महराजगंज रायबरेली।
गेहूं खरीद के लिए बनाए गए सरकारी क्रय केंद्रों पर जहाँ पिछले साल गेहूं बेचने वाले किसानो की लम्बी कतार लगी रहती थी वही इस वर्ष कोई किसान सरकारी केंद्रों पर गेहूं बिक्री की तो बात दूर उस तरफ देखना तक नही पसन्द कर रहा है। अनेको क्रय केंद्रों पर तो तोल का बिस्मिल्ला तक नहीं हो सका है।उसका मेंन कारण है इस बार सरकारी मूल्य से अधिक रेट पर आढ़तिया गेहूं खरीद रहे है। तो किसान सरकारी केंद्र पर क्यो जाए। साथ ही आढ़तियों को बेचने पर तुरत नकद भुगतान भी मिल जाता है। स्थिति यही रही, तो सरकारी खरीद का लक्ष्य पूरा कर पाना अधिकारियों के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी।एक अप्रैल से गेहूं क्रय केंद्रों का संचालन शुरू कर दिया गया था। दो माह पूरे होने को है लेकिन गेहूं खरीद लक्ष्य से कोसो दूर है। दरअसल इस बार सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति कुंतल तय किया है। भुगतान किसान के खाते में किया जाता है। इसमें भी दो से चार दिन का समय लगता है। वहीं आढ़तियों द्वारा गेहूं 2050 से 2100 रुपये प्रति कुंतल तक के दाम पर नकद खरीदा जा रहा है। खास बात यह है कि गांवों में घूम रहे गेंहू व्यापारी और भी महंगी दर गेहूं खरीद कर रहे हैं। इसके चलते किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। सोमवार को महराजगंज उपमंडी समिति में बने खाद्य एवं रसद विभाग के गेहूं क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा दिखा जबकि अढ़तियों व मिलरों के यहां किसान गेहूं बेचते दिखे। क्रय केंद्र प्रभारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जो किसान क्रय केंद्र पर आ रहे हैं, उनका गेहूं तोला जा रहा है।
1 किसान राम फेर से बात की गई तो उनका कहना था कई वर्षो बाद किसानों को मंडियों में गेहूं के अच्छे रेट मिले हैं। न पंजीकरण और न ही कटौती का कोई झंझट। गेहूं का पैसा भी नगद मिला रहा है। इसलिए किसानों ने सरकारी क्रय केंद्रों से किनारा कर लिया। नतीजा क्रय केंद्र सूने पड़े हैं और खरीद को लेकर अधिकारी चिंतित हैं।
2 किसान नागेंद्र का कहना है इस बार गेहूं की की तौल अधिकतर किसानों ने खुले बाजार में कर रहे जिसका कारण है सरकारी खरीद केंद्र से आढ़तियों के यहाँ गेहूं महंगा बिकना। यही केंद्र प्रभारी सेंटर पर किसानों से कमीशन के चक्कर मे सीधे मुह बात नही करते थे।अलबत्ता आज वही केंद्र प्रभारी घर-घर गांव गांव जाकर किसानों से गेहूं तौलाने को लेकर मिन्नते जरूर कर रहे।
एडवोकेट अशोक यादव रिपोर्ट