगातार प्रयासरत रहा है। इसी क्रम में संस्थान ने जापान के वनस्पति शास्त्री अकीरा मियावाकी की इस अनोखी पद्धति से पौधरोपण कर टिकरिया गाँव में तपोवन की स्थापना की। सामूहिक पौधरोपण का यह पर्व आज अमृत महोत्सव को समर्पित हुआ। इस पुण्य कार्य में टिकरिया जमुनिहाई गाँव के सभी ग्राम वासियों के सहयोग से 700 वर्ग मीटर भूमि में वृत्त की आकृति में आम, अमरुद, आंवला, पीपल, गूलर, करंज, बहेड़ा, नींबू, करौंदा आदि लगभग 20 प्रजातियों के 1260 पौधों का रोपण कर सेवा का संकल्प लिया गया। इस मियावाकी पद्धति में चार श्रेणी में क्रमशः झाडी, उप पेड़, पेड़, एवं कैनोपी वाले पौधों को समान दूरी पर रोपित किया गया।
कार्यक्रम में गाँव की कन्याओं ने कलश यात्रा निकालकर एवं पौधे लगाकर जल, जंगल, जमीन को बचाने का संदेश दिया।
राम वन कानन में अमृत महोत्सव की स्मृति में तपोवन की स्थापना सबकी सुखानुभूति का हेतु बना।
इसके पूर्व में पर्यावरण एवं आजीविका हेतु ग्राम टिकरिया में 12 एकड़ क्षेत्र में उद्यान का कार्य भी संस्थान के द्वारा किया जा चुका है जो अब समुदाय के लोगों की आजीविका का आधार बनने जा रहा है । गत वर्ष टिकरिया गाँव में ही पुष्करणी तालाब के पास लगाए गए तपोवन के पौधे धीरे-धीरे बड़ा आकार ले रहे हैं। इन पौधों की मृत्यु दर बहुत कम रही है। संस्थान अब तक के अपने जीवन काल में लगभग एक लाख से अधिक पौधों का रोपण कर चुका है अधिकाँश पौधे फल फूल कर आजीविका का आधार बने हुए हैं।
संस्थान पाठा क्षेत्र के 15 ग्राम पंचायतो के ग्रामीणों को स्वावलंबी बनाने हेतु सृजन संस्था के सहयोग से स्वावलंबन कार्यक्रम के अंतर्गत प्राकृतिक कृषि केन्द्रों में घन जीवामृत, द्रव जीवामृत जैसी प्राकृतिक खादों के निर्माण, बीज बैंकों के माध्यम से देशी बीजों का संरक्षण, बहुस्तरीय खेती व एक एकड़ माडल से छोटे व माध्यम किसानों को पोषण व आजीविका, दोहा निर्माण व तालाब से गाद निकासी कर जल की उपलब्धता से जलवायु आधारित कृषि की ओर अग्रसर करने का कार्य भी इसी वर्ष से कर रहा है । कार्यक्रम की शुरुवात रामकिशोर व सुखराम के सांस्कृतिक दल के द्वारा लोकगीत एवम नगाडे की थाप से किया गया।
संस्थान संस्थापक गोपाल भाई ने अपने प्रिय वनवासी जनों को प्रकृति का संरक्षक मानते हुए उनसे प्रकृति के विकास की अपील की और सभी को संगठित समाज निर्माण की प्रेरणा प्रदान की।
प्राकृतिक कृषि अपना चुके जनदीप गोपाल ने प्राकृतिक कृषि की आवश्यकता के बारे में सभी को बताया।
तपोवन की पृष्ठभूमि विजय सिंह ने रखी एवं सबका आभार संस्थान निदेशक राष्ट्रदीप ने किया। कार्यक्रम में टिकरिया ग्राम पंचायत के युवा प्रधान चंद्रहास त्रिपाठी, गढ़ी तालाब प्रबंध समिति एवं मारकंडेय जलागम विकास समिति के सदस्य व पदाधिकारी राम किशोर मवासी, राम विस्वास, मैयादीन कोल, राम बहोरी, शिवपूजन आदि सहित लगभग आधा सैकड़ा ग्रामीणों ने प्रतिभाग किया साथ ही । कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्थान के राजाबुआ, धीरेन्द्र, गजेन्द्र, शिवबरदानी, संगमलाल, अंशिता, सफलता, अजीत कोल, रामराज कोल, शुभम शुक्ला, रामविलाश, रामबालक आदि का सहयोग रहा।