भाइयों एवं बहनों की पापमोचनी एकादशी की बहुत-बहुत बधाई

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जय श्रीमन्नारायण
चैत्र मास कृष्ण पक्ष दिनांक 28 मार्च दिन सोमवार को पापमोचनी एकादशी का व्रत है।
धर्मराज युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा पूर्व काल में इसी बात को राजा मांधाता ने लोमश ऋषि से पूछा था।ऋषि लोमस ने कहा कि अप्सराओं से सेवित चैत्र रथ नामक वन में मंजुघोषा नाम की एक अप्सरा बिहार करती थी, वहीं पर मेधावी नाम के ऋषि रहते थे ।एक दिन उसकी वीणा की ध्वनि को सुनते-सुनते मुनि उसके पास आए वीणा को नीचे रख कर मेधावी को मंजुघोषा ने आलिंगन कर लिया।
उनके साथ रमण करते हुए बहुत दिन बीत गए। एक दिन मंजुघोषा ने कहा मुनिवर अब मुझे जाने की आज्ञा दीजिए। मुनिवर ने कहा कि आज के दिन की संध्या के पश्चात जाना , मंजुघोषा ने कहा प्रभु आप विचार करिए बहुत दिन हो गए ।मुनिवर ने विचार किया तो पता चला कि अब तक 57 वर्ष व्यतीत हो गए हैं। उन्होंने क्रोधित होकर मंजुघोषा को श्राप दे दिया कि तुम जाकर पिशाचिनी हो जाओ। मंजुघोषा ने कहा संतों के साथ साथ 7 पग चलने उनसे सात वाक्य बात करने से सत्पुरुषों से मैत्री हो जाती है, आपके साथ तो मैंने काफी समय बिताया है।उसने अनुनय-विनय किया, तब उन्होंने बताया कि चैत्र मास कृष्ण पक्ष की पापमोचिनी एकादशी का व्रत करो तुम्हारा कल्याण होगा।
ऐसा कहकर मेधावी अपने पिता च्यवन ऋषि के आश्रम पर आए। मुनिवर ने कहा बेटे यह तुमने क्या किया। तुमने सारा पुण्य नष्ट कर डाला, अब तुम पापमोचनी एकादशी का व्रत करो तभी तुम्हारा कल्याण होगा।
पिता का कथन सुन कर मेधावी ऋषि ने इस चैत्र मास कृष्ण पक्ष की पाप मोचनी एकादशी के व्रत का अनुष्ठान किया ।इससे उनका पाप नष्ट हो गया और तपस्या से परिपूर्ण हो गए। मंजुघोषा ने भी इस उत्तम व्रत का पालन किया जिससे उसे पिशाच जीवन से मुक्ति मिली ।
जो मनुष्य पापमोचनी एकादशी का व्रत करते हैं उनका पाप नष्ट हो जाता है ।इस को पढ़ने और सुनने से सहस्त्र गोदान का फल मिलता है । ब्रह्म हत्या ,स्वर्ण की चोरी, सुरापान और गुरु पत्नी गमन करने वाले महापापी भी इस व्रत के करने से पाप मुक्त हो जाते हैं ।यह व्रत बहुत ही पुण्य देने वाला है ।
दासानुदास ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास कृपापात्र श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरा रमणाचार्य पीठाधीश्वर श्री जीयर स्वामी मठ जगन्नाथ पुरी एवं महंत नैमिष नाथ भगवान रामानुज कोट नैमिषारण्य उत्तर प्रदेश।

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