धान क्रय केंद्र ना बनाए जाने से किसानों में आक्रोश

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महराजगंज। क्षेत्र में धान खरीद के लिए कोई क्रय केंद्र न बनाए जाने से किसानों में आक्रोश है। गत वर्षों तक पहरेमऊ में भारतीय खाद्य निगम के क्रय केंद्र पर क्षेत्रीय किसानोें की धान की उपज की खरीद की जाती रही है। लेकिन इस बार क्रय केंद्र न खोलें जाने से अमांवा व महराजगंज के दर्जनों ग्राम पंचायत के किसान अपनी उपज को औने पौने दामों में व्यापारियों के हाथ बेचने को मजबूर हैं।

महराजगंज क्षेत्र के ज्यौना, चंदापुर, डोमापुर, दौतरा, टीसाखानापुर व अमांवा विकास क्षेत्र के पहरेमऊ, बैखरा, रुकुनपुर, असर्फाबाद, बहादुर नगर,खैरहना,ओया,पहरावां, ओनई जंगल, बघई अहलवार, जेतुवा, पिंडारी खुर्द व पिंडारी कला सहित अन्य गांवों में धान की महीन व मोटे धान की फसलों का उत्पादन होता है।गत वर्षों की भांति इस बार पहरेमऊ में धान क्रय केंद्र न खोलें जाने से क्षेत्र के दर्जनों ग्राम पंचायत के किसान, व्यापारियों के हाथों कम दामों में धान की उपज बेचने को मजबूर हैं।

पूर्व में क्षेत्र के पहरेमऊ में संचालित एफसीआई के क्रय केंद्र पर किसानों की धान की उपज की खरीद होती थी। लेकिन इस बार जिले के अधिकारियों की समझ में या तो क्षेत्र के इन दर्जनों ग्राम पंचायतों के सैकड़ों गांवों में किसान नहीं है या फिर अधिकारियों की नजर में क्षेत्र में धान की उपज नहीं हुई। इसीलिए इस बार एफसीआई का खरीद केंद्र बंद कर दिया गया।

इससे पूर्व साधन सहकारी समिति चंदापुर में भी धान क्रय केंद्र खोलकर किसानों की उपज की खरीद की जाती थी। लेकिन इस बार साधन सहकारी समितियों को क्रय केंद्र न बनाए जाने से क्षेत्र का किसान गांव से 10-15 किमी दूर महराजगंज क्रय केंद्रों पर अपनी उपज बेचने की बजाय व्यापारियों के हाथ औने पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं।

मोहब्बत नगर निवासी किसान राजाराम ने बताया कि पिछले वर्ष पहरेमऊ व चंदापुर में दो क्रय केंद्र खोले गये लेकिन इस वर्ष दोनों ही क्रय केंद्र बंद कर दिये गये। बहादुर नगर निवासी किसान रामलाल ने बताया कि सरकार द्वारा एमएसपी बढ़ाए जाने के बावजूद क्षेत्र का किसान सेंटर न बनाए जाने के कारण कम दामों में धान बेचने को मजबूर हैं।

पिंडारी कला निवासी किसान तौफीक ने बताया कि क्षेत्र के किसानों के साथ लगातार प्रशासनिक उपेक्षा जारी है। इसी लिए क्रय केंद्र बंद कर दिये गये। झखरी निवासी किसान रामसुंदर ने बताया कि सेंटर 10-15 किलोमीटर की दूरी पर है। पांच क्विंटल धान बेचने के लिए वहां तक पहुंचाने में ही काफी खर्च हो जाएगा।

इस बारे में जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में अभी आया है। समस्या को दिखवाते हैं। किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल कराने की कोशिश की जाएगी।

रिपोर्ट- अशोक यादव एडवोकेट

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