हिमाचल विधानसभा चुनाव में बंजार असेंबली सीट पर बीजेपी को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से जबर्दस्त टक्कर मिल रही है। यहां से बीजेपी की ओर से मौजूदा विधायक सुरेंद्र शौरी को कांग्रेसी कैंडीडेट खीमी राम तगड़ी टक्कर दे रहे हैं। उधर हिमाचल के रण में उतरी आम आदमी पार्टी के नीरज सैनी कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
साल 2017 में बंजार सीट पर हुए असेंबली चुनाव में बीजेपी के सुरेंद्र शौरी ने 3240 वोटों से जीत मिली थी। यहां पर भाजपा उम्मीदवार सुरेंद्र को 28,007 वोट मिले थे, जो कुल मिले मतों का 51.87 प्रतिशत था। वहीं दूसरे नंबर पर रहे आदित्य विक्रम सिंह को 24,767 वोट मिले ते। जो कुल पड़े वोटों का 45.87 फीसदी था।
वहीं वर्ष 2012 की बात करें तो बंजार सीट से कांग्रेसी उम्मीदवार करण सिंह ने 9,292 मतों से जीत हासिल की थी। करण सिंह को 29,622 वोट मिले थे। जो कुल पड़े वोटों का 57.98 प्रतिशत था। वहीं दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी उम्मीदवार खिमी राम को 25,037 मत मिले थे। जो कुल पड़े वोटों का 39.79 फीसदी था।
इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी में टक्कर होती रहती है। साल 2003 और 2007 में यहां से बीजेपी के खीमी राम काबिज थे। साल 2012 में कांग्रेस से करण सिंह और 2017 में बीजेपी से सुरेंद्र शौरी ने चुनाव जीता था।
अब एक नज़र डालते हैं बंजार असेंबली सीट के मतदाताओं पर…यहां कुल मतदाता 75,592 है। जिनमें से पुरुष मतदाता 38,395 हैं। वहीं महिला वोटरों की संख्या 37,197 है।
कुल मतदाता – 75,592
पुरुष मतदाता – 38,395
महिला वोटर – 37,197
अब एक नज़र बंजार असेंबली सीट के प्रत्याशियों की ताक़त पर …
बंजार असेंबली सीट के प्रत्याशियों की ताक़त पर एक नज़र
बीजेपी उम्मीदवार सुरेंद्र शौरी
सिटिंग एमएलए हैं सुरेंद्र शौरी
पार्टी और संगठन में गहरी पकड़
क्षेत्र में लोकप्रिय हैं सुरेंद्र शौरी
कांग्रेसी कैंडीडेट खीमी राम
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं खीमी राम
प्रदेश के कद्दावर नेता हैं खीमी राम
कई बार विधायक रह चुके हैं
आम आदमी पार्टी प्रत्यशी नीरज सैनी
जुझारू और संघर्षशील नेता
स्थानीय राजनीति में मज़बूत पकड़
स्थानीय मुद्दों की बात करें तो प्रदेश की महत्वपूर्ण सीटों में शामिल होने के बाद भी बंजार असेंबली क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की समस्या होने से पब्लिक नाराज है। यहां स्वास्थ्य सुविधाओं का भी बुरा हाल है। लोगों को इलाज के लिए मीलों दूर जाना पड़ता है। वहीं अच्छे स्कूल कॉलेज नहीं हैं। बेहतर शिक्षकों का भी अभाव है। बिजली-पानी की समस्या वर्षों से है। इंटरनेट सुविधा भी अच्छी नहीं है।