रायबरेली। शिवगढ़ क्षेत्र के ग्राम पंचायत बैंती में स्थित कबीरादान बाबा के ऐतिहासिक मेले का आयोजन कल मंगलवार को आयोजित किया जाएगा। विदित हो कि करीब 500 वर्षों से होली के आठव के दिन कबीरादान बाबा के प्राचीन कालीन मंदिर में मेले का आयोजन होता चला आ रहा है। गत वर्षो की भांति रामचरितमानस पाठ के समापन के पश्चात हवन पूजन के माध्यम से देवी देवताओं को पूर्णाहुति देकर मेले का शुभारम्भ किया जाएगा।
टीले से निकले असंख्य भंवरों ने राजा की सेना को चटाई थी धूल
मान्यता है कि आज से करीब 500 वर्ष पूर्व की बात है जब हमारे देश में राजतंत्र था बैंती ग्राम पंचायत धवलपुर स्टेट में आती थी। धवलपुर रियासत के प्रतापी राजा-रानी की वीरता की चर्चाएं दूर-दूर तक फैली थी। रायबरेली जिले के ग्रामसभा बैंती के कबीरादान गांव में स्थित प्राचीन कालीन कबीरादान बाबा के मंदिर की जगह एक टीला हुआ करता था। एक बार होली के आठव के दिन जब धवलपुर राजमहल में होली के आठव को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ होलिकोत्सव चल रहा था। धवलपुर रियासत के अधिकांश सैनिक होलिकोत्सव का आनंद ले रहे थे। एक दूसरे के गले लगकर होली की शुभकामनाएं दे रहे थे। उसी बीच मौका देख कर दूसरी रियासत की राजा ने आठव के दिन बैंती ग्रामसभा पर अपनी सेना के साथ आक्रमण कर दिया। आक्रमणकारी राजा की विशाल सेना के आगे बैंती गांव में मौजूद धवलपुर स्टेट की मुट्ठी भर सेना पर्याप्त ना थी। इस संकट की घड़ी में टीले से निकले असंख्य भंवरों ने आक्रमणकारी राजा और उसकी सेना पर आक्रमण करके राजा और उसकी सेना को खदेड़ कर उनके छक्के छुड़ा दिए। जिसके बाद ग्रामीणों ने टीले को मंदिर का आकार देकर मंदिर को कबीरादान बाबा का नाम दे दिया और पूजा-अर्चना शुरू कर दी। और प्रत्येक वर्ष होली के आठव के दिन मंदिर में मेला लगवाना शुरू कर दिया। बाद में मंदिर के पास बसी बस्ती का नाम भी कबीरादान पड़ गया है। यही कारण है कि करीब 500 वर्षों से लगातार होली के आठव के दिन ग्रामीणों के सामूहिक सहयोग से मंदिर में ऐतिहासिक मेले एवं विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता चला आ रहा है। मान्यता है कि यहां जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से बाबा के दर्शन के लिए आता हैं उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती हैं।