लालगंज (रायबरेली)। अवारा पशु न सिर्फ किसानों के लिये परेशानी का सबब बने हुए हैं बल्कि अब कस्बों में घुसकर राहगीरों के लिये भी मुसीबत बनते जा रहे हैं।आज शुक्रवार को सरेनी बाजार में पूरे पाण्डेय रोड पर कोतवाली के सामने उस समय हड़कम्प मच गया जब आवारा पशु मार्ग पर आने जाने वाले लोगों के पीछे पड़ गए।सांडों के अचानक हमले से लोग बचने के लिये कोतवाली, विद्यालय की बाउंड्री चटककर अन्दर व कुछ ने दुकानों के भीतर घुसकर शरण ली।
लोगों का कहना है कि सरकार ने सौ दिन के अन्दर आवारा पशुओं की व्यवस्था करने व लोगों को इनके आतंक से छुटकारा दिलाये जाने का वादा किया था किन्तु दो सौ दिन बीत जाने के बाद भी इस मामले में नतीजा सिफर रहा।बरजोर खेड़ा के किसान रामकुमार लोधी का कहना है कि आवारा पशुओं की तादात बढ़ने की वजह इनके झुंड में पालतू जानवरों का भी शामिल हो जाना है।
कुछ पशु पालक बछड़ों को घर में खूंटे से बांध लेते है व उसकी मां यानी गाय को चरने करने के लिए छोड़ देते हैं।शाम को गाय अपने बछड़े के पास लौट आती है।झाउखेड़ा के किसान राम मोहन त्रिपाठी का कहना है कि जब तक पशु पालकों के जानवर अवारा मिलने पर उन पर जुर्माना लगाने का ऐलान व उसका पालन नहीं होता तब तक गांवों में दिन ब दिन आवारा पशुओं की तादात में इजाफा होता रहेगा।
सरेनी बाजार के निवासी पपोले ने कहा कि अब आवारा पशुओं से सिर्फ किसान ही नहीं वरन दुकानदार व राहगीर भी परेशान हो रहे हैं।इन पर अंकुश नहीं लगा तो फसलों के साथ-साथ आम आदमी का जीना दूभर हो जायेगा।
रिपोर्ट- संदीप कुमार फिजा