सोनिया गांधी ने मुश्किल दौर में भी तोड़ दिया रायबरेली का भरोसा – एमएलसी

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कोरोना महामारी ने पूरे विश्व मे विकराल रूप ले रखा है। मिनट के हिसाब से मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं। जिसको कंट्रोल करने के लिए पूरा वर्ल्ड एक साथ खड़ा है। देश में विकराल स्थिति न आये इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के लिए लॉक डाउन कर रखा है। साथ ही देश के सामाजिक/राजनीतिक क्षेत्र के लोगो से मदद की अपील भी की है। अपील के बाद तमाम जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकारी निधियों को राहत कोष में जमा कराया जा रहा है या फिर जनपदों में मास्क व सेनेटाइजर सहित अन्य सामान खरीदने की संस्तुति की जा रही है। जिसके के क्रम में रायबरेली के विधायकों और एमएलसी ने भी करोड़ो रुपए अवमुक्त करने हेतु संस्तुति की।

एमएलसी के एक करोड़ रुपये देने के बाद जनपद के अलग अलग क्षेत्रो से जिले की सांसद सोनिया गांधी के मदद न करने पर तरह तरह की बाते की जाने लगी। यही नही लोगो ने स्थानीय स्तर पर पोस्टर तक चिपका दिये।

इसके बाद सोनिया गांधी ने भी कल पत्र जारी कर डीएम रायबरेली से कहा की आवश्यक सामग्री खरीदने हेतु जितनी भी धनराशि की आवश्यकता हो वह राशि उनकी सांसद निधि से अवमुक्त कर ली जाए, सोनिया गांधी के इस पत्र के बाद इसकी प्रशंसा भी हुई मगर भाजपा एमएलसी ने पत्र पर सवाल उठाते हुए सोनिया गांधी पर सीधा हमला बोल दिया है। एमएलसी ने कहा कि ऐसे पत्र का कोई मतलब नही होता और न ही किसी प्रशासनिक अधिकारी के पास अधिकार ही होता है ऐसे पत्र का संज्ञान लेने का। फिलहाल पत्र सामने आने से सेवा के नाम पर की जा रही राजनीति का भंडाफोड़ जनता के सामने हो चुका है।

पत्र के जवाब में पत्र से वार

कभी सोनिया के बेहद करीबी रहे दिनेश प्रताप सिंह ने विकास और जनहित के मुद्दों पर मतभेद के बाद स्वतः इस्तीफा दे दिया था और भाजपा जॉइन कर ली थी जिसके बाद पार्टी ने उन्हें लोकसभा में सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव भी लड़ने के लिए मैदान में उतारा था। दिनेश सिंह ने सोनिया गांधी द्वारा डीएम को लिखे पत्र के जवाब में सोनिया गांधी के नाम एक पत्र लिखकर उसको सोशल मीडिया पर वायरल किया है जिसमे उन्होंने सोनिया द्वारा दी गयी सांसद निधि की धनराशि व सोनिया गांधी के पत्र पर गम्भीर सवाल उठाए हैं।

क्या सोनिया गांधी का पत्र है फर्जी?

एमएलसी दिनेश सिंह ने पत्र में लिखा है कि सोनिया गांधी को यह पता होना चाहिए कि सांसद निधि का उपयोग करने का आदेश उस पत्र से देना चाहिए जिस पत्र पर अशोक का स्तम्भ छपा रहे और संसदीय दल के अध्यक्ष को सांसद निधि खर्च करने का कोई अधिकार नहीं है, दिनेश ने ये भी लिखा कि पत्र में लिखा गया है कि जितने भी फंड की जरूरत हो निर्गत कर सकते हैं तो क्या इतने वर्षों तक सांसद रहने के बावजूद यह अनुभव नहीं है कि धनराशि खर्च करने का निर्धारण सांसद को छोड़कर कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं कर सकता है।

भूल स्वीकार कर करें मदद

दिनेश सिंह ने अपने पत्र से एक कुशल राजनीतिक की भांति हमला बोलते हुए लिखा है कि आपसे कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है मगर आप जब जब रायबरेली की जनता को असत्य परोसेंगी तो मैं उसका विरोध करूंगा, दिनेश ने लिखा कि अगर सोनिया को मदद करनी ही है तो वह पत्र में कई गयी भूल को स्वीकार करें और साफ नियति से इस जिले की जनता की मदद करने के लिये आगे आएं। पत्र ने रायबरेली की राजनीति में हलचल मचा दी है।

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